हाशिमपुरा का फैसला :'हाशिमपुरा' से उघड़े सेकुलर
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

हाशिमपुरा का फैसला :'हाशिमपुरा' से उघड़े सेकुलर

by
Mar 28, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Mar 2015 15:29:39

क्या कारण है कि हिंदी के समाचार पत्र 22 मार्च के संस्करणों में पूरे पेज पर हाशिमपुरा (मेरठ) दंगों पर न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले पर सवालिया निशान लगाते हैं, अशिष्ट रूप से न्यायालय को कठघरे में खड़ा करते हैं ? यह वही मीडिया है जो विदेशी फंड पर पलता है, वामपंथियों, कांग्रेसियों, तीस्ता जावेद सीतलवाड़, संजीव भट्ट जैसों की निराधार बातों को उछालता है।
 तुफैल चतुर्वेदी
अभी मेरठ दंगे का चर्चित हिस्सा बने हाशिमपुरा पर न्यायलय का फैसला आया है। न्यायालय ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अंग्रेजी मीडिया, विदेशों से चंदा खाने वाले हिन्दू विरोधी एन. जी. ओ़, मुस्लिम वोटों के लिए जीभ लपलपाने वाले राजनेता एक से बढ़ कर एक मरकट-नृत्य में संलग्न हो गए हैं। मेरे विचार से इस विषय की चर्चा करने के साथ इसी तरह के दंगे और उस पर बरसों चले हाहाकार की समवेत् चर्चा उपयुक्त रहेगी। 2002 में गोधरा में ट्रेन जलाने के बर्बर, पैशाचिक हत्याकांड के कारण उपजे आक्रोश से गुजरात के दंगे हुए। इन दंगों में प्रशासन, पुलिस प्रशासन पर मुसलमानों के प्रति दुर्भावना रखने और हिन्दुओं के पक्ष में होने के आरोप लगाये गए। आइये, तत्कालीन घटनाक्रम को एक बार दैनंदिन रूप से याद कर लिया जाये।
साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर एस-6 में विश्व हिन्दू परिषद् के कार-सेवक यात्रा कर रहे थे। 27 फरवरी 2002 की सुबह 7.30 बजे के लगभग इस बोगी को निशाना बनाकर गोधरा के मुसलमानों द्वारा हिन्दू विरोधी नारों के बीच आग लगा दी गई। आग लगाने वालों की संख्या 1500 के करीब थी। इस अग्निकांड में 69 से अधिक लोग जला कर मार दिए गए, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। कोई हिंदू यात्री बोगी से बाहर न निकल पाए इसीलिए योजना के अनुसार, उन पर पत्थर भी बरसाए जाने लगे। गुजरात पुलिस ने भी अपनी जांच में ट्रेन जलाने की इस वारदात को आई़ एस़ आई. की साजिश ही करार दिया, जिसका उद्देश्य हिन्दू कारसेवकों की हत्या कर राज्य में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना था।
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 4़ 30 बजे गोधरा पहुंचे और वहां जली हुईं बोगियों का निरीक्षण किया। उसके बाद संवाददाता सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने कहा कि गोधरा की घटना बेहद दुखदायी है, लेकिन लोगों को कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं लेनी चाहिए। सरकार उन्हें आश्वस्त करती है कि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। उसी दिन गोधरा व उसके आसपास कर्फ्यू लागू दिया गया। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से गुजरात में अर्द्धसैनिक बल की 10 कंपनियां और साथ ही त्वरित कार्य बल की चार अतिरिक्त कंपनियां बहाल करने का अनुरोध किया। दंगा भड़कने से रोकने के लिए सुरक्षा के लिहाज से बड़े पैमाने पर संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिन 217 लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें 137 हिंदू और 80 मुसलमान थे। गोधरा घटना के बाद पहले ही दिन गुजरात के संवेदनशील व अतिसंवेदनशील क्षेत्र में 6000 पुलिस जवानों की तैनाती की गई। स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स की 62 बटालियनें थीं, इसमें 58 स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स और चार सेंट्रल मिलिट्री फोर्स की बटालियनें शामिल थीं। गुजरात की मोदी सरकार ने सभी 62 बटालियनों को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती के आदेश दे दिए। गोधरा से लौटने के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने देर रात 11 बजे अपने घर पर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई और कानून व सुरक्षा की स्थिति का जायजा लिया। मोदी ने अधिकारियों से कहा कि सेना के जवानों की मदद भी लेनी पड़े तो लें, लेकिन कानून-व्यवस्था को चरमराने न दें। स्थानीय आर्मी हेडक्वार्टर ने जवाब दिया कि उनके पास सेना की अतिरिक्त बटालियन नहीं है। युद्ध जैसे हालात को देखते हुए सभी बटालियनों को पाकिस्तान से सटी गुजरात सीमा पर लगाया गया है। सेना की बटालियन उपलब्ध न होने के कारण गुजरात सरकार ने अपने पड़ोसी राज्यों-महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की, लेकिन वहां तब की कांग्रेसी सरकारों ने गुजरात की कोई मदद नहीं की।
उस वक्त दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के, अशोक गहलोत राजस्थान के और विलासराव देखमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। दिग्विजय सिंह व अशोक गहलोत सरकार ने यह कह कर गुजरात सरकार को पुलिस फोर्स देने से मना कर दिया कि उनके पास अतिरिक्त जवान नहीं हैं। विलासराव देशमुख ने थोड़े से पुलिस जवान भेजे, जिन्हें कहा गया था कि स्थिति के नियंत्रित होते ही लौट आयें। नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से सेना के जवानों की तैनाती का अनुरोध किया। इसके बाद रक्षा मंत्रालय अन्य राज्यों में तैनात जवानों को हवाई मार्ग द्वारा गुजरात लाया।
इस बीच नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया कि 6000 हाजी हज कर गुजरात लौट रहे हैं। उन्हें हर हाल में सुरक्षा प्रदान की जाए। ये सभी हाजी गुजरात के 400 गांवों व कस्बों से हज करने गए थे। सरकार ने सभी 6000 हाजियों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचा दिया। हालात के नियंत्रित होने और इन्हें सुरक्षित घर तक पहुंचाने में सरकार को 20 मार्च 2002 तक का वक्त लग गया, लेकिन इनमें से एक को भी हिंसा का सामना नहीं करना पड़ा। सेना के जवानों को लेकर आने वाली पहली उड़ान 28 फरवरी की मध्य रात्रि को अमदाबाद में उतरी। राज्य की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए 13 सैन्य टुकडि़यों को बहाल किया गया। 1 मार्च 2002 को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया। दंगा 28 फरवरी को भड़का था और उसके 24 घंटे के अंदर पहली मार्च को गुजरात सरकार के मुख्य सचिव ने उक्त आदेश जारी कर दिया था।
2 मार्च 2002 को पुलिस की गोली से 12 हिंदू और चार मुसलमान मरे। 2 मार्च को 573 दंगाइयों को हिरासत में लिया गया था, जिसमें से 477 हिंदू और 96 मुसलमान थे। 3 मार्च 2002 को पुलिस ने 363 दंगाइयों को पकड़ा, जिनमें 280 हिन्दू और 83 मुसलमान थे। इसी दिन गोलीबारी में 10 हिंदू मारे गए। 4 मार्च को 285 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिसमें 241 हिंदू और 44 मुसलमान थे। पुलिस गोलीबारी में 4 हिंदुओं की मौत हुई। पूरे दंगे के दौरान 66,268 हिंदू और 10,861 मुसलमानों को हिरासत में लिया गया था। दंगे के शुरुआती तीन दिनों मे ही मोदी सरकार ने यह कार्रवाई की थी।
कांग्रेस और अन्य लोगों की मिलीभगत से बनी सरकार ने 11 मई 2005 को संसद में अपने लिखित जवाब में बताया था कि 2002 के दंगे में 1044 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गुजरात दंगा पूरे आजाद भारत के इतिहास का एकमात्र दंगा है जिस पर अदालती फैसला इतनी शीघ्रता से आया और इतने बड़े पैमाने पर लोगों को सजा भी हुई है। अगस्त 2012 में आए अदालती फैसले में 19 मुकदमों में 249 लोगों को सजा हुई है, जिसमें से 184 हिंदू और 65 मुसलमान हैं। इन 65 मुसलमानों में से 31 को गोधरा में रेल जलाने और 34 को उसके बाद भड़के दंगे में संलिप्तता के आधार पर सजा मिली है।
तथ्यों से स्पष्ट है कि प्रशासन और पुलिस ने प्राणपण से दंगा रोकने का प्रयास किया और इसी कारण दंगा गुजरात के बहुत छोटे से हिस्से से आगे नहीं बढ़ पाया। इसका एक दूसरा खुला प्रमाण यह भी है कि पुलिस की गोलियों से मुसलमानों की अपेक्षा हिन्दू अधिक मारे गए। यदि पुलिस दंगा रोकने का प्रयास नहीं कर रही थी तो हिन्दू पुलिस की गोलियों से मारे ही कैसे गए? फिर भी रेल में लोगों को जिंदा जला कर मार देने जैसे भयानक काम का पक्ष लेने में अंग्रेजी मीडिया, विदेशों से चंदा खाने वाले हिन्दू विरोधी एन. जी़ ओ़, मुस्लिम वोटों के लिए जीभ लपलपाने वाले राजनेता एक से बढ़कर एक मरकट-नृत्य करते रहे। बरसों गुजरात के प्रशासनिक अधिकारियों पर मुकदमे चले। नरेंद्र मोदी, अमित शाह सहित न जाने कितने भाजपा के नेताओं, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं पर मुकदमे चलाये गए। अब सवाल उठता है कि विदेशी फंड पर पलने वाले मीडिया, वामपंथियों, कांग्रेसियों, तीस्ता जावेद सीतलवाड़, संजीव भट्ट जैसों की बात यदि सच है तो फिर 254 हिंदुओं की हत्या किसने की थी? लेकिन सांच को आंच नहीं लगती। देर से ही सही नरेंद्र मोदी, अमित शाह सहित कई नेता न्यायिक आयोगों द्वारा मुकदमों से बरी कर दिए गए।
अब उसी तरह के मुस्लिम दंगे पर 28 साल बाद ऐसा ही एक और फैसला आया है। उस घटना को भी जानना ठीक रहेगा। फैजाबाद न्यायालय द्वारा फरवरी 1986 में राम जन्मभूमि पर असंवैधानिक रूप से लगाए गए ताले को खुलवाने का आदेश देने के बाद देश के विभिन्न भागों में दंगे शुरू हो गए। मेरठ में भी मुस्लिम दंगा शुरू हो गया। जिन मित्रों को 'मुस्लिम दंगे' शब्द से विरोध है तो वे कृपया अभी हाल ही में हुए मुजफ्फरनगर के दंगे की जानकारी कर लें। मैं आश्वस्त हूं कि उसकी जानकारी करने के बाद वे मेरे इन शब्दों की सत्यता से परिचित हो जायेंगे। मेरठ में अप्रैल 1987 में दंगा फैलाया गया। प्रशासन ने दंगा दबा दिया। दंगा शांत होने के बाद सुरक्षा बलों की टुकडि़यों को हटा लिया गया। 18 मई को दंगा फिर शुरू कर दिया गया। 21 मई को मेरठ के तब तक शांत इलाके हाशिमपुरा में अपने मुस्लिम मरीज को देखने गए डाक्टर अजय को उनकी कार में ही जिन्दा जला दिया गया और हाशिमपुरा, मलियाना में भी दंगा भड़क उठा। 'नारा ए तकबीर' के नारों के बीच 23 मई 1987 को आरोप लगाया गया कि पीएसी की 41वीं वाहिनी के बल ने हाशिमपुरा में एक मस्जिद के बाहर चल रही सभा से 42 लोगों को पकड़ लिया और उन्हें गोली मार दी। यहां यह प्रश्न उठाया ही जाना चाहिए कि कर्फ्यू लगे क्षेत्र में मस्जिद के बाहर सभा कैसे संभव थी?
पीएसी के 19 जवानों को आरोपी बनाया गया। मुकदमे को वादियों की मांग पर उत्तर प्रदेश से बाहर दिल्ली की तीस हजारी अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया। ये लोग 28 बरस तक पेशियां भुगतते रहे। राष्ट्र की सेवा की शपथ लिए सामान्य आर्थिक स्थिति के ये जवान बसों, रेलों में टक्करें मारते पेशियों पर साल दर साल जाते रहे। कलंक के इस दाग को अपने माथे पर लिए दर-दर भटकते रहे। अपने-पराये की संदेहभरी नजरें झेलते रहे। 28 बरस बाद इस घोर कष्टपूर्ण तपस्या का फल आया है और अदालत ने 16 जवानों को बरी कर दिया है। 3 लोग ये बोझ अपने सीने पर रखे संसार छोड़कर जा चुके हैं। इन 16 लोगों में समीउल्लाह नाम का जवान भी है। उस तिरस्कार, अपमान, दर्द की कल्पना करें जो इन 28 वर्ष तक मुस्लिम समुदाय के समीउल्लाह को अपने समाज में झेलना पड़ा होगा।
भारत में न्याय का शासन है। वादियों की मांग पर मुकदमे स्थानांतरित करने के बावजूद आज जब फैसला आ गया है तो प्रेस के महारथी, अंग्रेजी मीडिया, विदेशों से चंदा खाने वाले हिन्दू विरोधी एन.जी.ओ़, मुस्लिम वोटों के लिए जीभ लपलपाने वाले राजनेता अदालत पर भी उंगलियां उठा रहे हैं, नाक-भौं चढ़ा रहे हैं,आंखें दिखा रहे हैं।
क्यों इस अघोरी दल को अभी भी चैन नहीं है? क्या ये वर्ग तभी किसी बात को मानेगा जब उसकी इच्छा पर न्यायालय फैसला देगा? यह भी एक गंभीर विचारणीय बिंदु है। पाकिस्तानी मूल के कनाडा के लेखक, प्रतिष्ठित पत्रकार तारिक फातेह के शब्दों में इसका सबसे बड़ा कारण 'हिन्दू गिल्ट' है। हिन्दू अपने होने से लज्जित हैं। वे अपने से, अपने सत्व से, अपनी चिति से शमिंर्दा हैं यानी लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति भरपूर सफल हुई है। अन्यथा क्या कारण है कि हिंदी के समाचार पत्र 22 मार्च के संस्करणों में पूरे पेज पर न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले पर सवालिया निशान लगाते हैं?
राष्ट्रविरोधी मुस्लिम प्रचार तंत्र को अनर्गल आरोप लगाने के लिए मसाला उपलब्ध कराते हैं? अशिष्ट रूप से न्यायालय को कठघरे में खड़ा करते हैं? न्यायायिक फैसले पर लगभग कोसने, थू-थू करने की शैली में की गयी यह रिपोर्टिंग मैं सर-माथे रख लेता मगर जब विश्व हिन्दू परिषद राम जन्मभूमि को आस्था का विषय कह कर उस पर दृढ़ता दिखाती है तो वह सांप्रदायिक हो जाती है, तो आपको न्याय व्यवस्था की अवमानना करने वाला उद्दंड संवाददाता, संपादक, मालिक क्यों न माना और कहा जाय? आप राष्ट्र के संस्थानों को अपनी मनमर्जी से क्यों हांक रहे हैं? समाज को आपका बहिष्कार क्यों नहीं करना चाहिए?

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सत्य सनातन: रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, हिंदू धर्म की सादगी दिखा रही राह

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सत्य सनातन: रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, हिंदू धर्म की सादगी दिखा रही राह

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies