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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने सन्तों का आह्वान किया है कि वे मंदिर, श्मशान और पानी के नाम पर भेदभाव को समाप्त करने में योगदान देकर हिन्दू समाज में समरसता लाने का कार्य करें। श्री भागवत 24 फरवरी को जयपुर के हरिश्चंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित सन्त समागम को सम्बोधित कर रहे थे।
श्री भागवत ने समस्त राजस्थान से आए सन्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिन्दू समाज के संगठन का कार्य सकारात्मक ढंग से करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहा है, ऐसे में हिन्दू समाज को विश्व कल्याण के अपने ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य को पूरा करने के लिए स्वयं को तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को टालने वाली प्रवृत्ति को छोड़कर स्वयं प्रयास कर बदलाव के लिए कार्य करना होगा।
श्री भागवत ने कहा कि आत्मविस्मृति और आत्महीनता की स्थिति से हिन्दू समाज को दूर करने के लिए अपने संस्कारों और मूल्यों को हृदय में पुनर्जीवित करना होगा। हमारा देश सन्तों की वाणी को परंपरा से ही सत्य मानने वाला देश है। सन्त अपनी तपस्या की शक्ति से हिन्दू समाज को एकत्रित कर उसे जाग्रत कर सकते हैं। सन्त समागम के अन्तर्गत दिनभर चले विभिन्न सत्रों में कुटुम्ब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, धर्म जागरण और व्यसन मुक्ति के माध्यम से हिन्दू समाज की कुरीतियों को दूर कर भारत को विश्वगुरु एवं परम वैभव के शिखर पर ले जाने के मार्ग पर चिंतन-विमर्श किया गया। ल्ल विवेक गुप्ता
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