राष्ट्रीय एकता के सूत्र
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

राष्ट्रीय एकता के सूत्र

by
Oct 26, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 26 Oct 2015 12:22:19

हिन्दू संस्कृति, हमारे पूर्वजों का गौरव और हमारी दिव्य मातृभूमि, ये तीन आयाम इस भिन्नताओं से भरे समाज को एक सूत्र में जोड़े रख सकते हैं।
नागपुर। सरकार, प्रशासन और जनता के बीच समन्वय से ही यह देश विश्व में महान बन सकता है। यह कहना था रा. स्व. संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का। वे गत 22 अक्तूबर को रेशिमबाग में संघ के विजयादशमी उत्सव में स्वयंसेवकों और नागरिकों का मार्गदर्शन कर रहे थे। इस अवसर पर डीआरडीओ के पूर्व महानिदेशक और नीति आयोग के सदस्य सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. वीरेन्द्र कुमार सारस्वत विशिष्ट अतिथि के नाते उपस्थित थे। मंच पर नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्र नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस पूर्ण गणवेश में उपस्थित थे। राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख शांताक्का, पूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित तथा अन्य गण्यमान्यजन सहित बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे।
1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने इसी विजयादशमी के पावन दिन नागपुर में संघ की स्थापना की थी। संगठन ने अपनी स्थापना के 90 वर्ष पूर्ण कर 91वें वर्ष में प्रवेश किया।
अपने उद्बोधन में सरसंघचालक ने कहा कि कोई राष्ट्र संपन्न, सुरक्षित और सक्षम केवल तभी बनता है जब सरकार, प्रशासन और सामान्य जनता के बीच राष्ट्र की पहचान, राष्ट्र के गौरव और राष्ट्र के प्रति प्रामाणिक निष्ठा से मन को केन्द्रित करके सतत प्रयास करने की तैयारी हो।
श्री भागवत ने कहा कि हिन्दू संस्कृति, हमारे पूर्वजों का गौरव और हमारी दिव्य मातृभूमि, ये तीन आयाम इस भिन्नताओं से भरे समाज को एक सूत्र में जोड़े रख सकते हैं। अपने भिन्न भाषाई, पांथिक, मत और पक्ष को सहेजे रखकर भी कोई व्यक्ति आसानी से सबके साथ घुलमिल सकता है। हिन्दुत्व की व्याख्या करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि हिन्दू समाज की जीवन पद्धति उपरोक्त तीन आयामों के आधार पर काल-सुसंगत तरीके से विकसित हुई है। संघ पिछले 90 वर्ष से इसी अधिष्ठान पर समाज को संगठित करने के कार्य में सन्नद्ध है। उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि वे संघ से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग दें।
दिख रही है नयी आशा
केन्द्र में सरकार परिवर्तन के साथ ही लोगों के मन में आ रहे बदलाव के संदर्भ में श्री भागवत ने कहा कि निराशा और विश्वास खत्म हो जाने का जो दृश्य दो वर्ष पहले दिखता था आज वह समाप्त हो चुका है। आज उम्मीदों और आशाओं का माहौल दिखने लगा है जिससे यह लगने लगा है कि अब अपेक्षाएं पूरी होंगी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह आशावादी भाव पंक्ति में अंतिम स्थान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचकर उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए।
भारत की विश्व में बनती सकारात्मक छवि पर संतोष व्यक्त करते हुए सरसंघचालक ने केन्द्र की सरकार को ऐसी छवि बनाने वाली नीतियों का अवलंबन करने के लिए शाबाशी दी। उन्होंने भारतीय योग, गीता और तथागत की वैश्विक स्वीकार्यता पर आनंद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सभी विकासशील देश भारत की ओर देख रहे हैं कि वह उनका नेतृत्व अपने हाथ में ले और उनको तथाकथित विश्व शक्तियों के प्रभाव से मुक्त कराये। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपने राष्ट्रीय जीवन के सभी क्षेत्रों में एक नई ऊर्जा और विचार के साथ ही प्रखर प्रयास शामिल करें।
उतार फेंकें मानसिक दासता
श्री भागवत ने लोगों का आह्वान किया कि वे मानसिक दासता को उतार फेंकें और अपने मन-मस्तिष्क तथा आत्मा में भारतीयता के मूल्य आत्मसात करें। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि किस प्रकार विकास के नाम पर बिना सोचे-समझे चीजों का क्रियान्वयन करने से मन और आत्मा, प्रकृति और वातावरण का क्षरण हुआ है, जिसके चलते नीति निर्माताओं को अपने पूर्व उल्लिखित लक्ष्यों से पूरी तरह पलटकर एक टिकाऊ और समग्र विकास के लिए काम करने की तरफ लौटना पड़ा है। भारत ने अपने गत वर्षों के अनुभवों के आधार पर यह ज्ञान विकसित कर लिया है।
सरसंघचालक ने वर्तमान केन्द्र सरकार की प्रशंसा की कि इसने नीति आयोग के घोषणापत्र और सरकारी नीतियों में इन वास्तविकताओं का उल्लेख किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतवासी इंतजार करें और इस बदलाव को करने का साहस भी रखें। सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, राजनीतिक बाध्यताओं को संतुलित करने और प्रशासनिक तंत्र को सरल बनाने की एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। समाज को इन प्रयासों के फलीभूत होने और उनके लाभों के समाज के निम्नतम क्षेत्र तक पहुंचने तक का धैर्य रखना होगा और राष्ट्र निर्माण के अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी।
उन्होंने मुद्रा बैंक, जन-धन योजना, गैस सिलेंडर सब्सिडी को स्वेच्छा से वापस करने, स्वच्छ भारत अभियान और कौशल विकास जैसी योजनाओं की प्रशंसा करते हुए उनको वर्तमान सरकार के लाभकारी प्रयासों की संज्ञा दी। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह की योजना और नीतियों के प्रभाव को मापने के लिए जमीनी स्तर से प्रामाणिक डाटा हासिल करना चाहिए।
उन्होंने शिक्षा में सुधार की आवश्यकता जतायी और इसे व्यापारीकरण से दूर करके सर्वसुलभ बनाने की बात कही। उन्होंने छात्रों का चरित्र गढ़ने में समाज और अभिभावकों की भूमिका पर बल दिया।
सरसंघचालक ने विभिन्न संप्रदायों के प्रमुखों के बीच एक सकारात्मक संवाद की आवश्यकता जताई ताकि बदलते वक्त के साथ उनके तंत्र और क्रियाकलापों में बदलाव आ सके। उन्होंने कहा कि उचित संवाद से ऐसे कई मुद्दे सुलझ सकते हैं।
सरसंघचालक के उद्बोधन से पूर्व स्वयंसेवकों ने शारीरिक और योगासनों का प्रदर्शन किया, घोष की अनुशासित और नयनाभिराम संरचनाओं से उपस्थितों का मन मोह लिया।  विराग पाचपोर

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies