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उपलब्धि-शिक्षा,स्वास्थ्य,होटल,वस्त्र उद्योग में छुआ आसमान
नाता-भारत -भारत में कई कारखाने लगाए और दिया सैकड़ों को रोजगार
भविष्य का सपना-भारत को विश्व में विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध
शून्य से शिखर तक का सफर
'कुछ किए बिना किसी की जय-जयकार नहींं होती, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती' इन पंक्तियों को अपना आदर्श मानने वाले हिन्द गुप्र ऑफ कंपनीज के चेयरमैन व प्रमुख उद्योगपति लक्ष्मीनिवास झुनझुनवाला वं अप्रवासी भारतीय हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से एक मिसाल कायम की है। उनकी कर्मभूमि है हांगकांग। झुनझुनवाला औद्योगिक क्षेत्र का आज एक जाना-पहचाना नाम हैं। उनके पिता जी 1914 में ही म्यांमार चले गए थे जिसके बाद1938 में रंगून में उनका जन्म हुआ, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने के बाद उनका परिवार भारत लौट आया। इसके बाद उन्होंने यहां से ही शिक्षा-दीक्षा अर्जित की। वर्ष 1952 उनके लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्हांेने अपने पारिवारिक व्यवसाय को म्यांमार में पुन: स्थापित किया और इसको बढ़ाने के लिए अथक मेहनत और परिश्रम करने लगे। उनका प्रयास रंग लाया और आज इसी क्रम में वर्तमान में उनके अनेक संस्थान और अलग-अलग क्षेत्रों में उद्योग स्थापित हैं। उन्होंने अपने उद्योगों को विश्व के अनेक देशों-हांककांग,न्यूजीलैण्ड,सिंगापुर कई सहित अन्य देश में फैलाया।
शिक्षा,कपास, धागा, वस्त्र, होटल, ग्रेफाइट, विद्युत जैसे अनेक उद्योगों को स्थापित किया। भारत के लोगों को सबल व सामर्थ्यशाली बनाना उनका एकमात्र लक्ष्य है और इस दिशा में वे सतत कार्य करते हैं। भारी व्यस्तता एवं प्रतियोगिता भरे आज के समय में भी वह भारतीय संस्कृति और इतिहास से जुड़े हैं। बचपन में अभाव में पले-बढ़े झुनझुनवाला का इस समय प्रमुख उद्योगपतियों में नाम है। वे युवाओं को बताते हैं कि बचपन में उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मित्रों के सहयोग और ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा व परिश्रम से वे आज यहां तक पहुंचे हैं। वे युवाओं से कहते हैं कि अपने इतिहास को जानो और उससे प्रेरणा लो। अगर आप इतिहास से प्रेरणा नहीं लेंगे तो आप देश को कभी उच्च शिखर पर नहीं ले जा सकते । झुनझुनवाला उद्योग जगत में भारत के नाम को ऊंचा करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने विवेकानंद पर एक पुस्तक भी लिखी है- विश्व धर्म सम्मेलन-1893.
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