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राज्य समाचार
पीडि़ता का पलटना या पुलिसिया कहानी?
मेरठ के खरखौदा में हुए 'लव जिहाद' प्रकरण में दो माह पूर्व बलात्कार व मतांतरण का मामला दर्ज कराने वाली पीडि़ता के प्रकरण में उस समय नया मोड़ आ गया कि जब उसने उलटा अपने माता-पिता के खिलाफ ही पुलिस से शिकायत कर जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज करा दिया। हालांकि कल तक सभी की आंखों में खलनायक बने कलीम के प्रति पीडि़ता की एकाएक सहानुभूति किसी को हजम नहीं हो रही। पीडि़ता का माता-पिता के दबाव में पहला मामला दर्ज कराने की बात कहकर अब पलटना लोगों को एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा लग रहा है। माना जा रहा है कि यह 'लव जिहाद' को शह देने वालों की एक सोझी-समझी चाल है।
मामला न्यायालय के अधीन है। लड़की के बयान होने के बाद न्यायालय के निर्देेशानुसार आगे की जांच और कार्रवाई
की जाएगी।
-ओमकार सिंह, वरिष्ठ पुलिस, अधीक्षक, मेरठ
मेरठ के खरखौदा में 'लव जिहाद' का मामला इससे पहले की जांच की रफ्तार पकड़ पाता, उससे पहले ही मामला फंस गया। खरखौदा में जिस युवती ने अगस्त माह में सामूहिक दुष्कर्म और मतांतरण का मामला दर्ज कराया था, अब उसी युवती ने अपने घर से भाग कर परिजनों के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज करा दिया है।
गत 12 अक्तूबर को युवती अपने घर से भागकर महिला थाने जा पहंुची और वहां उसने स्वयं को माता-पिता से जान का खतरा होने की बात कही। यही नहीं युवती ने कहा कि वह अपनी इच्छा से कलीम के साथ भागी थी, फिलहाल उसे नारी निकेतन भेज दिया गया है।
रविवार की तड़के अचानक से युवती के घर से गायब होने पर उसके पिता ने पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने जब उसकी तलाश शुरू की तो पता लगा कि वह तो स्वयं महिला थाने में बैठी हुई है। यह भी पता लगा है कि शिकायत दर्ज कराने से पहले वह आरोपी कलीम के घर गई थी और वहां से उसके एक परिजन की मदद से महिला थाने पहंुच गई।
पुलिस इस प्रकरण में अभी तक सामूहिक दुष्कर्म और मतांतरण के आरोप में करीब दस आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी। पुलिस जांच में कलीम पर दुष्कर्म का आरोप लगा था।
पीडि़ता के अब यह कहने से कि उसके साथ बलात्कार और मतांतरण जैसी कोई घटना नहीं हुई, बल्कि वह अपनी इच्छा से कलीम के साथ गई थी क्योंकि घर में उसे पीटा जाता था। उसने बताया था कि माता-पिता के दबाव के कारण ही उसने सामूहिक दुष्कर्म और मतांतरण का मामला दर्ज कराया था, वरना उसके घरवाले उसे मार डालते। उसके पूर्व के बयानों से पलटने पर कहानी बदल गई है।
धमकी देने का आरोप
पीडि़ता के अभिभावकों का कहना है कि गत 11 अक्तूबर को उनके घर पर आरोपी पक्ष की तरफ से सद्दाम नामक व्यक्ति पहंुचा था। उस समय पीडि़ता घर पर अकेली थी। सद्दाम ने पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बाद से पीडि़ता काफी डर गई।ल्ल प्रतिनिधि
खरखौदा घटनाक्रम
ल्ल 29 जुलाई को खरखौदा के सरावा गांव में रहने वाली और मदरसे में पढ़ाने वाली युवती अचानक गायब हुई।
ल्ल 03 अगस्त को युवती आरोपियों के चंगुल से बच निकली।
ल्ल युवती ने बताया कि जबरन उसका मतांतरण कराया गया और उससे सामूहिक दुष्कर्म किया गया।
ल्ल बताया कि आरोपी पासपोर्ट तैयार कराकर 05 अगस्त को देह व्यापार के लिए खाड़ी देश भेजना चाहते थे।
ल्ल उसने बताया था कि मुजफ्फरनगर के एक डॉक्टर से ऑपरेशन करवाकर उसकी गर्भाशय नाल भी निकलवा दी गई।
ल्ल यह भी कहा था कि मुजफ्फरनगर के एक मदरसे में 25-30 युवतियों को बंधक बनाकर रखा गया है।
ल्ल पुलिस ने पहले तो पीडि़ता और उसके परिजनों को टरकाया, लेकिन बाद में हिन्दू संगठनों के दबाव में मामला दर्ज किया गया।
ल्ल 05 अगस्त को लोकसभा में इस मामले को मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने शून्य काल में उठाया था।
ल्ल पीडि़ता ने खतौली के एक मदरसे में छापेमारी के लिए सूचना दी थी, लेकिन तब उत्तर प्रदेश पुलिस मुजफ्फरनगर के मदरसे में छापेमारी कर लौट आई थी।
ल्ल अब कहा माता-पिता के दबाव में दर्ज कराया था मतांतरण व सामूहिक बलात्कार का मामला और दुष्कर्म के आरोपी कलीम को बताया अपना प्रेमी।
ल्ल 12 अक्तूबर को पीडि़ता ने अपने माता-पिता के विरुद्ध कराया जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज।
सुलगते सवाल:
' पीडि़ता का ये कहना कि उसने झूठा मामला दर्ज कराया था, किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं क्योंकि उसे जब मुक्त कराया गया था तो उसी ने स्वयं मतांतरण और सामूहिक बलात्कार की बात कही थी, जबकि उस समय उसके घरवालों का उस पर कोई दबाव नहीं था और पुलिस व स्वयंसेवी संगठन साथ ही थे।
' पीडि़ता ने खुलासा किया था कि उसकी गर्भाशय नाल निकाल दी थी, यह बात भी उसने स्वयं कही थी।
' पुलिस ने शुरुआत में 'लव जिहाद' की बात को हिचकते हुए स्वीकार किया था, लेकिन अब युवती की शिकायत पर उसका तुरंत कार्रवाई करना संदेह पैदा करता है।
' ऐसा क्या हुआ कि दो माह बाद अचानक से पीडि़ता को अपने पुराने बयान गलत लगे और उसे माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज कराकर सच्चाई का खुलासा करना पड़ा।
' पीडि़ता का यह कहना कि वह कलीम के साथ सुरक्षित है, जबकि माता-पिता के साथ नहीं तो फिर उसने कलीम के साथ न जाकर नारी निकेतन जाना क्यों स्वीकार किया।
' पीडि़ता के घरवाले शुरू से ही मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे थे क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस पर भरोसा नहीं था। उनका कहना है कि सद्दाम ने उनकी बेटी को धमकी भी है, लेकिन इस ओर गंभीरता से कोई ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है।
' पीडि़ता ने पहले दिए गए बयानों के आधार पर न्यायालय और जांच एजेंसियों को गुमराह किया और उनका समय बर्बाद किया, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए है, क्या इसके लिए वह तैयार है।
' क्या 'लव जिहाद' के मामले को प्रभावित करने की मंशा से यह साजिश का हिस्सा है।
' क्या प्रकरण में फंसे आरोपियों के दबाव के चलते पीडि़ता पूर्व के बयानों से पलटने को मजबूर हो गई।
' क्या लोगों का सचाई से ध्यान भटकाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। ल्ल
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