मौत का उपहास
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

मौत का उपहास

by
Jan 31, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 31 Jan 2015 12:50:32

अरुण़्ोन्द्र नाथ वर्मा
विरोधाभासों की पोटली थे वे। उनके कृशकाय शरीर में इतने विशाल आकार का व्यक्तित्व निहित था कि उनके युग की बड़ी बड़ी हस्तियां उनके कार्टूनों की तंज के आगे बौनी नजर आती थीं। उनके सीधे-सादे मासूम और परेशान लगने वाले आम आदमी की आंखों पर चश्मा तो लगा रहता था पर उसकी नजर इतनी पैनी थी कि उनसे देश और समाज में चारों तरफ फैली हुई विसंगतियों का कोई पहलू बच नहीं पाता था। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर अंधविश्वास और ढकोसले का पर्दाफाश करने वाले इस अद्भुत योगी ने शायद परकाया प्रवेश के तंत्र-मंत्र को साध रखा था तभी तो बोरीबंदर की बूढ़ी भद्र महिला (ओल्ड लेडी ऑफ बोरीबंदर) कहलाने वाली टाइम्स ऑफ इंडिया की गौरवमयी भव्य इमारत में आधी शताब्दी से भी अधिक समय तक उनका तन अपनी मेज पर फैले कागज, तूलिका और काली स्याही के सामने बैठकर रोज दस से पांच वाले 'रूटीन' को निभाता था पर मन मुम्बई के भीड़-भाड़ वाले गड्ढेदार फुटपाथों से लेकर टिन और कार्डबोर्ड से आधी ढकी-आधी उघड़ी, मुम्बई की घनघोर बारिश से अनवरत लड़ाई लड़ती हुई झुग्गी-झोपडि़यों के बीच भटकता रहता था। आवारा कुत्तों और मवेशियों से बचता बचाता, कीचड़ के फव्वारे उछालती मोटरकारों से अपनी पैबंद लगी मटमैली धोती और काले कोट को और गंदा होने से बचाने को लेकर परेशान उनका आम आदमी कभी एक छोटे से जुमले में अपने मन की सारी व्यथा उड़ेल देता था तो कभी बिना मुंह खोले अपने हाव-भाव से ही अनगिनत शब्दों की कहानी बयान कर देता था। चश्मे के पीछे से झांकती आम आदमी की आंखें सब कुछ देख लेती थीं। उनमें झलकते हुए अवसाद, मजबूरी और बेबसी के वृहद् पटल को दिखाने के लिए लक्ष्मण की तूलिका के कुछ 'स्ट्रोक' ही काफी होते थे।
उनका पूरा जीवन ही विसंगतियों, विरोधाभासों का परिचायक था। आधी शताब्दी से भी अधिक हर रोज टाइम्स ऑफ इंडिया में उनके कार्टून में अपने वर्ग का मजाक उड़ते देखकर तिलमिला जाने के बावजूद अनेक राजनीतिक हस्तियों की अभिलाषा रहती होगी कि लक्ष्मण का आम आदमी उनकी भी खिल्ली उड़ाये। इतनी विशाल थी उनके कार्टूनों के प्रशंसकों की संख्या कि उनके शिकार बने नेताओं को भी लगता होगा कि 'बदनाम जो होंे तो क्या नाम न होगा।' शायद तभी अपने विरोधियों और आलोचकों को देश में आपातकाल लाकर जेलों में ठूंस देने वाली इंदिरा गांधी ने उनके हर धारदार विद्रूप को हंसते हुए झेल जाने का बड़प्पन दिखाया और उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित करके उन्हें भी विस्मित कर दिया। जिन पद्मभूषण, पद्म विभूष़ण और मैग्सेसे जैसे पुरस्कारों के पीछे भागते बड़े-बड़े कलाकार अपनी कला की प्रतिष्ठा को ताक पर रखकर राजनीतिकों की ठकुरसुहाती करने में जुटे रहते हैं उन्हीं को केवल अपनी प्रतिभा से हासिल करने वाले लक्ष्मण ने नेताओं, बड़े आदमियों से व्यक्तिगत स्तर पर दूरी बनाए रखी। अपनी कला की बेबाकी को बचाए रखा। नेताओं की यारी-दोस्ती से वे तटस्थ रहते थे। जब टाइम्स ऑफ इंडिया में उनके सहयोगी कार्टूनिस्ट और मित्र बाल ठाकरे राजनीति के मैदान के ऊंचे खिलाड़ी बने, तो लक्ष्मण ने इस दोस्ती को भी अपने कार्टूनों की धार को कुंठित नहीं करने दिया।
लक्ष्मण के व्यंग्यचित्रों का अपना सौन्दर्यलोक था। किसी के चेहरे को विकृत करके उसको हंसी का पात्र बनाना उनका अभीष्ट कभी नहीं रहा। वे अपने निशाने पर किसी की कुदरती शारीरिक कमी को नहीं रखते थे, बल्कि उन कमजोरियों पर उनकी नजर रहती थी जो उनके निशाने पर आये बड़े आदमी की हरकतों, बयानों और टुच्चेपन को जगजाहिर करें। फिर उनका आम आदमी बड़े बड़े लोगों की टोपी इतनी मासूमियत और भोलेपन से उछाल देता था कि लक्ष्मण के लाखों चाहने वालों को अपने आम आदमी के गुस्से पर प्यार आ जाता था। किसी जाने-माने नेता के चेहरे या शरीर को अपनी पैनी निगाह से एक खास कोण से देखकर लक्ष्मण उसके चरित्र की कोई विशेष पहचान समझ लेते थे। राजीव गांधी के चेहरे पर ऐसी कोई खासियत उन्हें शुरू में नजर नहीं आयी थी, तब भी उन्होंने राजीव का कार्टून बनाते हुए उनके चेहरे में कुछ ऐसी विशेषताएं अपनी तरफ से जोड़ दीं कि स्वयं लक्ष्मण के शब्दों में 'कुछ दिनों में राजीव गांधी ऐसे ही नजर आने लगे जैसा स्वरूप मैंने उन्हें उनके रेखाचित्र में दिया था।'
उनके कार्टूनों की काली स्याही समाज के हर वर्ग के काले कारनामों की दास्तां थोड़ी सी आड़ी-तिरछी रेखाओं से लिख लेती थी। पर उन कार्टूनों की कलात्मकता अद्भुत लगती है जब उनके छोटे से कार्टून में किसी महंगी फिल्म के सेट की तरह बहुत बारीकियां देखने को मिलती हैं। कम प्रयास, कम 'स्ट्रोक्स' में अपने कार्टून को बहुत वजनदार बनाना उन्हें बखूबी आता था- सड़क के किनारे पाइप के टुकड़े से बाहर झांक कर उनका आम आदमी पुलिस को सिर्फ इतनी सफाई देकर कि 'मैं यहां छुपा नहीं हूं, ये मेरा घर है!' बहुत कुछ कह जाता है। लेकिन जिस कार्टून में उन्हें जनता के धन पर राजसी ठाट भोगने वाले नेताओं का चित्रण करना होता था उसमंे किसी राजप्रसाद के वैभव को दिखाने वाले झाड़ फानूस, महंगे कालीन और फर्नीचर इत्यादि सब ताम-झाम पूरे विस्तार में दिखते थे।
लक्ष्मण को कौवा एक अद्भुत पक्षी लगता था। उसकी चालाकी में उसकी मासूमियत और उसकी बदसूरती में उसकी खूबसूरती देखने वाले लक्ष्मण ने कौवों के विभिन्न मुद्राओं में सैकड़ों रेखाचित्र बनाए थे। कहते हैं अटारी पर कोई कागा बोलता है तो कोई अतिथि पधारता है। चौरानवे साल की आयु में मौत बहुत मजबूरी में, हर हाड़-मांस के पुतले की तरह उनके पास आना भी महज अपना अपरिहार्य कर्तव्य समझ कर आई होगी। अटारी पर बैठे लक्ष्मण के प्रिय कागा ने इस आगंतुक के आने की भी कांव-कांव करके सूचना दी होगी। लक्ष्मण के आम आदमी ने उनके पास दबे पांव आती हुई मौत का भी मजाक उड़ाया होगा। कई सारे अंदरूनी अंगों के काम बंद कर देने के बाद बेहोशी में डूबे लक्ष्मण की उंगलियों ने अपनी तूलिका को काली स्याही में डुबोकर मौत का मजाक उड़ाते हुए, आम आदमी के विद्रूप को रेखाओं में समेटना चाहा होगा कि तभी स्वयं पर लज्जित होती मौत ने उनके स्वर्णिम जीवन के पटल पर अपना काला रंग बिखरा दिया होगा। पर मौत का यह काला रंग लक्ष्मण की तूलिका के जादू को कभी छिपा नहीं पायेगा। आर. के. की अद्भुत कला मौत से भी आर-पार की लड़ाई में जीत कर अमर रहेगी। (लेखक वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies