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वंशवादी राजनीति के बीच खिलेगा कमल

by
Oct 4, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Oct 2014 16:04:33

मनोज वर्मा

नई दिल्ली। देश में जब भी वंशवादी राजनीति को लेकर चर्चा होती है तो हरियाणा का नाम पहले क्रम पर आता है। हरियाणा राज्य बनने के बाद से ही प्रमुख रूप से चार राजनीतिक खानदानों ने इस सूबे में राज करने का काम किया। इनमें देवीलाल, बंसीलाल,भजनलाल और भूपेंद्र सिंह हुड़डा के परिवार शामिल हैं। लेकिन इस बार हरियाणा की राजनीति कुछ अलग ही करवट लेती नजर आ रही है। पांच दशकों के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है जब राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मजबूती के साथ विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है और वंशवादी राजनीति करने वाले दलों पर भारी पड़ रही है। हरियाणा की राजनीति में भाजपा ने खुद को उसी प्रकार राजनीतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है जैसे उसने मई में हुए लोकसभा चुनाव में देश के मतदाताओं से स्पष्ट बहुमत मांगते हुए चुनाव लड़ा। भाजपा ने अकेले दम पर लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया। अब भाजपा हरियाणा की जनता से स्पष्ट बहुमत मांग रही है।
भाजपा को लग रहा है कि हरियाणा की जनता भी विधानसभा चुनाव मेंे नया राजनीतिक इतिहास लिखेगी। भाजपा को ऐसा लग रहा है तो उसकी वजह मई में हुए लोकसभा के चुनाव परिणाम हैं। जैसा कि वरिष्ठ भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यू कहते हैं कि, लोकसभा चुनाव को आधार माना जाए तो राज्य की नब्बे विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 53 विधासभा सीटों पर अपनी बढ़त बनाई थी। राज्य में लोग कांग्रेस के शासन से मुक्ति चाहते हैं और उन्हें भाजपा ही बेहतर विकल्प के रूप में दिख रही है। भजनलाल और बंसीलाल के परिवार भी राज्य की राजनीति को कुछ हद तक प्रभावित करते रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव मेंे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उतरी भाजपा ने हालांकि राज्य की दस लोकसभा सीटों पर कुलदीप विश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। आठ सीटों पर भाजपा ने और दो सीटों पर हजकां ने चुनाव लड़ा। भाजपा ने आठ में से सात सीटों पर जीत हासिल की जबकि हजकां दोनों सीटों पर चुनाव हार गई। लोकसभा चुनाव ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तस्वीर को भी बदलकर रख दिया। विधानसभा चुनाव भाजपा ने अकेले अपने दम पर लड़ने का फैसला कर उन क्षेत्रीय दलों को सकते में डाल दिया जो यह मानकर चल रहे थे कि भाजपा उनसे गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी।
अब राज्य में प्रत्येक सीट पर मुकाबला तिकोना या बहुकोणीय होता नजर आ रहा है। मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस,भाजपा और इनेलो के बीच है पर हरियाणा जनहित कांग्रेस, हरियाणा जन-चेतना पार्टी और बसपा भी कई सीटों पर मुकाबले में हैं। नब्बे विधानसभा सीटों वाले इस सूबे में करीब चालीस सीटें जाट असर वाली मानी जाती हैं जबकि करीब पचास सीटें गैर जाट प्रभाव वाली। हरियाणा की राजनीति के तीन लाल-देवीलाल, भजनलाल और बंसीलाल की राजनीति धारा को संभालने वाले राजनीतिक दल और उनके नाते रिश्तेदार अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अपने बेटे अजय चौटाला के साथ जेल भी जाना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप विश्नोई और उनकी हजकां की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। बंसीलाल परिवार से किरण चौधरी, श्रुति चौधरी और रणबीर सिंह महेंद्रा मैदान में हैं, तो मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भी किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस को चालीस सीटें मिली थीं और उसने जोड़ तोड़कर सरकार बनाई थी। इनेलो को 32 सीटें मिलीं। तो इस वर्ष लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 53 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी। राज्य में कांग्रेस की सरकार है और भाजपा हुड्डा सरकार के शासन में किसानों की जमीनों के अधिग्रहण, मुआवजे और घोटालों को मुददा बना रही है। जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह और राव इंद्रजीत सिंह जैसे प्रमुख कांग्रेसी नेताओं के भाजपा में शामिल होने से भी कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस नेता अवतार सिंह भडाना ने इनेलो का दामन थाम लिया। कांग्रेस के कई प्रमुख नेता मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कार्यशैली से खुश नहीं हैं। घोटाले के आरोप में कानूनी शिकंजे में फंसे ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला के जेल में होने के कारण इनेलो नेतृत्व के संकट से जूझ रहा है। हरियाणा में विरोधी खेमे में बिखराव और दिल्ली में मोदी सरकार के चलते हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए वातावरण अन्य दलों के मुकाबले अधिक सकारात्मक लग रहा है।

कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। चौटाला भ्रष्टाचार में फंसे हैं और मोदी सरकार ने सौ दिन में ही लोगों को निराश कर दिया। इसलिए इस बार भी कांग्रेस की सरकार बनेगी।
— भूपेंद्र सिंह हुडडा ,मुख्यमंत्री ,कांग्रेस

लोकसभा चुनाव को आधार माना जाए तो राज्य की नब्बे विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 53 विधासभा सीटों पर अपनी बढ़त बनाई थी। राज्य में लोग कांग्रेस के शासन से मुक्ति चाहते हैं और उन्हें भाजपा ही बेहतर विकल्प के रूप में दिख रही है। — कैप्टन अभिमन्यू,भाजपा

हुड्डा सरकार ने मुझे, मेरे परिवार को भ्रष्टाचार कंे झूठे मामलों में फंसाया है और राज्य की जनता अब विधानसभा चुनाव में उनसे बदला लेगी। हुड्डा ने राज्य का विकास नहीं विनाश किया। घपले घोटाले किए, उनकी सरकार से कोई खुश नहीं है।  —ओम प्रकाश चौटाला, इनेलो

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