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आवरण कथा 'बात निकली तो फिर ' से एक बार फिर पाकिस्तान का दोगला चेहरा बेनकाब हुआ है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के साथ पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के साथ होने वाली वार्ता स्थगित होनी ही थी। भला क्या औचित्य था कश्मीर के हुर्रियत नेताओं को बैठक में बुलाने का? भारत सरकार ने ठीक समय पर सही निर्णय लिया। सत्य यही है कि पाकिस्तान एक विश्वसनीय देश हो ही नहीं सकता। पाकिस्तानी आतंकी नावेद ने एनआईए के सामने स्वीकार किया कि हाफिज सईद उसे आतंक का पाठ पढ़ाता था। पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों को प्रशिक्षित करते हैं। जबकि पाकिस्तानी सरकार हाफिज सईद को पूरा सहयोग देती है। उसकी सब प्रकार से सहायता करती है। ऐसे में द्विपक्षीय वार्ता का कोई अर्थ नहीं है। पाकिस्तान आतंकवादियों की शरण स्थली है। एक ओर जहां दुनिया के तमाम देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान आतंकियों को शरण दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ वार्ता तो दूर की बात किसी भी तरह का कोई व्यवहार भी नहीं रखना चाहिए।
—कृष्ण वोहरा
मोहल्ला जेल ग्राउंड मकान सं-641 सिरसा (हरियाणा)
ङ्म 'भगवान की तिजोरी और सेकुलर चोरी' लेख बहुत ही जानकारीप्रद है। भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां हिंदुओं के हितों के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जाता है और मुसलमानों को भारत के समस्त संसाधनों का प्रथम अधिकारी बताया जाता है। हिन्दुओं के आस्था केंद्रों पर आने वाले चढ़ावे को हिन्दू हितों से हटकर प्रयोग करना तो अनेकों उदाहरणों में से एक मात्र उदाहरण है। तथाकथित सेकुलरों के द्वारा हिन्दू मंदिरों के चढ़ावे पर गिद्ध दृष्टि डालने का दुस्साहस करना हिन्दू समाज की कमजोरी को दर्शाता है। हम मंदिरों में दान देते हैं लेकिन इस दान का प्रयोग कौन कर रहा है इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझते। हिन्दू समाज अनेकों जातियों और उपजातियों में बंटा हुआ है, इस बात को सेकुलर जमात अच्छी तरह जानती है। यदि हमें अपने धर्म की रक्षा करनी है तो एक होकर रहना सीखना होगा, क्योंकि सामाजिक रूप से बंटे होने के कारण राष्ट्र विरोधी ताकतें हिन्दुओं का गलत फायदा उठाती हैं। हमारे धन और संसाधनों का हमारे ही हितों के विरुद्ध प्रयोग होता है। हमें चाहिए हम इसके खिलाफ आवाज उठाएं और एकजुट होकर रहें।
—अश्वनी जोगड़ा, महम (रोहतक)
ङ्म आजकल पाकिस्तान के मंत्री और संतरी सभी भारत को अपने परमाणु बमों का भय दिखाने में जुटे हुए हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने तो हद कर दी और यहां तक कह दिया कि यदि युद्ध हुआ तो पाकिस्तान भारत का इतना नुकसान करेगा कि लम्बे अरसे तक लोग इसे भूल नहीं पाएंगे। पाक के विदेश मंत्री का बयान इस कहावत को बिल्कुल सही चरितार्थ करता है कि 'थोथा चना बाजे घना' पाकिस्तान शायद 1971 को भूल गया है जब उसकी फौज ने भारतीय फौज के सामने घुटने टेक दिए थे। पाकिस्तानी शासकों ने हाथ पैर जोड़कर अपने सैनिकों को छुड़वाया था। इससे पहले 1965 में इच्छोगिल नहर पार करके भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच गई थी। हर बार मुंह की खाने वाला पाकिस्तान अब फिर से 'बड़े बोल' बोल रहा है। वह शायद भूल रहा है कि हम पाकिस्तान के मुकाबले हर तरह से सक्षम हैं। हम उदारहृदयी जरूर हैं पर कमजोर किसी भी तरह से नहीं हैं। पाकिस्तान को यह जान लेना चाहिए कि यदि इस बार उसने कोई ऐसी हिमाकत की तो वह युद्ध की विभीषिका को झेल नहीं पाएगा। इसलिए भलाई इसी में है कि वह अपनी हद में ही रहे, बेकार के बयान से तनाव की स्थिति पैदा न करे।
अरुण मित्र,
रामनगर दिल्ली-51
ङ्म फतवा एक ऐसा आदेश या फरमान है जो तर्क तथ्यों से परे हैं। इन फतवों का मजहब से कोई संबंध नहीं हैं। मौलवियों व मुफ्तियों द्वारा बेमतलब में जारी किए गए फतवों को स्वयं मुसलमान भी तवज्जो नहीं देते हैं। ऐसे में इस तरह का फतवा जारी करना कि इस्लाम में 'दाढ़ी कटवाना' इस्लामिक शिक्षा और सुन्नत के खिलाफ है' इस फतवे को कोई मानने को तैयार नहीं है। जाहिर है मुस्लिम समाज भी बेकार के फतवों को लेकर गंभीर नहीं होता है। 'फतवे पर भारी उस्तरा' शीर्षक से प्रकाशित रपट में मुसलमानों ने खुले तौर पर अपनी राय रखी। जिन लोगों का रोजगार इससे जुड़ा है वे चाहकर भी इसे नहीं मान सकते। सही मायनों में फतवों का संकीर्ण और तर्कहीन संदेश किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है। पाकिस्तान जो भी करता है उसके पीछे इस्लामिक विचारधारा है। इस्लाम की विचारधारा हमेशा से विस्तारवादी रही है। आज भी इस्लामिक कट्टरपंथी महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी को अपना नायक मानते हैं। पाकिस्तान ने बाकायदा अपनी मिसाइलों के नाम 'गजनवी' और 'गौरी' रखे हैं। इस्लाम पूरी दुनिया को दो भागों में बांटता है, दारुल इस्लाम और दारुल हरब। उनका एक मात्र उद्देश्य है गैर इस्लामिक क्षेत्र दारुल हरब को पूर्ण इस्लामिक क्षेत्र दारुल इस्लाम में परिवर्तित करना। पाकिस्तान में बैठे इसी विचारधारा के लोग इस कार्य में पूरे तरीके से लगे हुए हैं। इस्लाम का इतिहास उठाकर देखें तो उसका दर्शन अराजकता फैलाने और युद्ध करने में ही विश्वास रखता है। वर्तमान में सबसे दुर्दांत आतंकी संगठन आईएसआईएस को ही ले लीजिए। उसने बर्बरता की सीमाएं पार कर दी हैं। इसके अलावा अलकायदा, तालिबान, मुस्लिम ब्रदरहुड, बोकोहराम, लश्कर ए तैयबा जैसे सैकड़ों मुस्लिम संगठन विश्वभर में फैले हुए हैं।
—कुमुद कुमार
आदर्शनगर, नजीबाबाद ( बिजनौर)
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