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विजय कुमार
परसों सुबह हर दिन की तरह मैं चाय का आनंद ले रहा था कि फोन की घंटी बज उठी। मैंने मोबाइल उठाया, तो उधर शर्मा जी थे। सर्दी में भी मेरे माथे पर पसीना आ गया। इतनी जल्दी तो उन्होंने कभी फोन नहीं किया?
जरूर कोई खास बात रही होगी। गांव में उनकी भैंस काफी बीमार चल रही थी। कहीं वह तो भगवान को प्यारी नहीं हो गयी? भगवान भली करे!
पर शर्मा जी बड़े उत्साह में थे। हंसते हुए बोले – वर्मा, आत्महत्या करने वालों के लिए सचमुच अच्छे दिन आ गये हैं। आज का अखबार देखो। शासन ने संविधान की धारा 309 समाप्त कर दी है। जो लोग आत्महत्या के प्रयास में विफल हो जाते थे, उन्हें एक साल की सजा दी जाती थी। इस चक्क्र में मैं कई साल से रुका हुआ था; पर अब ऐसा नहीं होगा।
– बेकार की बात मत करो शर्मा। अभी तुम पर कई घरेलू जिम्मेदारियां बाकी हैं। और वैसे भी आत्महत्या की लाइन में तुमसे आगे इतने लोग खड़े हैं कि तुम्हारा नंबर कई साल तक नहीं आएगा।
– मैं समझा नहीं।
– प्यारे शर्मालाल, भारत में कई नेता दलबल सहित आत्महत्या को तैयार हैं। अब तक तो उन्हें एक साल की सजा का डर था; पर अब तो खुला खेल फर्रुखाबादी है। पहली बार में सफलता न मिले, तो दूसरी और तीसरी बार के लिए भी रास्ता खुल गया है।
– तुम तो पहेलियां बुझा रहे हो वर्मा?
– इसमें पहेली की क्या बात है? कांग्रेस को ही देखो। सब कांग्रेसी इस पर तुले हैं कि चाहे जो हो जाए; पर हम सोनिया मैडम और राहुल बाबा को नहीं छोड़ेंगे। यह आत्महत्या नहीं तो और क्या है? कुछ लोग तो प्रियंका और राबर्ट वडेरा को आगे लाने की मांग कर रहे हैं। गनीमत है कि उनके बच्चे अभी छोटे हैं, वरना़.़।
– वर्मा, तुम्हें हमारे नेताओं पर ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं।
– शर्मा जी, सम्मान तो मैं भी करता हूं; पर पूरे देश से कांग्रेस साफ हो रही है, उसका क्या करें? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सफाई अभियान का यह सुपरिणाम भी होगा, किसे पता था?
– तुम आत्महत्या से सफाई पर आ गये, यह ठीक नहीं है।
– तो बिहार की कहानी सुनो। नीतीश बाबू ने यह सोचकर मांझी को कुर्सी दी थी कि उन्हें मुख्यमंत्रियों की बैठक में मोदी को नहीं झेलना पड़ेगा; पर अब उन्हें मांझी को झेलना ही कठिन हो रहा है।
– जी नहीं। अगले चुनाव के बाद नीतीश जी का मुख्यमंत्री बनना तय है। अब तो लालू और मुलायम सिंह के साथ उनका मोर्चा बन गया है।
– यही तो आत्महत्या है। लालू ने मुलायम सिंह से रिश्तेदारी बनाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपने परिवार का दावा पक्का कर लिया है। यानी नीतीश की स्थायी छुट्टी। अगले चुनाव में नीतीश और लालू एक दूसरे की जड़ में मट्ठा डालेंगे, तो दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी और सुशील मोदी की जुगलबंदी होगी। ऐसे में तुम समझ सकते हो कि किसकी पतंग कटेगी और किसकी बचेगी?
– पर उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह का टैम्पो तो हाई है।
– इसीलिए उन्होंने रामपुर में अपने जन्मदिन के जुलूस में अंग्रेजी बग्घी मंगायी थी, जिस पर सवारी करने वालों को जनता ने सदा के लिए भगा दिया था। अब मुलायम सिंह, आजम खां और अखिलेश यादव ने उसकी सवारी की है। इसलिए अब वे 'उम्मीद की साइकिल' पर दोबारा नहीं चढ़ सकेंगे। यह लिख लो।
– लेकिन ममता बनर्जी बंगाल में मजबूती से जमी हैं?
– जी नहीं। उनकी तृण अपने मूल से उखड़ रही है। भाजपा के विरुद्घ वे जितना बोलेंगी, उनकी छवि उतनी ही खराब होगी।
– और उमर अब्दुल्ला के बारे में तुम्हारा क्या विचार है?
– इस चुनाव में वे कांग्रेस से आगे रहेंगे। यानी कांग्रेस चौथे स्थान पर रहेगी और उमर बाबू तीसरे पर।
– तुमने केजरीवाल के बारे में कुछ नहीं कहा?
– वहां तो घर के चिराग से ही आग लगी है। उनके प्रिय मनीष सिसौदिया भी खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार कह रहे हैं।
– लेकिन वर्मा, यदि भाजपा और नरेन्द्र मोदी के विरुद्घ ये सब नेता हाथ मिला लें, तब क्या होगा?
– तो यह सामूहिक आत्महत्या होगी; और यह समझ लो कि सरकार ने व्यक्तिगत आत्महत्या के प्रयास को सजामुक्त किया है, सामूहिक को नहीं।
शर्मा जी ने भड़भड़ाते हुए फोन बंद कर दिया। ल्ल
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