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गत 18 सितम्बर को भभुआ (बिहार) में विश्व धर्मसभा एवं सारस्वत सम्मान समारोह आयोजित हुआ। इसके मुख्य अतिथि थे पुरी पीठाधीश्वर श्रीजगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द जी महाराज। इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा कि भारतवर्ष विश्व का हृदय है। इसे सनातन वैदिक आर्य संस्कृति के अनुसार सुव्यवस्थित करने और रखने की आवश्यकता है। सनातन संस्कृति ने विश्व को धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, मोक्षशास्त्र, नीतिशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, गणित आदि सब प्रकार के ज्ञान-विज्ञान से सम्पन्न किया है। उन्होंने कहा कि मैकाले की शिक्षा पद्धति से आज जीविका पद्धति भी बदल गई है। इससे संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। संयुक्त परिवार के टूटने से सनातन कुल धर्म, कुल आचार्य, कुल वधू, कुल देवता, कुल देवी इन सबका विलोप हो रहा है। इन सबके विलोप से आज मनुष्य सन्तान उत्पन्न करने और भोजन करने की मशीन मात्र बनकर रह गया है। विषय प्रस्तावना डॉ़ विवेकानन्द तिवारी ने रखी। कार्यक्रम का आयोजन जनसंघ के प्रान्त संगठन मंत्री एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक रहे स्व. जवाहर तिवारी की स्मृति में अखिल भारतीय सारस्वत परिषद् ने किया था। इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री अरुण कुमार ओझा को भारत-भारती सम्मान , मो़ अयाज और बाल सन्त शिवानन्द तिवारी को सारस्वत सम्मान, अर्चना चतुर्वेदी को आदर्श माता सम्मान और उदय प्रताप यादव को आदर्श संयुक्त परिवार सम्मान से सम्मानित किया गया। ल्ल प्रतिनिधि
'गुरु परम्परा' संस्कृत काव्य संग्रह का लोकार्पण
नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशिष्ट संस्कृत अध्ययन केन्द्र तथा दिल्ली संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों संस्कृत युवा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में संस्कृत के अनेक नवोदित कवियों ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इस अवसर पर विशिष्ट संस्कृत अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष प्रो़ सी. उपेन्द्र राव द्वारा रचित 'गुरु परम्परा'नामक संस्कृत काव्य संग्रह का लोकार्पण भी हुआ। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति प्रो़ राधावल्लभ त्रिपाठी ने लोकार्पित काव्य की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्कृत का संरक्षण होना चाहिए। समारोह में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ़ संदीप चटर्जी, प्रसिद्ध संस्कृत कवि डॉ़ रमाकान्त शुक्ल, दिल्ली संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ़ धर्मेन्द्र कुमार, डॉ़ आनन्द कुमार, डॉ़ सन्तोष शुक्ल तथा हरियाणा संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ़ सुधीर कुमार आदि विद्वान उपस्थित थे।
पुरस्कारों के लिए
प्रविष्टियां आमंत्रित
राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास की ओर से प्रतिवर्ष दिए जाने वाले पत्रकारिता पुरस्कारों की श्रृंखला में सन् 2014 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की गई हैं। कोई भी पत्रकार स्वयं या उनका संस्थान 5 अक्तूबर, 2014 तक अपना आवेदन निम्न पते पर भेज सकता है-
राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास
2502-ए, नलवा गली, पहाड़गंज
नई दिल्ली-110055
दूरभाष : 011-23561478, 65439538
आवेदन ई मेल भी कर सकते हैं-
hsrpkn2012@gmail.com
अभाविप का छात्रा सम्मेलन और कार्यशाला
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) ने 20 से 21 सितम्बर तक लखनऊ में राष्ट्रीय छात्रा सम्मेलन व कार्यशाला का आयोजन किया। दो दिवसीय इस सम्मेलन में अनेक वरिष्ठ वक्ताओं ने विचार रखे। इस अवसर पर अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुनील आम्बेकर ने लव जिहाद के सन्दर्भ में कहा कि समाज में प्रेम को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन अगर यह षड्यन्त्र के साथ हो रहा है तो इस पर कार्रवाई होनी चाहिए। अखिल भारतीय महिला समन्वयक गीता ताई गुंडे ने कहा कि जब मैं विद्यार्थी परिषद् के सम्पर्क में आई तो लगा कि देश के लिए कुछ करना चाहिए। मेरे साथ जुड़े कुछ विद्यार्थियों में पूर्णकालिक भी निकल गए। मैंने भी प्रयास किया लेकिन महिला होने के नाते मैं वंचित रही। इसके बाद मैं नौकरी करने लगी। बाद में नौकरी छोड़कर राष्ट्रसेवा करने का संकल्प लिया। अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री श्री हरि बोरिकर ने कहा कि वर्तमान में शिक्षण संस्थानों के आसपास हिन्दू लड़कियों को फंसाने का षड्यन्त्र चल रहा है। इसके खिलाफ प्रचण्ड अभियान चलाने की अवश्यकता है। राष्ट्रीय मंत्री गीतांजलि ने कहा कि हड़प्पा की सभ्यता से लेकर आधुनिक युग तक महिलाओं की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. ममता यादव ने कहा कि देश में पश्चिमी सभ्यता को बढ़ावा दिया जा रहा है, यह चिन्ता का विषय है। प्रसिद्ध महिला उद्यमी ललिता कुमारी मंगलम ने कहा कि परिवार व भारतीय संस्कृति की मर्यादा में रहकर ही सुखी जीवन जीया जा सकता है। आईएसएस अधिकारी सुहासिनी ने कहा कि हर दिन कुछ नया करने की आदत डालनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता डा़ॅ राका ने स्त्री को धर्म की वाहक बताते हुए कहा कि संविधान मंे महिला सुरक्षा, संवर्धन, स्वावलम्बन समेत कई प्रकार के अधिकार दिए गए है। बस आवश्यकता है कि हम उसे जानंे और समझें। -हिन्दुस्थान समाचार
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