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अफगानिस्तान में पिछले कई महीने से चल रही राजनीतिक उठापटक थम गई है। अब अशरफ गनी अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति होंगे। उम्मीद है कि जल्दी ही वे राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उल्लेखनीय है कि कुछ ही समय पहले अफगानिस्तान में राष्ट्रपति के लिए मतदान हुआ था। दोनों प्रमुख उम्मीदवार अशरफ गनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए अपनी-अपनी जीत का दावा किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने चुनाव परिणाम पर रोक लगा दी थी। पिछले दिनों अशरफ और अब्दुल्ला के बीच एक समझौता हुआ है। उसके अनुसार मुख्य कार्यकारी अधिकारी का एक नया पद सृजित किया गया है। इस पद पर अब्दुल्ला द्वारा मनोनीत कोई व्यक्ति बैठेगा और उसके पास प्रधानमंत्री के बराबर अधिकार होंगे। इसी समझौते में अशरफ गनी को राष्ट्रपति बनाने पर सहमति हुई है। कहा जा रहा है कि यह समझौता वैश्विक दबाव में हुआ है। विश्व समुदाय यह नहीं चाहता था कि अफगानिस्तान में गृहयुद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो। बता दें कि 1990 के दशक में गृहयुद्ध के कारण ही तालिबान को अफगानिस्तान में पैर पसारने का मौका मिला था। इसलिए विश्व समुदाय सजग था और वह दोनों पक्षों में समझौता कराने में कामयाब रहा। अब्दुल्ला को पद संभालते ही अमरीका के साथ उस समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे, जिसके तहत इस वर्ष के अन्त में अफगानिस्तान से नाटो सेना की वापसी के बाद सेना की एक टुकड़ी को अफगानिस्तान में रहने की इजाजत होगी।
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