कैलास-मानसरोवर, जहां शिव से साक्षात भेंट होती है
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कैलास-मानसरोवर, जहां शिव से साक्षात भेंट होती है

by
Dec 20, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 20 Dec 2014 15:42:04

 

कैलास-मानसरोवर
जाने कितने जन्म, कितने वर्ष, इस दिन के लिए प्रतीक्षा की थी। कभी भी कैलास-मानसरोवर का उल्लेख सुना तो मन उन्मादी सा हो उठता था लगता था चलना चाहिए, चलो, अभी। दो दशक बंद रहने के बाद पहले पहल 1981 में फिर यात्रा शुरू हुई थी। तब आने-जाने का कुल खर्च पांच हजार पड़ता था। नौ सौ रुपए महीने की नौकरी थी। फिर भी कहीं से जुगाड़ किया। पर छुट्टी नहीं मिली। मन खट्टा हो गया। ऐसी भी क्या नौकरी! कुछ दिन बाद नौकरी ही छोड़ दी थी। 11 साल बीत गए। यूं ही। 92 में फिर हूक उठी। धेला पास में एक नहीं। पर मन में था- इस बार नहीं, तो कभी नहीं। मित्रों को लिखा। परिचितों-अपरिचितों ने कुछ ऐसा साथ दिया कि अचंभित रह गया! मान गए, भोले भण्डारी को! जब बुलाते हैं तो यूं हाथ पकड़कर कि व्यक्ति बस आनन्दविभोर हो अवाक रह जाता है।
केलास और मानसरोवर विश्व की सबसे सुन्दर और सबसे दुर्गम तीर्थयात्रा है। दिल्ली से लगभग 865 किमी दूर है ये क्षेत्र। भारत का विदेश मंत्रालय चीन सरकार के साथ मिलकर यह यात्रा आयोजित करता है जो उत्तराखण्ड के धारचूला, गब्यांग, गुंजी, लिपुलेख से गुजरती हुई 27 दिन में पूरी होती है। दूसरा मार्ग इस बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुलवाया है जो नाथुला (सिक्किम) से होकर है। यह सारा पथ गाडि़यों से किया जा सकता है। जबकि पहला मार्ग आधा पैदल, आधा गाडि़यों से है। नेपाल होकर भी यात्रा होती है- काठमांडू-ल्हासा-हवाई मार्ग और फिर पजेरो गाडि़यों से या काठमाण्डू से कैलास आना-जाना गाडि़यों से। हम पहली बार पैदल गए।
कैलास पर्वत साक्षात् भगवान शिव का निवास स्थान है। तिब्बत में भी अत्यंत श्रद्धा से कैलास की पूजा की जाती है। तिब्बती भाषा में कैलास को काडग रिमपोछे कहा जाता है। कैलास दर्शन कर भावुक यात्रियों की आंखों में आनंद के अश्रु छलक उठते हैं। नास्तिक से नास्तिक व्यक्ति भी कैलास का प्रथम दर्शन कर उसके सम्मुख श्रद्धा से नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सकता। पृथ्वी लोक पर यही एक ऐसा स्थान है जहां देवाधिदेव महादेव शिव का निवास स्थान है और जिसे हम अपनी आंखों से देख सकते हैं, जहां के क्षेत्र को स्पर्श कर सकते हैं। कैलास परिक्रमा दो दिन में पूरी होती है। मानसरोवर की परिधि 90 किलोमीटर की है। यह परिक्रमा भी दो दिन मं पूरी की जाती है। यह विश्व की झीलों में सबसे सुंदर, सबसे प्रेरक, सबसे मनमोहक एक दिव्य आभा लिए साक्षात् स्वर्ग भूमि का आभास कराती है। इसके उत्तर में कैलास और दक्षिण में गुरला मांधाता पर्वत है। दिल्ली से यात्रा मार्ग में धारचूला तक बस जाती है, आगे पैदल या खच्चरों पर रास्ता तय करना होता है। सम्पूर्ण मार्ग अलौकिक प्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त है। सैकड़ों हजारों प्रपातों का दूधिया जादू, हरियाली के हजार रूप और नवी ढांग में पर्वत जैसे चमत्कार। पर्वत शिखर पर ऐसा हिमनद बना है जो ठीक के आकार का है- एक स्थायी हमेशा दिखने वाला (जब बादल न हों) दृश्य!! यात्री मंत्रमुग्ध हो देखते ही रह जाते हैं।
कैलास पर्वत तक पहुंचना स्वप्नवत् ही था। हम शिविर में सुबह 5 बजे उठे। सामान बांधा। पौने छह बजे नाश्ता किया। जल्दी से बस में बैठे। हमारा सामान पीछे ट्रक में रखा था। यात्री दो दलों में विभक्त थे- एक दल अ- जो पहले कैलास यात्रा पर जाने वाला था अैर दूसरा ब, जो पहले मानसरोवर परिक्रमा करेगा। तकलाकोट से अगला पड़ाव तारचेन में था, प्राय: 80 किमी. दूर। मार्ग में मानसरोवर तट पर जैदी शिविर पड़ता है, जहां कुछ देर रुककर यात्री स्नान करते हैं और पास ही एक पहाड़ी पर चढ़कर कैलास के प्रथम दर्शन करते हैं। इस यात्रा के रोमांच और उत्तेजना के बारे में क्या कहा जाए। लगता है बस अब जीवन सफल हो गया। अब कुछ भी हो जाए परवाह नहीं। मानसरोवर में स्नान के बाद कैलास दर्शन हो जाएं तो फिर और क्या शेष रह जाता है चाहने को? तो साहब, सुबह बस चलते ही गणपति बप्पा मोरया के जयघोष से तकलाकोट गूंज उठा। गणेश चतुर्थी के दिन पहले गणपति स्मरण किया फिर भजन गूंजने लगे। एक घंटे बाद अबूधाबी से आए राव साहब चीखे- अरे बायीं ओर देखो, बायीं ओर। फैंटास्टिक। सबने मुंह घुमाया तो अवाक् रह गए। वह स्वप्न था या सत्य? हल्के-हल्के उजाले में आकाश के अनंत विस्तार के एक छोर पर दिव्य मणि सा चमकता वह अपार गरिमामय पर्वत- शुभ्र, उज्जवल, मनमोहक। गाइड बोला- यह गुरला मान्धाता पर्वत है। लोकश्रुति के अनुसार महाराजा मान्धाता ने मानसरोवर की खोज की थी और वहीं तट पर तपस्या की थी।
मान्धाता पर्वत के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दर्शन के उपरान्त आगे बढ़े। हम एकदम मैदानी क्षेत्र से गुजर रहे थे। पठार, पहाड़ी क्षेत्र से बिल्कुल भिन्न होता है। ऊंचाई पर रेगिस्तान मैदान जैसा- जहां छोटे-छोटे टीले, टीलेनुमा पहाडि़यां ही ज्यादा होती है। 9 बजे के लगभग दो पहाडि़यों के बीच स्फटिक सा निर्मल गहरे नीले रंग का जलाशय दिखा तो सब यात्री खुशी से चिल्ला उठे- मानसरोवर। 11 बजे हम मानसरोवर तट पर पहुंचे मानसरोवर की लहरें सागर की लहरों के समान उठती-गिरतीं, क्षितिज और मानस के जल का रंग एक जैसे- एक रूप। तट के आसपास रंगीन फूलों वाली घास थी, जिस पर पांव रखते ही धंसते थे। इसी मानसरोवर का वर्णन हमारे रामायण, महाभारत, सभी पुराणों- विशेषकर स्कन्दपुराण में इसका वर्णन है। बाणभट्ट की कादम्बरी, कालिदास के रघुवंश और कुमारसंभवम्, संस्कृत और पालि के बौद्ध ग्रंथों में भी इसका सुन्दर वर्णन है। बौद्ध ग्रंथों में इसे अनोतत्त या अनवतप्त- जो ऊष्मा और कष्ट से परे है- कहा गया है। महाभारत में इसे बिन्दुसर तथा जैन ग्रंथों में इसे पद्म हृद कहा गया है। इसके चारों ओर सतलज, करनाली, ब्रह्मपुत्र तथा सिन्धु के उद्गम हैं। इसके उत्तर में कैलास, दक्षिण में गुरला मान्धाता, पश्चिम में राक्षस ताल है। सागरतट से 14950 की ऊंचाई पर स्थित मानसरोवर का व्यास 54 मील तथा गहराई 300 फीट है। यह 200 वर्ग मील क्षेत्र में फैली है।
मानस में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिया- गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र का जप किया। मौन व्याप गया था सर्वत्र। किसी को किसी का ध्यान नहीं रहा। दण्डवत प्रणाम कर सब चुप बैठ गए। दिलीप संघवी दूर तक शूटिंग करते चले गए थे। दौड़कर लौटे और लिपट गए। मेरे कंधे उनके प्रेमाश्रुओं से गीले हो गए। कुछ कहते ही नहीं बनता था। गला रूंधा था। यह अनुभव साक्षात् प्रभुदर्शन से कम न था। –तरुण विजय

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies