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हरियाणा के बल्लभगढ़ स्थित गांव फतेहपुर बिल्लोच में बरसों से गेहूं व धान की फसल उगाने वाले किसानों ने पिछले कुछ वर्षों से फूलों की खेती शुरू कर दी है। इस गांव के किसान दिल्ली के गाजीपुर फूल मंडी में रजनीगंधा की आपूर्ति करने में हरियाणा में पहले स्थान पर हैं। व्यापार मेले और शादी-ब्याह के दौरान भी यहां से बड़े स्तर पर फूलों की आपूर्ति की जाती है। अनाज मंडी में मुनाफा नहीं मिलने पर किसानों ने गेहूं की खेती छोड़कर फूलों की खेती शुरू कर दी। इससे किसानों का न केवल मुनाफा बढ़ा है, बल्कि राज्य स्तर पर इन गांववासियों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर भी मिला है। फतेहपुर बिल्लोच में करीब 200 से 250 किसान परिवार हैं जिनमें से 80 से 90 परिवार वालों ने गेहूं, धान या सब्जी की खेती छोड़कर फूलों की खेती शुरू कर दी है। यहां रजनीगंधा फूलों की खेती की जा रही है। गांव से रोजाना गाजीपुर मंडी में फूलों की आपूर्ति जारी है। कभी गेहूं की खेती करने वाले किसान राधा रमन शर्मा ने बताया कि वे वर्ष 1986 से अपनी पुश्तैनी खेती करते आ रहे थे, लेकिन वर्ष 2006 से उन्होंने फूलों की खेती करनी शुरू कर दी। वर्ष में छह माह गेहूं और छह माह धान की फसल बोते थे। इसके बाद भी मंडी में अनाज बेचने के बदले मुनाफा तो होता नहीं था उल्टे मौसम बिगड़ने पर फसल बर्बाद होने की आशंका भी बनी रहती थी। इस कारण उन्होंने गेहूं और धान की खेती बंद कर दी। इसके पीछे उन्हें गांव में पहले से फूलों की खेती कर रहे किसानों से प्रेरणा मिली।
वर्तमान में ये करीब 10 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती कर रहे हैं। किसानों का दावा है कि उनका गांव रजनीगंधा फूलों की खेती में राज्य में पहली पायदान पर है। गाजीपुर मंे रजनीगंधा फूलों की आपूर्ति करने में फतेहपुर बिल्लोच गांव सबसे आगे है। यहां से दिल्ली अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेले में विशेषतौर पर देश के विभिन्न राज्यों के मंडपों में फूल पहंुचाए जाते हैं। यहां के फूलों से मंडप सजाये जाते हैं और प्रत्येक किसान का 14 दिनों में कई लाख रुपए का कारोबार हो जाता है। उन्होंने बताया कि फूलों की खेती शुरू करने के वक्त केन्द्र सरकार की ओर से 'राष्ट्रीय बागवानी मिशन' की ओर से फूलों की खेती करने के लिए पूरी मदद की गई थी। उस समय बीज नि:शुल्क दिए जाते थे, लेकिन अब यह व्यवस्था नहीं है। इससे किसानों को अब बीज अपनी ओर से खरीदकर लाना पड़ता है जिसमें से कई बार 40 से 50 फीसद पौध खराब भी हो जाती है। रजनीगंधा की फसल एक बार बोने पर दो वर्ष तक फसल चलती है। पूरे साल रजनीगंधा की खेती होती है और अप्रैल-मई माह को छोड़कर पूरे वर्षा उसकी आपूर्ति की जाती है। ल्ल
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