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पुणे के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने ग्रामीण अंचल तलेगांव से के. मुरलीधरन एवं इस्माइल हमजा को अपनी गिरफ्त में लिया है। इससे एक बार फिर से पुणे व आसपास के क्षेत्रों में नक्सलियांे की सक्रियता उजागर हुई है।
मुरलीधरन को नक्सलियों के शीर्ष नेता गणपति का करीबी एवं विश्वस्त माना जाता है। उसे दक्षिणी राज्यों की पुलिस पिछले काफी समय से तलाश कर रह थी, लेकिन वह तलेगांव में अजित या थॉमस नाम से छिपा हुआ था। मूल रूप से एर्नाकुलम निवासी मुरलीधरन केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि मुरलीधरन के पिता राजदूत भी रह चुके हैं। आपातकाल में भाई की गिरफ्तारी के बाद मुरलीधरन नक्सलवाद से जुड़ गया। वह केरल के अलावा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी नक्सलवादी गतिविधियों का संचालन कर चुका है। साथ ही वह नक्सली सामग्री का प्रचार-प्रसार भी कर चुका है और पुणे में भूमिगत होकर नक्सलियों के लिए कार्य कर रहा था। इनकी गिरफ्तारी से साफ हो गया है कि महाराष्ट्र के पूर्वी अंचल और गढ़चिरौली तक सीमित नक्सलवाद अब पुणे महानगर तक पहंुच चुका है। यह राज्य और केन्द्र सरकार के लिए चुनौती का विषय है।
ल्ल प्रतिनिधि
एएमयू प्रो. ने कहा 'मदरसे समलैंगिकता के अड्डे '
मदरसे समलैंगिकता और बुराइयों का अड्डा बन गए हैं और मौलाना इन गतिविधियों में संलिप्त हैं, इसलिए मदरसों को बंद कर दिया जाना चाहिए। यह बयान किसी बाहरी शख्स ने नहीं, बल्कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कार्यरत एक प्रोफेसर ने दिया है। इसके बाद से विश्वविद्यालय में छात्र और शिक्षकों के खेमे उनके विरुद्ध खड़े हो गए हैं, लेकिन इस रहस्य के उजागर होने के बाद मदरसों की गतिविधियों को लेकर उठने वाली चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रो. वसीम राजा के मोबाइल से 'व्हाट्सएप' पर एक संदेश भेजा गया था जिसमें मदरसों में समलैंगिकता और मौलानाओं की संलिप्तता की बात लिखी गई थी। इस संदेश के चर्चा में आने के बाद विश्वविद्यालय का छात्रसंघ और शिक्षकों का खेमा प्रोफेसर के विरुद्ध लामबंद हो गया। शिकायत मिलने पर कार्यवाहक कुलपति एस. अहमद अली ने बताया कि प्रोफेसर ने मीडिया में उनके बयान को गलत तरीके प्रस्तुत करने की बात कही है, इसलिए उन्हें भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।
प्रो. राजा ने कहा कि जिस समूह पर उन्होंने संदेश भेजा था, वे अब उससे अलग हो चुके हैं। प्रोफेसर द्वारा सच्चाई को उजागर करने वाले इस संदेश के बाद देवबंद के उलेमा भी भड़क गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी बातों से समाज को तोड़ने का कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के विरुद्ध खड़े हुए खेमे का कहना है कि यदि प्रशासन ने वसीम राजा के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की तो वे इस मुद्दे को मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक लेकर जाएंगे। गौरतलब है कि मदरसों में इससे पहले भी मौलानाआंे को लेकर विवादित बयान आते रहे हैं, लेकिन इस बार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर द्वारा रहस्य उजागर करना महत्व रखता है जिससे मुस्लिम समाज में खलबली मची हुई है। ल्ल प्रतिनिधि
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