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दीवाली रोशनी का त्योहार है। लोक मानस में स्मृति है श्रीराम के अयोध्या लौटने और नगरवासियों द्वारा उनके अनुपम स्वागत की। लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि अमावस्या के तम को काटने वाला यह उजास कैसे गाढ़े श्रम से कमाया गया था!!
समाज को उत्सवी उत्साह देने वाली अनूठी कौंध हर उस मौके पर झलकती है जब निराशा के तम को चीरकर मेहनत, लगन और अटूट निष्ठा के बल पर कोई फर्श से अर्श तक पहंुचता है।
इस विशेष आयोजन में जिक्र है समाज को जगमगा रहे ऐसे ही कुछ दीपकों का जिन्होंने श्रम से लिखी अपने सौभाग्य की कहानी।
प्रस्तुति : विवेक शुक्ला
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