देश का नक्शा बदलने कीताकत के धनी दीनदयाल जी
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

देश का नक्शा बदलने कीताकत के धनी दीनदयाल जी

by
Sep 28, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Sep 2015 16:06:42

 

पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती (25 सितम्बर) पर विशेष
'मुझे ऐसे ही दो दीनदयाल दे दो, मैं देश का नक्शा बदल दूंगा'। ये शब्द उस महान व्यक्तित्व के हैं जिसने नेहरू और सरदार पटेल के बाद तीसरे क्रमांक की मंत्रिमंडलीय कुर्सी को लात मारकर भारत के स्वाभिमान की रक्षा के लिए पद और प्रतिष्ठा का मोह त्यागने में कोई संकोच नहीं किया, भले ही इसके बदले उन्हें मृत्यु का उपहार प्राप्त हुआ। सारा देश जानता है कि इस कथन के वाचक जनसंघ के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 23 जून 1953 को 52 वर्ष की आयु में रहस्यमयी परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर की जेल से एक नर्सिंग होम में ले जाकर मृत घोषित कर दिये गये थे। देश को यह भी पता है कि कश्मीर की परमिट व्यवस्था तथा दो निशान, दो विधान, दो प्रधान के विरुद्ध कश्मीर में सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तार करके शेख अब्दुल्ला सरकार द्वारा जेल में बंद किये गये थे। उस समय देश में नेहरू की सरकार थी और नेहरू-शेख अब्दुल्ला की खानदानी दोस्ती राष्ट्रहित से ऊपर थी।
जब देश बदलने के लिए दो दीनदयाल मांगने वाले को ऐसी मांग रखने के दो वर्ष के अन्दर ही क्रूर हत्या करके सदा-सर्वदा के लिए समाप्त कर दिया गया, तो फिर वास्तविक दीनदयाल को जीवित छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं था। आखिरकार 11 फरवरी 1968 को प्रात: 10 बजे सारे देश ने जाना कि वाराणसी के निकट मुगलसराय रेलवे स्टेशन के यार्ड में पड़ी हुई लावारिश मृत देह किसी और की नहीं बल्कि जनसंघ के संस्थापक एवं अखिल भारतीय महामंत्री पं. दीनदयाल उपाध्याय की है। देश रो पड़ा। दो दीनदयाल मिलने की बात तो छोड़ दीजिए जो एक पं. दीनदयाल थे उन्हें भी हमसे छीन लिया गया। तब श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था-काल ने हमसे हमारा प्रकाश स्तंभ छीन लिया। अब तो तारों के प्रकाश में ही हमें रास्ता खोजना होगा। भले ही जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री की रहस्यमयी परिस्थिति में हत्या कर दी गयी, किंतु उनके द्वारा गढ़े गए प्रकाश कण राष्ट्र परिवर्तन की धुरी बन गये। इन हत्याओं के गर्भ से दो सवालों का जन्म हुआ। पहला था कि जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष और महामंत्री से किसको खतरा था? कौन डरता था, जनसंघ की राष्ट्रवादी नीति से? कौन चाहते थे कि जनसंघ को न पनपने दिया जाय? कौन लोग सोचते थे कि यदि जनसंघ ने देश को विभाजन और कश्मीर का सच तथा तुष्टीकरण की विघटनकारी साजिश के बारे में जानकारी दे दी तथा इस जानकारी में उन नामों का खुलासा हो गया जो इन षड्यंत्रों के लिये जिम्मेदार हैं तो भविष्य में ऐसे लोगों की राजनीतिक दुकानें बंद होने का खतरा हो सकता है।
दूसरा महत्वपूर्ण सवाल था कि आखिर दीनदयाल जी में क्या विशेषता थी जिसे देखकर डॉ. मुखर्जी ने दो दीनदयाल मिल जाने पर देश में परिवर्तन लाने का समर्थ्य निर्माण हो जाने की बात कही थी? वस्तुत: दीनदयाल जी की स्पष्ट दृष्टि, प्रबल झंझावतों से टकराने की क्षमता, कर्मपथ पर अहर्निश चलते रहने का सामर्थ्य और मानवीय तथा राष्ट्रीय संवेदनाओं के प्रति जीवंतता उनकी पहचान बन गयी थी। शायद यही सब कुछ डॉ. मुखर्जी ने 1952 में 36 वर्ष के दीनदयाल जी में देखा होगा। दीनदयालजी कहा करते थे कि रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत पूरी हो जाने पर सारे सुख मिल जायेंगे, ऐसा विचार रूस और चीन से आयातित विचार है। भारतीय जीवन शैली में केवल रोटी से आदमी की भूख नहीं मिटती। वे अपने एक परिचित कम्युनिस्ट से वार्ता की घटना सुनाते थे। एक दिन उन्होंने कम्युनिस्ट मित्र से पूछा कि आपकी दृष्टि में देश की समस्या क्या है? कम्युनिस्ट मित्र ने तुरंत उत्तर दिया रोटी, कपड़ा और मकान। इस पर दीनदयाल जी ने कहा कि चलिये, मैं इस समय से आपकी इन आवश्यकताओं को पूरा कर देता हूं अर्थात रहने का अच्छा मकान, पहनने के लिये अच्छे वस्त्र और खाने के लिए अच्छे भोजन का प्रबंध करा देता हूं, किंतु मेरी एक छोटी सी शर्त है कि प्रतिदिन शाम को भीड़-भाड़ वाले शहर के मुख्य चौराहे पर खड़ा करके आपको चार जूते भी लगाऊंगा। इस पर उन कम्युनिस्ट सज्जन ने तपाक से उत्तर दिया-ऐसा मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता हूं? वस्तुत: इसी मौलिक चिंतन की धारा से निकली थी दीनदयाल जी की स्पष्ट दृष्टि जिसमें मनुष्य केवल भौतिक जरूरतों तक सीमित नहीं है बल्कि उसे आत्मिक सुख की जरूरत होती है। आज समाज का बड़ा भाग अपनी निजी भौतिक सुख-सुविधाओं को या तो जुटाने में लगा है या फिर दोनों हाथों से बटोरने में लगा है? जबकि दीनदयाल जी तो किसी और ही माटी के मानव थे।
आश्विन कृष्ण त्रयोदशी संवत् 1973 तद्नुसार 25 सितम्बर 1916 को मथुरा के निकट फरह गांव में जन्मे दीनदयाल जी के पिता श्री भगवतीचरण उपाध्याय रेलवे में स्टेशन मास्टर थे। 7 वर्ष की बाल्यावस्था में ही माता-पिता की स्नेहछाया उनसे छिन गयी और इनके मामा ने इनका पालन-पोषण किया। यहीं से प्रारंभ हुआ पारिवारिक झंझावातों से मुकाबला करने का क्रम। मैट्रिक तक की शिक्षा राजस्थान के सीकर स्थित कल्याण हाईस्कूल से तथा इण्टर की शिक्षा पिलानी से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। बीए की शिक्षा कानपुर के सनातन धर्म महाविद्यालय से पूर्ण हुई। यहीं पर सन् 1937 में वे भाऊराव देवरस के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आये। एमए अंग्रेजी (पूर्वार्द्ध) की परीक्षा उन्होंने अपनी ममेरी बहन के यहां रहकर सेंट जॉन्स कालेज, आगरा से दी। किन्तु, उत्तरार्द्ध की परीक्षा नहीं दे सके क्योंकि ममेरी बहन का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उनकी सेवा में पहाड़ पर नैसर्गिक उपचार हेतु जाना पड़ा। आगे चलकर पढ़ाई को तो विराम लग गया पर जीवन की एक नयी यात्रा प्रारंभ हो गयी। सन् 1942-43 में वे लखीमपुर के जिला प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रत्यक्ष कार्य योजना में जुड़ गये। अपनी कर्मठता के कारण मात्र तीन वर्ष में ही यानी सन् 1945 में प्रांत प्रचारक भाऊराव जी के साथ सह प्रांत प्रचारक के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन करने लगे। 1947 में राष्ट्रधर्म (मासिक) के संस्थापक संपादक बने। पाञ्चजन्य का भी संपादन करके पत्रकारिता क्षेत्र की राष्ट्रीय भाव धारा को निरंतर प्रवाहमान बनाने में जुट गये।
खंडित आजादी की प्राप्ति के समय नेहरू की राष्ट्र-विरोधी नीतियों और सत्ता-लोलुपता के साथ ही कश्मीर समस्या के नासूर का निर्माण तथा व् ौचारिक विरोधियों को कुचलने की षड्यंत्रकारी योजना से दीनदयाल जी का मन बहुत व्यथित हुआ। गांधी हत्या के झूठे आरोप में संघ को फंसाने की साजिश और सच को सच कहने का अभाव भारत के राजनीतिक पटल पर स्पष्ट दिखायी दे रहा था। सत्ता की अहंकारी शक्ति राष्ट्रपति तक को सोमनाथ मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा समारोह में जाने से रोक रही थी और सरदार पटेल जैसे राष्ट्रभक्त को कालचक्र ने हमसे पहले ही छीन लिया था। ऐसी विषम परिस्थिति में उन्होंने समाज जीवन के कुछ मूर्धन्य विचारकों से मिलकर चिंतन और परामर्श किया। विचारकों के मन में भी प्रश्न केवल एक ही गूंज रहा था-
सत्य यदि दुर्बल हुआ तो, कौन इस पर कान देगा।
शक्तिशाली की गलत भी, बात यह जग मान लेगा।।
भारत में भविष्य के संकटों की झलक देखकर 21 सितम्बर 1951 को दीनदयाल जी ने लखनऊ में उ.प्र. जनसंघ की स्थापना कर दी, जिसने ठीक एक माह बाद 21 अक्तूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता और दीनदयाल जी के महामंत्रित्व में दिल्ली के अंदर अखिल भारतीय स्वरूप ग्रहण कर लिया। देश की एकता, अखण्डता, स्वाभिमान और पौरुष-पराक्रम से युक्त भारत का निर्माण अखिल भारतीय जनसंघ का जीवन संदेश बना। 1964 में जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी का समझौता केवल एक बिन्दु पर टूट गया, जब स्वतंत्र पार्टी ने शर्त रख दी कि पाकिस्तान और कश्मीर के बारे में जनसंघ अपनी नीति बदल दे। दीनदयाल जी ने उस समय कहा था कि जनसंघ उस किसी भी दल से, जो देश के किसी भी भूभाग को आक्रमणकारियों के हाथों में सौंपने का विचार रखता है, कोई समझौता नहीं कर सकता।
दीनदयाल जी केवल एक बार चुनाव लड़ा, उनका निर्वाचन क्षेत्र जौनपुर ब्राह्मण बहुल क्षेत्र था। जातिगत आधार पर प्रस्तावित एक बैठक में उनसे बोलने के लिए कहा गया, जिस पर उन्होंने साफ मना करते हुए कहा कि इससे भले ही दीनदयाल जीत जाय, लेकिन जनसंघ हार जायेगा। यह हमारे ध्येय के विरुद्ध है। स्पष्ट ध्येयमार्ग पर चलकर कड़ी मेहनत और कठिन तपस्या से उन्होंने जनसंघ को 1967 में उत्तर प्रदेश की सत्ता का भागीदार बना दिया। संविद सरकार में जनसंघ एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। मृत्यु से पूर्व 11 फरवरी 1968 तक लगातार उन्होंने चरैवेति चरैवेति का संदेश अपनी कर्मठता से दिया। सादगी की पराकाष्ठा तब समझ में आयी जब मृत्यु के बाद निजी सम्पदा के नाम पर कुछ जोड़ी कुर्ता-धोती और कुछ पुस्तकें ही मिल सकीं। 'इदं राष्ट्राय इदं न मम्' कहकर वे चल दिये। एकात्म मानव दर्शन दुनिया में तीसरा प्रमुख मार्ग बन गया, क्योंकि दीनदयाल जी ने राष्ट्रवादी विचारधारा के कार्यकर्ताओं का 'मास्टर माइन्ड ग्रुप' बनाया तथा लंदन में उन्होंने भारतीय मित्रों के बीच लंदन जनसंघ फोरम बनाकर प्रवासी भारतीयों को भी अपनी मातृभूमि के प्रति जाग्रत रखने का प्रयास किया।
आज बिना देह दीनदयाल जी की वैचारिक यात्रा चल रही है। आज भी कश्मीर का सच, देश की सीमाओं की असुरक्षा का सच, देश में हो रही गोहत्याओं का सच, आतंकवाद की चुनौतियों का सच, विघटनकारी तुष्टीकरण का सच, देश के काला धन जमाकर्ता और भ्रष्टाचारी लुटेरों का सच, भारत की संस्कृति पर हो रहे आघातों का सच, भारत की धरती पर विदेशी आक्रांताओं द्वारा निर्मित अपमान कारक प्रतीकों का सच, समय-समय पर लोकतंत्र की हत्या करने वालों का सच थोड़ी मात्रा में भी देश को बताने की हिम्मत केवल दीनदयाल जी की वैचारिक पृष्ठभूमि में पगे लोग ही कर रहे हैं।   -साकेन्द्र प्रताप वर्मा

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Ahmedabad Plane Crash: उड़ान के चंद सेकंड बाद दोनों इंजन बंद, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Ahmedabad Plane Crash: उड़ान के चंद सेकंड बाद दोनों इंजन बंद, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

आरोपी

उत्तराखंड: 125 क्विंटल विस्फोटक बरामद, हिमाचल ले जाया जा रहा था, जांच शुरू

उत्तराखंड: रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies