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चक्रवाती तूफान हुदहुद ने आंध्र प्रदेश में 24 लोगों को लील लिया, लेकिन मौसम विभाग की सजगता के चलते बड़े स्तर पर होने वाले नुकसान को रोक लिया गया। मौसम विभाग की पूर्व सूचना के चलते लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहंुचाने का कार्य पहले ही शुरू कर दिया गया था। हुदहुद का ग्रास बने विशाखापत्तनम को पटरी पर लौटने में काफी समय लगेगा।
समुद्री तूफान गत 12 अक्तूबर को विशाखापत्तनम से टकराया और कुछ ही समय बाद उसने आंध्र प्रदेश व ओडिशा में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। जगह-जगह जमीन खिसक गई। दोनों राज्यों के करीब 7 लाख लोगों को पूर्व सूचना के अनुसार सुरक्षित बचाया गया। तूफान के कारण संचार, रेल व परिवहन सेवाएं बाधित हो गईं। समुद्री तूफान से सबसे अधिक नुकसान विशाखापत्तनम और उसके बाद ओडिशा में हुआ है। विशाखापत्तनम में तो गत 11 अक्तूबर से ही बिजली की आपूर्ति ठप हो गई थी। इस जिले में करीब 20 लाख की आबादी है। शहर का शहर युद्धक्षेत्र में बदल गया। विशाखापत्तनम का हवाई अड्डा भी हुदहुद की भेंट चढ़ गया। 195 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आई तेज हवा में हवाई अड्डे की छत तक उड़ गई। अधिकांश लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इन सभी को विमान की मदद से भोजन पहंुचाया गया। विशाखापत्तम के विभिन्न जिलों में मकान व इमारतें धराशायी हो गईं। वहीं ओडिशा में 80 हजार से अधिक मकानों को नुकसान पहंुचने का अनुमान है। हुदहुद से प्रभावित राज्यों की स्थिति का 14 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं हवाई यात्रा कर जायजा लिया। उन्होंने आंध्र प्रदेश को राहत के लिए 1000 करोड़ रुपए की मदद और साथ ही मृतकों को 2-2 लाख रुपए, जबकि घायलों को 50-50 रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने राज्यों को केन्द्र द्वारा हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया। प्रतिनिधि
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