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पाठकों के पत्र

by
Sep 20, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 20 Sep 2014 14:59:52

अंक संदर्भ : 31 अगस्त, 2014

'पालनहार' की सभी समस्याओं का हो निदान

आवरण कथा ह्यदाने से जुड़ी देश की चिंताह्ण भारतीय कृषि के संबंध में यह विशेषांक संग्रहणीय है। इस अंक में अनेक लेख दिशा देने वाले एवं विषयसम्मत सामग्री से भरपूर हैं। साथ ही मेरा एक सुझाव है कि हिन्दुस्थान में जो अनेक कृषि महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हैं,उनके पाठ्यक्रमों को भी तद्नुसार सुधरवाने का प्रयास किया जाए तो अगले कुछ वर्षों में भारतीय कृषि क्षेत्र का उल्लेखनीय कल्याण होगा।
—डॉ.महेश चन्द्र, सेक्टर-6,रामकृष्णपुरम् (दिल्ली)

कृषि कार्य घाटे का रोजगार रह गया है। किसान जिस दिन से कोई भी फसल खेत में बोता है, उस दिन से वह काटने तक पूरी मेहनत के साथ दिन-रात लगा रहता है। पर अंत में कहीं मौसम की मार पड़ जाती है तो कहीं उसके उत्पाद का उचित मूल्य बाजार में नहीं मिलता, जिससे वह कहीं का भी नहीं रहता। असल में सच्चाई यह है कि जो देश को पालने की जिम्मेदारी लिए हुए हंै,उनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं,उनको मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पातींं, वे जो पढ़ना चाहते हैं वह पढ़ नहीं पाते। असल में यही कृषि प्रधान देश की सच्चाई है।
—हरेन्द्र प्रसाद साहा, नयाटोला कटिहार(बिहार)
हिन्दुस्थान सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। यहां पर विभिन्न प्रकार की उन्नत फसलों की खेती की जाती है। लेकिन कुछ समय से पाश्चात्य प्रभाव के कारण हमारी धरा विष युक्त हो गई है। खेती की और ज्यादा पैदावार बढ़ाने के चक्कर में किसान धरती में अनेक ऐसे रासायनिक विषों को डालता जा रहा है, जिसके फलस्वरूप आज खेती का सत्यानाश हो रहा है। इस स्थिति को तत्काल ठीक करने की जरूरत है।
—अनूप सिंह, बागरमऊ,उन्नाव (उ.प्र.)

कृषि विशेषांक अत्यन्त ज्ञानवर्धक तथा भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित अंक था। आज जिस प्रकार हम अन्न उत्पादन हेतु अधिक से अधिक रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक का प्रयोग कर रहे हैं, वह हमारे शरीर व वातावरण पर घातक प्रभाव छोड़ रहे हैं। पशु-पक्षी भी इन रासायनिक दवाओं का शिकार हो रहे हैं। प्रकृति का ह्यसफाई कर्मीह्ण कहा जाने वाला गिद्ध इसके दुष्परिणाम से विलुप्त होने की कगार पर है। अब समय आ गया है कि हम पुन:प्रकृति व मानवता के संरक्षण हेतु अपनी पारम्परिक व वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर हों।
—रमेश कुमार मिश्र, कान्दीपुर-अम्बेडकर नगर(उ.प्र.)

आज कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या अगर किसी की है तो कृषि में प्रयोग होने वाले रासायनिक विष की,जो हमारी उपजाऊ भूमि को बंजर करते जा रहे हैं। आज किसानों के मन में ऐसा भर दिया गया है कि बिना रासायनिक चीजों के कृषि की ही नहीं जा सकती। ज्यादा फसल के लालच में किसान अंंधाधुंध रासायनिकों का प्रयोग करते जा रहे हैं। यह वर्तमान में बड़ी ही चिंता का विषय है। साथ ही दूसरी समस्या सिंचाई की है। मौसम पर अगर किसान निर्भर रहता है तो वह खेती कर ही नहीं सकता। क्योंकि अब समय पर बारिश होती ही नहीं है। जब किसानों को समय पर खेती के लिए पानी ही नहीं मिलेगा तो फसल कैसे होगी। सरकार को चाहिए कि वह इन दोनों विषयों को गंभीरता से ले और समय रहते इनका निदान करे।
—सुधीर कुमार,जगाधरी (हरियाणा)

हिन्दू राष्ट्र शब्द से पेट दर्द क्यों?
बहुत से लोगों को ह्यहिन्दू राष्ट्रह्ण शब्द के उच्चारण मात्र से ही पेट-दर्द होने लगता है। इसकी एकमात्र औषधि है इतिहास का ज्ञान और उसका सम्मान। जिस दिन वे इतिहास को पढ़कर समझ लेंगे उस दिन उनका यह संकट दूर हो जाएगा और जिस कूपमंडूक सोच मंे वे हैं उससे बाहर आ जाएंगे।
—डॉ. प्रणव कुमार बनर्जी बिलासपुर(छ.ग.)

देश का दुर्भाग्य है कि हिन्दुस्थान में हिन्दुत्व की बात करते ही हिन्दू विरोधी अपना रंग दिखाना शुरू कर देते हैं। देश में रहने वालों को हिन्दू बोलने मात्र से ऐसा कोहराम होने लगता है,जैसे कोई बहुत बड़ा संकट आ गया हो। श्री भागवत की सच्ची बात पर मीडिया बवाल खड़ा कर देता है। पर मीडिया को बताना चाहिए कि हिन्दुस्थान में हिन्दुत्व की बातें नहीं होंगी तो कहां होगीं और किसकी होंगी? उन्हें पता होना चाहिए कि इस देश की आत्मा हिन्दुत्व से जुड़ी है और सदैव जुड़ी रहेगी।
—हरीश चौधरी (दिल्ली)

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए दिन आतंकी पकड़े जाते हैं, उन पर मीडिया और सेकुलर नेता चुप्पी साध लेते हैं। आज देश में विदेशी ताकतें अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए आतंकवाद को फैला रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह ऐसी किसी भी गतिविधि पर तत्काल अंकुश लगाए।
—राकेश अग्रवाल,अलीगढ़ (उ.प्र.)

राहुल बाबा से सवाल

राहुल गांधी मीडिया में कुछ दिन पहले यह कहते हुए पाए गए कि संसद भवन में उनकी पार्टी की आवाज नहीं सुनी जा रही है। केवल एक व्यक्ति को ही सुना जा रहा है। पहले राहुल बाबा बताएं कि जब आपकी पार्टी सत्ता में थी, तो आपने कितनी बार सदन की चर्चा में भाग लिया? कितनी बार देश की चिंता से जुड़े प्रश्नों को पटल पर रखा? और कितनी बार पार्टी में हो रहे लगातार भ्रष्टाचार पर सदन में चर्चा की? पहले आप इन प्रश्नों का उत्तर दें फिर आप प्रश्न करें। साथ ही आप की सरकार ने दस वर्ष तक देश पर राज किया पर उन दस वर्षों में आपको कभी देश की मूलभ्ूात बातों पर चिंता करते हुए नहीं देखा गया लेकिन अब अचानक आप को देश की चिंता हो रही है। और कुछ दिन पहले तो आप लोकसभा की कार्यवाही में ही सोते हुए पकड़े गए थे। ऐसे मंे आप सदन को कितनी गंभीरता से लेते हैं वह स्पष्ट है। आज समय आपका नहीं किसी और का है क्योंकि आपने अपने समय में किसी की सुनी, जो कोई आज आपकी सुनेगा?
-विपिन कुमार 'सोनिया', मेरठ(उ.प्र.)

निर्भीकता और सत्यता
पाञ्चजन्य में जो भी लेख और समाचार प्रकाशित होते हैं वे अन्य समाचार पत्रों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। पत्रिका में प्रकाशित लेखों में निर्भीकता और सत्यता स्पष्ट रूप से झलकती है। अन्य पत्रों में यह देखने तक को नहीं मिलता। पाञ्चजन्य सदैव इसी प्रकार निरंतर प्रगति करता रहे,हमारी शुभकामनाएं हैं।
-सुशील,रोहिणी(दिल्ली)

कांग्रेस का असली चेहरा
कांग्रेस में शुरुआती दौर से ही हिन्दुओं की उपेक्षा व मुस्लिम तुष्टीकरण की नींव डाली गई,जिसका अनुसरण आज कुछ दलों को छोड़कर सभी कर रहे हैं। इस देश पर अधिकतर राज कांग्रेस पार्टी का ही रहा है, जिसका परिणाम यह हुआ कि अपनी तुष्टीकरण की नीति के चलते ही कांग्रेस जिहादी आतंकवाद को रोकने में असमर्थ रही। यहां तक कि पिछली सरकार में उसने सभी सीमाओं को लाघंते हुए ह्यहिन्दू आतंकवादह्ण का भी शिगूफा छोड़ा। लेकिन श्री नरेन्द्र मोदी के आने से अब देश को आशा है कि वे हिन्दू अस्मिता का पूरा मान रखेंगे।
-रामशंकर श्रीवास्तव, राजाजीपुरम्,लखनऊ(उ.प्र.)

मन को प्रसन्न करता भाषण
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया भाषण अपने आप में अनूठा व मन कोे छूने वाला था। देश की जनता भी धन्य है कि उन्हें इस बार ऐसा बेजोड़ प्रधानमंत्री मिला है,जिसका सिर्फ और सिर्फ एक ही ध्येय है कैसे भारतमाता के सिर को गर्व से ऊंचा किया जाए।
-परमानंद रेड्डी, रायपुर(छ.ग.)

लव जिहाद एक व्यापक षड्यंत्र
आज पूरे देश में मुसलमानों द्वारा सोच-समझकर हिन्दू समाज के खिलाफ एक व्यापक षड्यंत्र किया जा रहा है। मुल्ला-मौलवियों द्वारा नवयुवक मुसलमान लड़कों को हिन्दू लड़कियों को किसी भी प्रकार अपने पाश में लेने का गुपचुप फरमान दिया जा रहा है। देश में आज आए दिन लव जिहाद की घटनाएं प्रकाश में आने लगी हैं। यह पूरी तरह से हिन्दू समाज के खिलाफ षड्यंत्र है और हमें इस षड्यंत्र का करारा जवाब देना होगा। प्रत्येक हिन्दू परिवार को जागरूक होकर इन मुल्ला-मौलवियों पर नजर रखनी होगी, तभी इस समस्या से छुटकारा मिलने वाला है।
-प्रह्लाद गिरी,आसनसोल(प.बंगाल)

जानकारी योग्य लेख
पाञ्चजन्य के 13 जुलाई के अंक में श्री देवेन्द्र स्वरूप का लेख अत्यन्त विचारशील एवं महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला था।
-बृजेन्द्र कुमार अग्रवाल,पीलीभीत(उ.प्र.)

सत्य पर हंगामा क्यों?
हाल ही में महन्त योगी आदित्यनाथ द्वारा यह कहा जाना कि जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा होती है वहीं दंगे होते हैं सत्य है। कुछ लोगों को यह बात बड़ी ही नागवार गुजरी,लेकिन सत्य से आप अपना पीछा कैसे छुड़ा सकते हैं? देश में आज जहां भी मुसलमान बहुलता में हैं वहीं आए दिन दंगे होते रहते हैं। साथ ही आज पूरा विश्व यह जानता है कि पाकिस्तान,अफगानिस्तान, इराक आदि मुस्लिम बाहुल्य देशों में किस कदर आतंक छाया हुआ है। ये देश मुसलमानों के आतंक से जल रहे हैं। क्या इन देशों में रहने वाले मुसलमान नहीं हैं? अगर ये मुसलमान हैं तो सेकुलर नेताओं को फिर बुरा क्यों लगता है?
-श्रीचन्द्र जैन, धरमपुुरा विस्तार-गांधी नगर(दिल्ली)

किसानों को उनके उत्पाद का मिले उचित दाम
देश का दुर्भाग्य है कि किसान और खेती के लिए प्रत्येक सरकार में बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं पर असल में धरातल पर जो होना चाहिए वह कभी भी नहीं होता। ऐसे में जब कोई किसान और कृषि के लिए बात करता है तो मन में आक्रोश उत्पन्न होता है कि किसानों के वोटों को पाने के लिए यह बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। आज सच्चाई यह है कि अधिकतर खेती से जुड़े परिवार भी खेती में अपना हित न देखकर कृषि नहीं करना चाहते हैं। और देश का युवा वर्ग तो बिल्कुल ही इस क्षेत्र से कट गया है,यह अत्यधिक चिंता का विषय है। भारतीय कृषि से जुड़ी सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि किसानों को उनके उत्पाद के उचित दाम ही नहीं मिलते। उचित दाम न मिलने से किसानों को सिर्फ कुछ ही लाभ मिलता है और ऐसे में अगर कहीं प्राकृतिक आपदा आ गई तो अपने पास से भी लगाने पड़ जाएं तो यह भी नहीं कहा जा सकता। ऐसे में कैसे किसान कृषि करें यह सोच कर मन घबराने लगता है। सरकार को आज सबसे पहले यह चिंता करनी चाहिए कि किस प्रकार से किसानों को उनके उत्पादों का उचित लाभ दिलाया जाए ? अगर प्राकृतिक आपदा आती है तो किसानों के लिए ऐसा क्या किया जाए जिससे उनकी फसल को जो क्षति हुई है,उसकी क्षतिपूर्ति की जा सके। जिस दिन इन बातों पर ध्यान दिया जाने लगेगा उस दिन भारत की जमीन फिर से लहलहा उठेगी।
-डॉ.आर.एल.केशवाल,डी/10,पटेल नगर,पो.अधारताल,जबलपुर(म.प्र.) 

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