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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एक न्यायालय ने मलाला यूसुफजई पर जानलेवा हमले के मामले में गत 30 अप्रैल को 10 लोगों को 25 साल कैद की सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने वाली मलाला पर वर्ष 2012 में हमला हुआ था। तालिबानी आतंकियों ने उनके सिर में बेहद करीब से गोली मारी थी। तब मलाला सिर्फ 15 साल की थी। पाक सेना ने पिछले साल सितंबर महीने में 10 तालिबानी आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इन आतंकियों के नाम बिलाल, शौकत, सलमान, जफर इकबार, इसरारुल्लाह, जफर अली, इरफान, इजहार, अदनान और इकराम हैं। फिलहाल, 17 वर्षीय मलाला ब्रिटेन में रह रही हैं। मलाला को पिछले वर्ष भारत के श्री कैलाश सत्यार्थी के साथ बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ल्ल
मोहम्मद के कार्टून बनाने से उकताए लुज
शार्ली एब्दो पत्रिका के कार्टूनिस्ट लुज ने कहा है कि वे अब मोहम्मद का कार्टून नहीं बनाएंगे। लुज ने ही शार्ली एब्दो के मुखपृष्ठ के लिए मोहम्मद का कार्टून तैयार किया था। उन्होंने 'लेस इंट्रोकुपटिब्लेस' की वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मैं अब मोहम्मद के कार्टून बनाने में रुचि नहीं लेता। मैं इससे उकता गया हूं। उल्लेखनीय है कि गत 7 जनवरी को इस साप्ताहिक पत्रिका के पेरिस कार्यालय पर हमला कर इस्लामी आतंकियों ने 12 लोगों की हत्या कर दी थी। आतंकियों ने 'अल्लाह हो अकबर' के नारे लगाते हुए कहा था कि उन्होंने मोहम्मद का कार्टून छापने का बदला लिया है। इसके बाद पूरे विश्व में इस घटनाक्रम की निंदा हुई और लोग शार्ली एब्दो के समर्थन में उठ खड़े हुए। हमले के बावजूद शार्ली एब्दोने अपने अगले अंक में लुज द्वारा बनाया गया कार्टून छापा था जिसमें रोते हुए मोहम्मद को दिखाया गया था। इस शीर्षक में मोहम्मद को 'जे सुइस शार्ली' (मैं हूं शार्ली) लिखा था, साथ में लिखा था, 'सभी को माफ किया'। पत्रिका पर हुए हमले के बाद इसकी प्रसार संख्या में कई सौ गुना वृद्धि हुई थी जहां पहले पत्रिका की 60 हजार प्रतियां छापी जाती थीं वहीं आतंकी हमले के बाद पत्रिका की प्रसार संख्या 80 लाख तक पहुंच गई थी। लुज का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि शार्ली एब्दो पर हुए हमले को चार महीने होने वाले हैं। ल्ल
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