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याद किए गए स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती

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Sep 14, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 14 Sep 2015 12:21:08

गत दिनों ओडिशा में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती के बलिदान दिवस को पूरे राज्य में 'धर्म रक्षा दिवस' के रूप में मनाया गया। इसी कड़ी में भुवनेश्वर में 5 सितम्बर को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि सात वर्ष पहले स्वामी लक्ष्मणानन्द जी की हत्या चर्च से जुड़े अपराधियों ने कर दी थी। उन्होंने उड़ीसा में समाज के वंचित व दुर्बल वर्ग की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती वास्तव में ब्रह्मज्ञानी थे। उन्होंने गुफाओं में ध्यान करने के बजाय समाज के वंचित वर्ग के अंदर स्थित ब्रह्म को पहचाना तथा उनके उत्थान के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया। स्वामी जी वेदों के ज्ञाता थे। संस्कृत भाषा के लिए उन्होंने जो कार्य किया है उसे भुलाया नहीं जा सकता। कंधमाल जैसे पिछड़े जिले में उन्होंने संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय की स्थापना कर जनजातीय बालक-बालिकाओं को संस्कृत पढ़ाई तथा उनमें से अधिकांश आज राज्य के अनेक विद्यालयों में संस्कृत शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं। गो माता की रक्षा के लिए वह सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने गो हत्या पर पूर्ण रोक लगाने के लिए अनथक प्रयास किया। कन्वर्जन के कारण हिन्दुओं की संख्या निरंतर घटने के कारण वह चिंतित रहते थे।
विशिष्ट अतिथि उत्कल संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ़ विमलेंदु महांति ने कहा कि हिन्दू समाज के समक्ष संकट आज भी है। जिन परिस्थितियों में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने संघर्ष किया और उनकी हत्या की गई, वैसी परिस्थिति आज भी है। मुख्य वक्ता और दैनिक समाचार पत्र 'श्रुति' के संपादक सर्वेश्वर मिश्र ने कहा कि स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने अन्याय व अत्याचार के विरोध में लोगों को जागरूक किया तथा उनके उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने धर्म व संस्कृति की सुरक्षा के लिए कार्य किया। जिन्हें उनके कार्यों से दिक्कत हो रही थी उन्होंने स्वामी जी की हत्या करवाई। दुर्भाग्य से सात वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उनके हत्यारों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मनसुखलाल सेठिया ने की, जबकि संचालन डॉ़  लक्ष्मीकांत दास ने किया।   – समन्वय नंद

'संस्कृत अपनी शक्ति के बल पर बढ़ेगी'
पिछले दिनों भारत संस्कृत परिषद् द्वारा नई दिल्ली स्थित झंडेवालान मंदिर के सभागार में 'वैश्विक संस्कृत' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि संस्कृत  को विश्व स्वीकार कर रहा है। इस पर और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली  के  कुलपति  प्रो़ रमेश  कुमार  पाण्डेय  ने  कहा  कि अब तो सोशल मीडिया का युग है। इसे अपनाकर संस्कृत को अधिकाधिक  फैलाया जा सकता है। भारत संस्कृत परिषद् के महामंत्री आचार्य राधाकृष्ण मनोड़ी ने कहा कि संस्कृत अपनी शक्ति के बल पर दुनिया में प्रतिष्ठा पाएगी।  संस्कृत  विद्यापीठ  के  ज्योतिष एवं वास्तु विभाग प्रमुख प्रो़ देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत के पाठ्यक्रम को बदलते समय के अनुरूप बनाने  की जरूरत है।  दिल्ली प्रदेश विश्व हिन्दू परिषद् के संगठन मंत्री डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि हम सामान्य लोगों के बीच विश्व में संस्कृत को मिल रहे सम्मान की चर्चा करेंगे तो निश्चित रूप से सभी का इस भाषा के प्रति रुझान बढ़ेगा।  इस अवसर पर अनेक संस्कृत साधकों का स्वागत किया गया।       – प्रतिनिधि

बाबा बंदा सिंह बहादुर जी का 300 साला शहीदी दिवस
शिरोमणि शहीद बाबा बंदा सिह बहादुर जी के 300 साला शहीदी दिवस मनाने के लिए नान्देड़ जा रहे जत्थे का स्वागत 31 अगस्त को नई दिल्ली स्टेशन पर किया गया। इस अवसर पर सिख संगत के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री अविनाश जायसवाल ने कहा कि मुगल सम्राट की ईंट से ईंट बजाते हुए उसको जड़ से उखाड़ फेंककर बाबा बंदा सिंह बहादुर ने जो स्वर्णिम इतिहास रचा, वह हिन्दुस्थान का गौरवमयी पृष्ठ है। उल्लेखनीय है कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर अन्तरराष्ट्रीय फाउंडेशन द्वारा 9 जून, 2015 से 9 जून, 2016 तक शहीद बाबा बंदा सिंह बहादुर जी का 300 साला शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। इसके लिए एक दल नान्देड़ गया है। 300 साला शहीदी दिवस पर देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसी कड़ी में 9 जून, 2016 को दिल्ली में विशाल समागम  होगा। 

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