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अंक संदर्भ : 12 जुलाई, 2015
आवरण कथा 'सेल्फी में लाडली'अच्छी लगी। बेटी बचाओ मुहिम से प्रधानमंत्री ने पूरे देश को संदेश दिया है कि बेटियां ही हमारा गौरव हैं। कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे अनैतिक कामों से मुक्ति पाना ही ऐसे अभियानों का लक्ष्य है। आज अधिकतर क्षेत्रों में बेटियों ने शीर्ष स्थान पाकर अपने माता-पिता का ही नहीं बल्कि देश का मान बढ़ाया है। जमीन से लेकर आकाश तक में जाकर अपनी शक्ति का भान जगत को कराया है और बताया कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। इसलिए अब समय की मांग है कि ऐसे अनैतिक कायोंर् को भारत से विदा होना चाहिए और बेटियों के लिए एक स्वच्छ वातावरण तैयार करना चाहिए।
—हरिओम जोशी, भिण्ड (म.प्र.)
ङ्म हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव के सरपंच सुनील जगलान ने बेटियों के संरक्षण के लिए अभियान चलाया है। 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने इस नेक कार्य के लिए इनका जिक्र भी किया। मौजूदा दौर में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान देश की जरूरत है। हम अपनी नकारात्मक सोच को त्यागकर बेटियों को बेटों के बराबर रखें। अपने परिवारों में बेटियों की उपेक्षा न करें, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त अवसर दें। क्योंकि आज समान रूप से प्रत्येक क्षेत्र में बेटियां परचम लहरा रही हैं।
—कृष्ण वोहरा
जेल मैदान, सिरसा (हरियाणा)
ङ्म भारत के प्रधानमंत्री ने 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान से एक मूक संदेश दिया है कि देशवासी प्रत्येक बेटी को उनका हक दें। वषोंर् से हम बेटियों पर अत्याचार करते आए हैं। जन्म होने से पहले ही गर्भ में उनको मार देते हैं। सिर्फ इसलिए कि वह बेटा नहीं है? लेकिन बेटियों का सुख तब याद आता है, जब वे ससुराल चली जाती हैं। क्योंकि उनके होने से ही घर चहकता है,आबाद होता है और उनका आभास घर में प्रकाश पैदा करता है। इतनी खूबियों के बाद भी हमारा समाज बेटियों का दुश्मन बन जाता है।
—राममोहन चन्द्रवंशी
टिमरनी, हरदा (म.प्र.)
ङ्म पाञ्चजन्य ने प्रधानमंत्री की बेटियों के संरक्षण के लिए शुरू की गई मुहिम को आगे बढ़ाया है। शायद बेटियों की महत्ता एवं समाज में उनकी भूमिका से सभी अवगत हैं। महाराज शिवाजी जैसे योद्धा का निर्माण मातृशक्ति ने ही किया। संस्कारयुक्त पीढ़ी को खड़ा करने का श्रेय मातृशक्ति को ही जाता है। इसलिए प्रत्येक परिवार को चाहिए कि बेटियों को जितना आगे बढ़ा सकें उतना बढ़ाएं। क्योंकि सच में यह हमारा मान रखेंगी।
—रूपसिंह सूर्यवंशी
निम्बाहेड़ा (राज.)
ङ्म समाज के सभी व्यक्तियों को सकारात्मक रूप में एकमत होकर बेटियों के मामले पर गहनता से विचार करना चाहिए। क्योंकि कुछ रूढि़वादी लोग अभी भी बेटियों के जन्म लेते ही ऐसे हाव-भाव प्रकट करने लगते हैं, जैसे बहुत बड़ा अनर्थ हो गया हो लेकिन उसके उल्ट बेटों के जन्म पर चहकने लगते हैं। यह गलत है। प्रधानमंत्री ने इस मुहिम को शुरू कर सामाजिक दशा को सुधारने का अभूतपूर्व प्रयास किया है।
—संतोष, उत्तम नगर (नई दिल्ली)
ङ्म बेटियों को सिर आंखों पर बैठाना हमारे समाज के लिए गर्व की बात है। बदलाव के वातावरण में बेटियों के प्रति जो विश्वास बढ़ा है, वह गौरव की बात है। सुख-दु:ख में वह हम सभी के साथ किसी न किसी रूप में खड़ी होती है। प्रधानमंत्री के एक आह्वान पर लाखों लोगों ने अपनी बेटियों के साथ सेल्फी बांटकर सोशल साइट्स पर इस अभियान को गति दी है।
—हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इन्दौर (म.प्र.)
योग की फैलती ख्याति
योग ने विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। कालान्तर में योग को जानबूझकर भुलाया गया। इसके पीछे सेकुलरों की मानसिकता साफ झलकती है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि योग से लोग लाभान्वित हों। उन लोगों को योग का एक पक्ष दिखाई देता है कि योग से सनातन धर्म की ख्याति फैलेगी। ख्याति न फैले इस कारण से वे योग का विरोध करते हैं।
—आचार्य त्रिनाथ
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ङ्म योग अति प्राचीनकाल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। भारतीय संस्कृति के समान ही विश्व की समस्त सभ्यताओं और जीवन पद्धतियों पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है। लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि योग की चहंुओर ख्याति फैलती देख कुछ कट्टरपंथियों के पेट में मरोड़ होने लगी और वे योग को हिन्दू व्यवस्था से जोड़कर समाज में भ्रान्तियां फैलाने लगे। आखिर ये कट्टरपंथी देश और समाज को अपने लालच के लिए क्यों गुमराह करते हैं? क्या वे नहीं चाहते कि सभी सुखी और स्वस्थ रहें? जबकि प्रधानमंत्री जी ने उसी दिन हुए अपने कार्यक्रम में स्पष्ट किया था कि योग किसी की बपौती नहीं है, फिर क्यों बेबुनियाद शोर इन कट्टरपंथियों द्वारा मचाया गया? ये कुछ सवाल हैं जो सोचने पर विवश करते हैं कि क्या ये लोग भारत का भला नहीं चाहते हैं?
—डॉ. सुशील गुप्ता, सहारनपुर (उ.प्र.)
ङ्म पूरे विश्व ने 21 जून को योग दिवस मनाया। इस दिन ऐसा लगा कि मानो स्वस्थ रहने की चाबी सभी को मिल गई हो। बाबा रामदेव जैसे अनेक योग साधकों की साधना इस दिन सफल हो गई। ऐसा नहीं है कि योग करने से किसी को कम या ज्यादा लाभ होगा। इसको करने से सभी को समान लाभ होने वाला है। देश के बुद्धिजीवियों ने इस बात को समझा और इस अभियान को सफल बनाया। यह सभी देशवासियों के लिए गौरव की बात है।
—डॉ. टी.एस. पाल
चंदौसी,संभल (उ.प्र.)
अलग कानून क्यों?
लेख 'वहाबी सोच का जहर' में एक खतरनाक मानसिकता का विश्लेषण किया गया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आज की प्रासांगिता पर विचार करना अतिआवश्यक है। वर्तमान समय में जब समान कानून की बात हो रही है, ऐसे में मुसलमानों के लिए अलग कानून गले से नीचे नहीं उतरता। सवाल है कि मुसलमानों के लिए देश में अलग कानून क्यों? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भी देश में समान कानून लागू करने की बात आती है तो तथाकथित सेकुलर शोर मचाकर वोट बैंक साधने लगते हैं। क्योंकि राजनीतिक दलों को मुसलमानों के रूप में वोट बैंक दिखाई देता है। सेकुलर दल नहीं चाहते कि मुसलमान छोटी सोच से बाहर आएं ताकि उनका विकास हो सके। वे सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना जानते हैं और सदैव से यही करते आए हैं।
—मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग (म.प्र.)
ङ्म मुस्लिम समाज रूढि़वादी है। वह समय के साथ बदलने को कम ही तैयार होता है, लेकिन उसको जहां पर अपना फायदा दिखाई देता है वह तत्काल गिरगिट की तरह रंग बदल लेता है। अनेक सरकारों ने तुष्टीकरण की नीति को ध्यान में रखते हुए कई लाभ से जुड़ी योजनाएं चला रखी हैं। मुसलमान इन योजनाओं का जमकर लाभ उठाते हैं। इसके बाद भी वे समय-समय पर रुदन करते रहते हैं कि हमें अलग से लाभ दिए जाएं। लेकिन देश की जनता चाहती है कि इस प्रकार की योजनाओं को तत्काल बंद किया जाए क्योंकि देश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति समान है।
—आई.डी. गुलाटी
बुलन्दशहर (उ.प्र.)
आरक्षण की आग
देश में आरक्षण की आग दिन-प्रतिदिन फैलती जा रही है। आरक्षण के कारण योग्य व्यक्तियों की अनदेखी हो रही है, जो रात-दिन एक करके तमाम संघर्ष झेलकर अध्ययन करते हैं। लेकिन जब कहीं नौकरी या किसी स्थान पर प्रवेश की बात आती है तो उन योग्य व्यक्तियों की अनदेखी कर दी जाती है और वहीं पर आरक्षण वाला व्यक्ति काबिज हो जाता है। क्या यह उन संघर्षशील व्यक्तियों के साथ अन्याय नहीं है? इस व्यवस्था से देश योग्य व्यक्तियों को नहीं खो रहा ? इस पूरे मुद्दे पर बहस वर्तमान समय में अति-महत्वपूर्ण है।
—शन्ति स्वरूप सूरी
नेहरू मार्ग, झांसी (उ.प्र.)
मिशनरियों की हकीकत
देश में कथित सेवा की आड़ में ईसाई मिशनरियां कन्वर्जन कर रही हैं। कुछ समय से इनके कार्यों में शिथिलता आई है। असल में वषोंर् से कांग्रेस सरकार से उनको जो ऊर्जा मिल रही थी वह केन्द्र में सरकार बदलते ही समाप्त हो गई। इसलिए उन्होंने भारत की छवि खराब करने की पूरी कोशिश की और वे इसमें सफल भी हुए। उन्होंने विश्व समुदाय के सामने यह संदेश देने की कोशिश की कि भारत में ईसाई सुरक्षित नहीं हैं और आए दिन स्थान-स्थान पर ईसाइयों पर हमले हो रहे हैं। भारत यात्रा के दौरान अमरीका के राष्ट्रपति ने इस मामले पर चिंता जाहिर कर इनको और बल देने का काम किया। आखिर मिशनरियों की कारगुजारियों पर किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता?
रामदास गुप्ता
जनता मिल (जम्मू-कश्मीर)
ङ्म मुस्लिम समाज रूढि़वादी है। वह समय के साथ बदलने को कम ही तैयार होता है, लेकिन उसको जहां पर अपना फायदा दिखाई देता है वह तत्काल गिरगिट की तरह रंग बदल लेता है। अनेक सरकारों ने तुष्टीकरण की नीति को ध्यान में रखते हुए कई लाभ से जुड़ी योजनाएं चला रखी हैं। मुसलमान इन योजनाओं का जमकर लाभ उठाते हैं। इसके बाद भी वे समय-समय पर रुदन करते रहते हैं कि हमें अलग से लाभ दिए जाएं। लेकिन देश की जनता चाहती है कि इस प्रकार की योजनाओं को तत्काल बंद किया जाए क्योंकि देश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति समान है।
—आई.डी. गुलाटी
बुलन्दशहर (उ.प्र.)
आरक्षण की आग
देश में आरक्षण की आग दिन-प्रतिदिन फैलती जा रही है। आरक्षण के कारण योग्य व्यक्तियों की अनदेखी हो रही है, जो रात-दिन एक करके तमाम संघर्ष झेलकर अध्ययन करते हैं। लेकिन जब कहीं नौकरी या किसी स्थान पर प्रवेश की बात आती है तो उन योग्य व्यक्तियों की अनदेखी कर दी जाती है और वहीं पर आरक्षण वाला व्यक्ति काबिज हो जाता है। क्या यह उन संघर्षशील व्यक्तियों के साथ अन्याय नहीं है? इस व्यवस्था से देश योग्य व्यक्तियों को नहीं खो रहा ? इस पूरे मुद्दे पर बहस वर्तमान समय में अति-महत्वपूर्ण है।
—शन्ति स्वरूप सूरी
नेहरू मार्ग, झांसी (उ.प्र.)
मिशनरियों की हकीकत
देश में कथित सेवा की आड़ में ईसाई मिशनरियां कन्वर्जन कर रही हैं। कुछ समय से इनके कार्यों में शिथिलता आई है। असल में वषोंर् से कांग्रेस सरकार से उनको जो ऊर्जा मिल रही थी वह केन्द्र में सरकार बदलते ही समाप्त हो गई। इसलिए उन्होंने भारत की छवि खराब करने की पूरी कोशिश की और वे इसमें सफल भी हुए। उन्होंने विश्व समुदाय के सामने यह संदेश देने की कोशिश की कि भारत में ईसाई सुरक्षित नहीं हैं और आए दिन स्थान-स्थान पर ईसाइयों पर हमले हो रहे हैं। भारत यात्रा के दौरान अमरीका के राष्ट्रपति ने इस मामले पर चिंता जाहिर कर इनको और बल देने का काम किया। आखिर मिशनरियों की कारगुजारियों पर किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता?
रामदास गुप्ता
जनता मिल (जम्मू-कश्मीर)
पुरस्कृत पत्र
कम समय में ज्यादा काम
कुहासे व कोहरे की धुंध के बीच प्रकाश की एक किरण संभावना के नित नये सोपान लाती है। पिछले कुछ सालों में भ्रष्टाचार व घोटालों के शोर से आम भारतीय तिलमिला गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि उसने इस चुनाव में सोच-समझकर जनहित का भान रखते हुए अपना फैसला दिया। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी के रूप में उसे विश्वास की किरण दिखाई दी। उसने मोदी को आइना समझकर सपने देखे और कई अपेक्षाएं भी कीं। अब सरकार को एक वर्ष से ज्यादा समय हो गया है। सरकार के काम का आकलन करें तो पाते हैं कि कहीं न कहीं आमजन की इस सरकार से अपेक्षायें पूरी भी हुई हैं। सरकार बनते ही भ्रष्टाचार व घोटालों का शोर थम गया। इस अवधि में अनेक अवसर ऐसे आए जब आम भारतीयों का सीना 56 इंच का हुआ। भारत के प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत छवि, आत्मविश्वास एवं कूटनीति के कारण विश्व में भारत का मस्तक ऊंचा हुआ। 26 जनवरी, 2015 के गणतंत्र दिवस समारोह में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की मौजूदगी से अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों को एक नई दिशा मिली। भारत-अमरीका परमाणु ऊर्जा समझौता हुआ। फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जेट की संधि होने से वायुसेना की ताकत बढ़ी। भारत ने उत्तर-पूर्वी चीन सीमा पर सड़क बनाना प्रारंभ किया है, जिससे भारतीय सेना का मनोबल बढ़ा है। तो वहीं आस्ट्रेलिया भारत को 3500 टन यूरेनियम देने को राजी हुआ है। 42 वषार्ें के बाद कनाडा से भारत को यूरेनियम देने की संधि हुई है। ऐसी ही कई संधियां नेपाल और भूटान के साथ भी हुईं, जिससे आने वाले दिनों में भारत को लाभ होने वाला है। इसी प्रकार मोदी सरकार ने एक वर्ष में ही भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में अनेक कार्य किये हैं। सबसे प्रमुख बात कि इस सरकार ने लाखों गरीब परिवारों के बैंक मे खाता खुलवाए हैं, जो अभी तक उनकी पहंुच से दूर थे। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी अनेक योजनाएं चलाकर देश के लोगों को लाभ दिया है।
— भवर सिंह नरवरिया अटेर रोड, भिण्ड (म़ प्ऱ)
अभी लड़ाई बाकी है
नींद उड़ी नीतीश की, लालू हैं बेचैन
तीर निशाने से हटा, टूट गई लल्टेन।
टूट गई लल्टेन, कमल का फूल खिला है
बी.जे.पी को मानो नव उत्साह मिला है।
कह 'प्रशांत' लेकिन इतना मत फूलो भाई
है बिहार में बाकी असली अभी लड़ाई।।
-प्रशांत
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