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केंद्र में भाजपा की सरकार के गठन के बाद हिंदुओं में नई आकांक्षाएं और नए संकल्प जागे हैं। इसका स्पष्ट आभास शंकराचार्य और साधु-संतों के सान्निध्य में तीर्थ नगरी हरिद्वार में 25-26 अप्रैल को आयोजित दो दिवसीय हिंदू संसद के आयोजन के दौरान हुआ। हिंदू संसद में उभरे विभिन्न स्वरों में यह भी प्रतिध्वनित हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबल नेतृत्व में राष्ट्रहित पूरी तरह से सुरक्षित है। जिस तरह लोकसभा चुनाव में भारत की जनता उनके पीछे एकजुट खड़ी थी उसी भावना और दृढ संकल्प के साथ निरंतर खड़ी रहे। हरिद्वार के ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में हिंदू संसद के समापन सत्र की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ जी महाराज ने की। संचालन अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय मंत्री एवं महामंडलेश्वर स्वामी डॉ़ प्रेमानंद जी महाराज एवं यति नरसिंहानंद सरस्वती ने किया। मुख्य संबोधन शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम, स्वामी नारायण गिरी जी महाराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ़ सुब्रह्मण्यम स्वामी, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रभारी उत्तराखंड श्याम जाजू, पूर्व भाजपा सांसद बैकंुठ लाल शर्मा प्रेम, मुख्य संयोजक अंतरराष्ट्रीय योग एवं ध्यान गुरु डॉ़ वरुण वीर, आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं अध्यक्ष, हिंदू स्वाभिमान ठा़ विक्रम सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारत हिंदू महासभा चंद्रप्रकाश कौशिक आदि हिंदू नेताओं एवं संतों ने राष्ट्र एवं हिंदुओं के समक्ष वर्तमान में मौजूद चुनौतियोंे पर भिन्न मत-पंथों के अनुयायी ने गहन विचार मंथन किया।
डा़ॅ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देश और दुनिया के उदाहरण देते हुए बताया कि हिंदुओं का बहुमत ही भारत में न केवल लोकतंत्र बल्कि यहां रहने वाले विभिन्न मतावलंबियों की सुरक्षा की गारंटी है। डॉ़ स्वामी ने जोर देकर कहा कि भारत में जब तक हिंदुओं की जनसंख्या का अनुपात 80 फीसद बना रहता है तब तक यहां लोकतंत्र पर आंच नहीं आने वाली। उन्होंने कहा कि दुनिया से उजाडे़ गए पारसियों और यहूदियों को भारत में पूर्ण संरक्षण और सुरक्षा है। जितने भारत में सुख और शांति के साथ वास करते हैं एवं फल-फूल रहे हैं, यह खूबी दुनिया के किसी देश में नहीं दिखेगी। डा़ॅ स्वामी ने कहा कि सऊदी अरब में हिंदू अपने मंदिर नहीं बना सकता और न ही अपनी सांस्कृतिक एवं धार्मिक पहचान के साथ रह सकता है। लेकिन भारत में मस्जिद बनती है। मुसलमानों को उनके सारे क्रियाकलाप करने की स्वतंत्रता देते है। डॉ़ स्वामी कहते हैं कि भारत की खूबियां उसके हिंदू बहुमत के कारण हैं, जबकि भारत में ही मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदुओं का हाल जाकर देखेंगे तो फर्क साफ दिखेगा। डॉ़ स्वामी ने कहा कि भारत में एक ही विधान होना चाहिए, जैसा ऑस्टे्रलिया या अमरीका में है। इन देशों में शरई कानून की व्यवस्था नहीं है। भारत में बहुमत की एक राय नहीं है। भारत में सभी लोगांे का डीएनए एक ही है। उनका आग्रह था कि मुसलमान यह स्वीकारें कि उनके पूर्वज हिंदू ही थे। भारतवर्ष में 800 वर्ष उनका शासन रहा, लेकिन महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एवं ऐसे ही दूसरे वीरों के संघर्ष के कारण भारत में हिंदू धर्म नहीं मिट सका। हम लड़ते रहे, झुके नहीं। उन्होंने बंगलादेशी नागरिकों की असम में हो रही घुसपैठ को भी चिंता का बड़ा कारण बताया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की समस्या को भी गंभीर बताया। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम ने भरोसा जताया कि भारत और हिंदू दोनों का भविष्य उज्ज्वल है। हिंदू संसद के मुख्य संयोजक डा़ॅ वरुण वीर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत के भविष्य के प्रति जो दृष्टिकोण है, वह हम भारतीयों कोे यह आश्वस्त करने के लिए काफी है कि आने वाले 500 वर्षों तक भारतीय विश्व में गर्व के साथ रहने के अधिकारी होंगे। प्रधानमंत्री का सबल नेतृत्व देश और धर्म की रक्षा करने में पूर्णत: सक्षम हैं। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्याम जाजू ने कहा कि हिंदुओं के संगठित होने से सेकुलर ताकतें भयभीत हैं और उन्हें यह भी समझ आ गया है कि हिंदू हितों की उपेक्षा उनके लिए कितनी घातक रहने वाली है। उन्होंने कहा कि भारत का नेतृत्व कर रहे श्री मोदी पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की पताका को सफलतापूर्वक फहरा रहे हैं। वह भूकंप से हिले नेपाल की सहायता को तत्काल तैयार हो गए। जापान के प्रधानमंत्री को गीता भेंट की। उन्होंने साधु-संतों से आग्रह किया कि वे प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन करने को तत्पर रहें। जाजू ने हिंदू संसद के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आगे भी इस तरह के आयोजन करते रहने चाहिए। हिंदू संसद में जूना अखाड़े के महंत स्वामी विनोद गिरी, स्वामी विवेकानंद, साध्वी प्राची, सांस्कृतिक गौरव संस्थान के संरक्षक डा़ॅ महेश चंद गुप्त ने भी अपने विचार व्यक्त किए। –– सुरेंद्र सिंघल
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