घर-घर जाकर जगाई शिक्षा की अलख
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

घर-घर जाकर जगाई शिक्षा की अलख

by
May 30, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 May 2015 15:24:40

 

हनुमान फरड़ोदा
सरपंच, फरड़ोद (राज.)

विदेश से ऊंची डिग्री लेने के बाद अपने गांव लौटकर हनुमान ने गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने को बनाया जीवन-लक्ष्य।

मैं वैसे तो वर्षों तक विदेश में रहा, लेकिन मन सदैव अपने गांव के लोगांे, वहां की पगडंडियांे, खेत-खलिहानों, नहर-तालाबों, गली-कूचों में ही रमा रहता था। स्वयं के घर-परिवार में संपन्नता होते हुए भी मन में विपन्नता का भाव सताता था। मेरे मन में सदा एक टीस रहती कि कैसे भी गांव को, यहां के बाशिन्दों को, यहां की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए। इन सभी दुखों को समझते हुए विदेशी धरती और वहां सुख-सुविधाओं को तिलांजलि देकर मैं अपने गांव फरड़ोद, राजस्थान आ गया। यहां के लोगों ने भी मेरे भाव को समझा और सरपंच रूप में चुना। घर में दो भाइयों में मेरे बड़े भाई डॉ. प्रह्लाद पहले से ही इंग्लैड में बसे थे और वहीं पर रहकर चिकित्सा कार्य करते हैं। वहीं मैं 12वीं तक की शिक्षा ले रहा था। भाई की प्रेरणा और उनकी इच्छा से पढ़ाई के लिए सिंगापुर जाना तय हुआ। पहले तो मेरे भी विचार में था कि किसी भी प्रकार अच्छा पढ़कर अच्छी नौकरी पा लूं और बस फिर जीवन चलता रहेगा। मैंने इसी को ध्यान में रखकर मैनेजमेंट में सिंगापुर से डिप्लोमा किया। वहां रहकर सैकड़ों देशी-विदेशी लोगों से मिलना हुआ। उनसे काफी कुछ सीखने को मिला और यहीं से मन में कुछ-कुछ परिवर्तन आना शुरू हो गया। मन में प्रश्न आने लगा कि हमारे जीवन का ध्येय क्या है? हम अपने गांव व समाज के लिए क्या कर रहे हैं? जिस रज-कण में खेलकर हम बड़े हुए उस रज-कण के प्रति हमारा क्या योगदान बनता है। मन में द्वंद्व चल रहा था। इसी दौरान आस्ट्रेलिया के आस्टे्रलियन बिजनेस स्कूल में प्रवेश मिल गया। यहां रहकर मैंने (बी.बी.ए.) किया और बिजनेस के गुर सीखे। लेकिन एक दिन विद्यालय में मेरे मन में विचार आया कि आज मैं विदेश में शिक्षा प्राप्त कर रहा हूं लेकिन हमारे कुछ साथी अभी भी बड़े सामान्य विद्यालय में शिक्षा ले रहे हैं या अच्छी शिक्षा न मिलने के कारण छोटा-मोटा व्यापार कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। गांव का विचार मन में बराबर चित्त को अशान्त कर रहा था। इसी दौरान मैंने वहीं पर अच्छी-खासी पार्टटाइम नौकरी शुरू कर दी। लेकिन मेरा मन इससे संतुष्ट नहीं था।  मैं अपने लोगों के लिए कुछ करना चाह रहा था और यही मेरे पिताजी चौ.भूराराम भी चाहते थे कि एक बेटा गांव में रहकर सामाजिक कार्य करें और यहां के सुख-दुखों को दूर करने काम करे। इसी बात को लेकर मेरी पिता जी से बात हुई। इस दौरान ऐसा लगा कि दो मन एक हो गए हों। वह चुनाव नहीं लड़ सकते थे इसलिए उन्होंने चुनाव मुझे लड़ाया और गांव के लोगों ने वोट देकर मुझे विजयी बनाया। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा गांव में कुछ करने को जो  सपना बना था वह आकार ले रहा है। अभी वैसे मुझे सरपंच बने ज्यादा दिन नहीं हुए हैं लेकिन मैं अभी से अपने गांव में स्थित विद्यालय में बच्चों को जाने के लिए प्रेरित कर रहा हूं। गांव के प्रत्येक घर में जाकर स्वयं शिक्षा का महत्व बता रहा हूं। मैं उन्हें विश्वास दिला रहा हूं कि आप अपने बच्चों को विद्यालय भेजिए, अन्य चीजों को मैं देखूंगा। मैंने इस दौरान शिक्षा अधिकारियों से अच्छी शिक्षा कैसे मिले इस संबंध में बात की है। उनकी मूलभूत जरूरतों को दूर करने का पूरा प्रयास कर रहा हूं। कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे यह हमारा एक स्वप्न है और मुझे विश्वास है कि यह जरूर पूरा होगा। साथ ही गांव के सरपंच होने के नाते जिन क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा हूं उनमें हरियाली को बढ़ावा देना प्रमुख है। मैंने प्रयास किया है कि मेरी ओर से भी और यहां के लोगों की ओर से भी ज्यादा से ज्यादा हरे वृक्ष लगाए जाएं।           ल्ल

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies