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फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल का सौदा भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद के बीच बातचीत के बाद हुए इस सौदे को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने सरकार का बेहतरीन निर्णय बताया है।
ल्ल भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान मिग-23 और मिग -27 लगभग 'फेज आउट' हो चुके हैं। मिग-21 अंतिम सांसें गिन रहा है।
ल्ल चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत को लड़ाकू जेट्स के 45 बेड़े की जरूरत है। अभी भारत के पास लगभग 35 बेड़े हैं।
ल्ल इनमें से भी सिर्फ 60 फीसद ही ऑपरेशन के लिए तैयार हैं ।
ल्ल राफेल लड़ाकू विमान फील्ड ट्रायल के दौरान भारतीय परिस्थितियों और मानकों पर सबसे खरा साबित हुआ था।
ल्ल राफेल को कारगिल युद्ध में फ्रांसीसी मिराज के बेहतर प्रदर्शन से भी ताकत मिली और उसे वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए चुना गया।
राफेल की खूबियां
ल्ल हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमले के साथ परमाणु हमले में सक्षम। बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान के साथ हवा से हवा में मिसाइल दाग सकता है।
ल्ल विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम, लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं, इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर रियल टाइम में खोज लेता है पोजीशन।
ल्ल नजदीकी मुकाबले के दौरान एक साथ कई लक्ष्यों पर रख सकता है नजर।
ल्ल हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांप सकता है। विमानवाहक पोत से भी उड़ान भर सकता है।
ल्ल वायुसेना को चीन और पाकिस्तान से सुरक्षा के लिए 2001 से इस तरह के विमान की जरूरत थी।
ल्ल एक बार में इसकी उड़ान भरने की रेंज है 3700 किलोमीटर। यानी अगर इन विमानों की एक टुकड़ी मिशन पर निकली तो पूरा पाकिस्तान और बीजिंग सहित आधे से ज्यादा चीन इसकी जद में होगा।
ल्ल अफगानिस्तान में अल कायदा के खिलाफ तबाही मचा चुका है राफेल
ल्ल राफेल विमान ब्रह्मोस जैसी 6 सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल या 3 लेजर गाइडेड बम ले जाने में सक्षम है।
ल्ल इसमें एक बार में 4700 किलोग्राम ईंधन आता है।
ल्ल यह 5 हजार किलोग्राम वजनी बम या मिसाइल अपने साथ ले जा सकता है।
ल्ल यह लगातार 10 घंटे तक उड़ सकता है।
ल्ल यह एयरबेस के साथ किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर से भी उड़ान भरने में सक्षम है। भारत के लिए यह बात इसलिए अहम है, क्योंकि हमारी नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत हैं। राफेल उन पर भी तैनात किए जा सकते हैं।
ल्ल चीन और पाकिस्तान के एयरक्राफ्ट्स के मुकाबले अलग होगा राफेल
ल्ल पाकिस्तान के पास अभी सबसे आधुनिक प्लेन जेएफ-17 थंडर है। इसे पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है। वहीं, चीन के पास जेएफ-17 तो है ही, वह रूस से सुखोई-27 विमान खरीदकर भी अपनी क्षमता बढ़ा रहा है। भारत के मौजूदा मिग विमानों की तुलना में जेएफ-17 और सुखोई-27 काफी नए हैं। इसलिए राफेल विमानों की भारत को तुरंत जरूरत है।
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ल्ल 2015-2024 के बीच सेवामुक्त होने हैं पुराने लड़ाकू विमान
ल्ल 1990 के दशक में आर्थिक संकट के कारण पुरानी पीढ़ी के विमान नहीं हटाए गए।
ल्ल मिग-21, मिग-27, मिराज और जगुआर के अपग्रेडेशन से करना पड़ा संतोष।
ल्ल 1996 में सुखोई-30 के तौर पर आखिरी बार कोई लड़ाकू विमान खरीदा गया था।
ल्ल 2007 में मल्टीरोल नए लड़ाकू विमानों के लिए टेंडर जारी किया गया।
ल्ल अमरीका ने एफ-16, एफए-18, रूस ने मिग-35, स्वीडेन ने ग्रिपिन पेश किया।
ल्ल फ्रांस ने राफेल और यूरोपीय समूह ने यूरोफाइटर टाइफून की दावेदारी पेश की।
ल्ल 27 अप्रैल, 2011 को आखिरी दौड़ में यूरोफाइटर और राफेल ही रह गए।
ल्ल 31 जनवरी, 2012 को कम बोली व भारतीय हालातों के अनुकूल राफेल चयनित
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