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पाक का दुस्साहस – अंजाम भुगतने की तैयारी है ?

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Oct 13, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 13 Oct 2014 14:19:24

अभी तक पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवादी भेज निरीह नागरिकों को निशाना बनाता रहा है और इस बार सीमा पार से उसकी फौज भी यही कर रही है। हमेशा मुंह की खाते रहने से वह सीधे युद्ध से बचना चाहता है। जब भारतीय फौज ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए ठोस कार्रवाई की तो पाकिस्तान तिलमिला उठा। प्रस्तुत है सीमा से सटे गांवों का हाल बताती रपट

रोजाना शाम को सात बजे के बाद यहां दिल दहलने लगता है। पाक फौजों की फायरिंग शुरू हो जाती है। गांव तो पहले ही खाली हो चुके हैं। जो इक्का दुक्का लोग बचे हैं, वे भी शाम को घरों में दुबक जाते हैं। सभी लाइटें बंद कर अंधेरा कर दिया जाता है ताकि पाक सेना निशाना बनाकर गोलाबारी न कर सके। सीमा के पास सभी गांवों में ऐसी ही स्थिति है। रात को पूरा 'ब्लैक आउट होता है'। सात अक्तूबर की रात मौसम खराब था। तेज हवाएं चल रही थीं। शाम करीब साढ़े सात बजे पाकिस्तान की तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। लगातार धमाकों की आवाजें आ रही थीं। मैं स्कूल में ही बने अपने घर में था। जैसे-जैसे रात होती गई धमाकों की आवाज तेज होती गई। रात करीब साढ़े नौ बजे तेज आंधी के साथ बारिश शुरू हो गई तो फायरिंग थोड़ा रुक गई। रात 12 बजे फिर से धमाकों की आवाज आने लगी। इस बीच तेजी से दो धमाके हुए। मैं छिप गया। कुछ देर बाद बाहर आया तो देखा पाकिस्तान की तरफ से आया एक गोला स्कूल के ऑफिस के पास लैब के सामने गिरा था। दरवाजे के परखच्चे उड़ गए थे, लैब का सारा समान टूट गया था। पड़ोस में रहने वाले सोहनलाल की छत पर एक गोला गिरा। छत उड़ गई। गनीमत रही कि घर के लोग पहले ही घर खाली कर चुके थे। सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक लगातार धमाकों की और फायरिंग किए जाने की आवाजें आती रहीं। ये शब्द जम्मू के अरनिया में अपना स्कूल चलाने वाले मनोहर अंबरोश भट्टी के हैं। नवज्योति हाईस्कूल के मालिक मनोहर का कहना है कि यह पहली बार है कि अरनिया पर इस तरह आकर बम गिर रहे हैं। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।
अरनिया में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने वाले मनोज ने बताया कि यहां पर कभी फायरिंग नहीं होती थी। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि 1965 और 1971 के समय थोड़ी बहुत फायरिंग होती थी, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि यहां निशाना बनाकर गोले दागे गए हों, लेकिन इस बार ऐसा हो गया। दो अक्तूबर की रात से शुरू हुई फायरिंग अभी तक जारी है। दहशत के चलते लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि अरनिया में 13 वार्ड हैं और आबादी तकरीबन 22 हजार है। बमबारी शुरू होने के बाद अब यहां पर केवल दो-तीन हजार लोग ही रह गए हैं, कस्बे के बाकी लोग पलायन कर चुके हैं। रात को पूरा अरनिया लगभग खाली हो जाता है। सुबह जब फायरिंग रुकती है तो लोग खाली पड़े अपने मकानों को देखने के लिए आते हैं कि कुछ बचा है या नहीं ? पहले पाकिस्तान की तरफ से हल्की फायरिंग हो रही थी, फिर मोर्टार से फायरिंग शुरू हुई जो लेंटर नहीं तोड़ रही थी लेकिन नुकसान पहुंचा रही थी। अब पाकिस्तान की तरफ से और भारी गोले दागे जा रहे हैं जो लेंटर भी तोड़ दे रहे हैं।
बर्बाद हो रहीं फसलें, मारे जा रहे मवेशी
बासमती चावल के लिए प्रसिद्ध अरनिया के लोग दहशत में हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं। लोगों के मवेशी मारे जा रहे हैं। पहले 'लाइन ऑफ कंट्रोल' के आसपास ही पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन होता था, लेकिन अब पाकिस्तानी फौज भारतीय सीमा के पास बसे गांवों को निशाना बना रही है। सात सितंबर की रात पाकिस्तानी सेना ने भारत के हीरानगर, सांबा, अरनिया, आरएसपुरा, कानाचक, परगवाल और रामगढ़ सेक्टरों में लगातार फायरिंग की। इस फायरिंग में सांबा जिले के चिलयारी गांव में दो ग्रामीणों की भी मौत हो गई।
05 अक्टूबर की रात को हुई थी गोलाबारी
अरनिया तहसील के सुहागपुर गांव के श्री तारा ने बताया कि पिछले पांच छह दिनों से फायरिंग लगातार हो रही है। 2 अक्तूबर रामनवमी की रात को ही फायरिंग शुरू हो गई थी। 3 अक्तूबर विजयादशमी की शाम को जब लोग पूजा में जुटे थे तब पाकिस्तान ने फायरिंग तेज कर दी। उसके बाद पांच अक्तूबर को पाकिस्तान की तरफ से सबसे भारी गोलाबारी हुई। इसमें 'महाशय दे कोठे गांव' में एक ही परिवार के पांच लोग मारे गए। अरनिया में भी दो लोग मारे गए। करीब 70 लोग जख्मी हैं जिनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
गांव के गांव हो चुके हैं खाली
पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रही फायरिंग के मद्देनजर सेना ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। दरअसल अरनिया पाकिस्तान की फायरिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित तहसील है। बॉर्डर से यहां की दूरी करीब ढाई किलोमीटर है। पाकिस्तानी सेना अरनिया के बाजार और घरों को निशाना बना रही है। पिंडी के गांव के तजिंदर ने बताया कि सीमा के पास स्थित चानना, कदवाल, त्रेवा,चंगिया, कोरली, महाशय दे कोठे व अला समेत कई गांव खाली हो चुके हैं।
दीवारों की आड़ लेकर कट रही रातें
अरनिया के भूपेंद्र ने बताया कि रात जब से पाक की तरफ से फायरिंग शुरू हुई लोग सोना भूल गए हैं। सभी ने अपने परिवारों की औरतों और बच्चों को घरों से दूर भेज दिया है। गांवों में कोई नहीं रह रहा है। लोग अरनिया और सीमा से कई-कई किलोमीटर दूर रहने वाले अपने रिश्तेदारों और परिचितों के यहां शरण लेकर रहे हैं। सीमा के पास स्थित गांवों में रहने वाले लोगों की रातें दीवारों की आड़ में बैठकर कट रही हैं। यदि थकान के मारे आंखें झपक भी जाती हैं तो धमाकों की आवाज नींद उड़ा देती है।
जवाब मिला तो तिलमिलाया पाक
पाकिस्तानी सेना की फायरिंग से अभी तक भारत के आठ नागरिकों की मौत हो चुकी है। जबकि करीब 70 लोग घायल हैं। भारत ने भी पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार अभी भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 15 सैनिक मारे जा चुके हैं। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने सेना को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। संघर्ष विराम पर कड़ा रुख अपनाते हुए भारत ने फ्लैग मीटिंग किए जाने से मना कर दिया है। गृह मंत्रालय की तरफ से पहले बीएसएफ को फ्लैग मीटिंग के लिए निर्देश दिए गए थे, लेकिन ऐसा नहीं होगा। यदि पाकिस्तान फ्लैग मीटिंग को लेकर पहल करता है तो इस बारे में सोचा जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र के सामने पाक ने रोना रोया
जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर मामला उठाए जाने के बाद भी कहीं से कोई हमदर्दी नहीं मिली तो पाकिस्तान ने सीमा पर गोलाबारी के बहाने इस मामले को उछालने की कोशिश की। पाक ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के सामने शिकायत की। वहीं भारत ने इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह कश्मीर में सैन्य निगरानी समूह को जाने की इजाजत नहीं देगा।
भारत का कहना है कि 'संघर्ष विराम का उल्लंघन पाकिस्तान ने शुरू किया है। हम जवाब देने में सक्षम हैं। हम अपनी जमीन की हिफाजत कर रहे हैं'। वहीं इस मामले पर यूएन महासचिव बान की मून ने दोनों देशों से अपने मुद्दे को कूटनीति और बातचीत के जरिए सुलझाने को कहा है।
पाक खौफ में, पर सुधरने को राजी नहीं
पाकिस्तानी मीडिया की खबरों की मानें तो भारत के कड़े जवाब से पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। सीमावर्ती इलाके में बसे उसके हजारों लोग पलायन कर गए हैं। पाक प्रधानमंत्री परेशान जरूर हैं लेकिन सियासी दुश्वारियों के चलते सुधरने को राजी कतई नहीं दिखते। हर मंच पर मुंह की खाता पाकिस्तान घटिया हरकतों से कब बाज आएगा, पता नहीं? -आदित्य भारद्वाज

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