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हरिद्वार में 28 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कनखल स्थित जगद्गुरु आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी प्रकाशानन्द जी की मूर्ति का अनावरण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म, संस्कृति और समाज का संरक्षण होना चाहिए। तीनों का एक-दूसरे से बहुत गहरा संबंध है। धर्म के संरक्षण से संस्कृति मजबूत होती है और जब संस्कृति सुरक्षित रहती है तो समाज भी अक्षुण्ण बना रहता है।
परमार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष व पूर्व गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द ने कहा कि आज हिन्दू समाज अपने अन्दर के बिखराव से पीडि़त है। आज कुछ राष्ट्र-विरोधी तत्व गड़बड़ी कर रहे हैं तो उसका भी कारण हमारे समाज के अन्दर का बिखराव ही है।
विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री श्री दिनेश चन्द्र ने कहा कि स्वामी प्रकाशानन्द जी के आश्रम में ही देश के सबसे बड़े धार्मिक आन्दोलन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का बीजारोपण हुआ था। कार्यक्रम के आयोजक शंकराचार्य राजराजेश्वर जी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। ल्ल प्रतिनिधि
भारत संस्कृत परिषद् की चिंतन गोष्ठी
'संस्कृत का कार्य दैवीय कार्य है और प्रत्येक भाग्यशाली भारतीय इसका सम्मान ही करता है। 1947 से लेकर अब तक संस्कृत की अवहेलना ही हुई है। इस समृद्ध भाषा का दुर्भाग्य यह है कि कालिदास जैसे वैश्विक विद्वान का व्यक्तित्व एवं कृतित्व जनसाधारण तक नहीं पहंुच पाया है। जिस शून्य की कल्पना वेदों में है वह कुछ संस्कृतज्ञों ने इस भाषा में उपस्थित कर दिया है। जबकि वेद, पुराण, उपनिषद् समेत सारे संस्कृत वाङ्मय का सार्वकालिक महत्व है।'
ये विचार हैं विहिप के संरक्षक श्री अशोक सिंहल के। श्री सिंहल पिछले दिनों दिल्ली में भारत संस्कृत परिषद् के चिंतन वर्ग को संबोधित कर रहे थे। श्री सिंहल ने कहा कि सरकार की ओर से एक विशेष समिति का गठन किया जाना चाहिए जो संस्कृत भाषा के कृतिकारों व कृतियों का प्रभावी एवं आकर्षक अनुवाद करे ताकि वह उपयोगी ज्ञान वर्तमान समय के अनुकूल सिद्ध हो सके। चिंतन गोष्ठी को विहिप के श्री धर्मनारायण शर्मा, भारत संस्कृत परिषद् के महामंत्री आचार्य राधाकृष्ण मनोड़ी सहित अनेक लोगों ने सम्बोधित किया। अध्यक्षता परिषद् के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र कुमार मिश्र ने की। -प्रतिनिधि
वनवासी रक्षा परिवार कंुभ के लिए भूमिपूजन
नई दिल्ली में रोहिणी के सेक्टर-10 स्थित जापानी पार्क में 21 दिसम्बर को होने वाले वनवासी रक्षा परिवार कंुभ के लिए 30 नवम्बर को भूमिपूजन किया गया और कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित हुआ। महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानन्द जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत पूजा एवं हवन-यज्ञ से हुआ। मुख्य यजमान और कंुभ के संरक्षक श्री मनोज अरोड़ा, स्वागताध्यक्ष श्री महेश भागचन्दका और संयोजक श्री मुरारीलाल अग्रवाल ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विधिवत पूजन किया। इस अवसर पर एकल अभियान के प्रणेता श्री श्याम गुप्त ने वनवासी क्षेत्र की समस्याओं के उचित समाधान पर जोर देते हुए कहा कि समाज के स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। इनके अतिरिक्त अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में इस कंुभ के लिए प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। -प्रतिनिधि
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