गोतस्करी - झारखंड-बंगाल सीमा बनी गोतस्करी का राजमार्ग
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गोतस्करी – झारखंड-बंगाल सीमा बनी गोतस्करी का राजमार्ग

by
Sep 13, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 13 Sep 2014 14:30:04

उस देश में जहां कभी गाय को मां माना जाता था,अपनी जननी के बाद इसी मां का दूध पीकर जहां का निवासी अपने आप को धन्य समझता था,देवताओं को पूजने के लिए इसी के दूध-दही से बने पंचामृत का प्रयोग करता था,इसके रोम-रोम में देवताओं के विद्यमान होने का विश्वास संजोकर इसकी पूजा करता था,आज उसी देश में कृष्णप्रिया का रक्त बहाया जा रहा है। वह धरती जहां कभी दूध-दही की नदियां बहती थीं,उसी धरती का चप्पा-चप्पा गोमाता के खून से सराबोर हो रहा है। देश का ऐसा कोई भी राज्य नहीं जहां आज गोहत्या व गोतस्करी अपने चरम पर नहीं है। इसका एक नजारा तब देखने को मिला,जब गत 29 अगस्त को धनबाद के राजमार्ग पर अखिल भारतीय गोरक्षा मिशन एवं विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए लगभग एक साथ 2500 से ज्यादा गोवंशों को गोतस्करों से मुक्त कराने में सफलता हासिल की। 70 से ज्यादा ट्रकों में भूसे की तरह भरे इन गोवंशों को झारखंड-बंगाल सीमा क्षेत्र में निरसा प्रखंड के तेतुलिया,बरवा हटिया तथा मैथन स्थित चिरकुंडा मोड़ पर गोरक्षा मिशन के कार्यकर्ताओं ने गोतस्करों से मुक्त कराया। 29 अगस्त की सुबह हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं को सूचना मिली कि गोविन्दपुर थाना के अन्तर्गत बरवा हटिया के पास 70 से ज्यादा ट्रक गोवंश से लदे हुए खड़े हैं। सूचना मिलते ही कार्यकर्ताओं ने तत्काल बजरंग दल,विहिप व गोरक्षा मिशन के लोगों को इसकी जानकारी दी और स्थानीय प्रशासन के साथ जिले के आला अधिकारियों को भी इस घटना से अवगत कराया। 70 ट्रकों के साथ लगभग 300 से ज्यादा गोतस्कर उनकी देखरेख में लगे थे। पहले तो कार्यकर्ताओं की कम संख्या को देखकर गोतस्करों ने कई गोरक्षकों पर दबाव बनाने का प्रयत्न किया और यहां तक की उनके साथ तीखी झड़प के साथ हाथापाई भी की। लेकिन इतनी बड़ी तादाद में तस्करी की घटना की खबर जैसे ही क्षेत्र के गोरक्षकों को मिली तो वहां पर गोरक्षा मिशन, विहिप,बजरंग दल,स्थानीय नागरिक व साधु-संत तक एकत्रित हो गए। बजरंग दल के प्रदेश संयोजक मृत्यंुजय व गोरक्षा मिशन के वरिष्ठ सदस्य संजय सिंह ने तत्काल पहुंचकर हटिया बाजार पर कार्यकर्ताओं की मदद से ट्रकों में भरे गोवंशों को निकालकर एकत्रित करवाया। बड़ी तादाद में पकड़े गए गोवश को कार्यकर्ताओं ने तत्काल गंगा गोशाला-कदरस में (1085) गोवंश व झरिया गोशाला में करीब(500) गोवंश सुपुर्द कर दिया।

पुलिस ने भगाए 30 से ज्यादा ट्रक
ऐसा बहुत ही कम होता है जब पुलिस की कार्यप्रणाली और उसके व्यवहार की प्रशंसा की जाए। कारण भी स्पष्ट है कि वह अपने कार्य को न करके अपराधियों का साथ देती है वह भी थोड़े से लालच के लिए। धनबाद में भी वही हुआ। वर्दी पर यहां भी दाग लगा। स्थानीय लोगों की मानें तो जिस समय प्रशासन के आला अधिकारियों को गोतस्करी की इतनी बड़ी घटना के विषय में तेतुलिया क्षेत्र से अवगत कराया जा रहा था तो एक ही जवाब मिल रहा था कि आ रहे हैं। कुछ देर के बाद प्रशासन घटनास्थल पर पहुंचा और पहुंचते ही उन्होंने वहां पर अफरातफरी का माहौल बना दिया। गोरक्षा मिशन के कार्यकर्ताओं को वहां से पुलिस के आला अधिकारी बराबर जाने के लिए बोल रहे थे। क्योंकि तेतुलिया मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है और यहां हिन्दू सिर्फ 5 प्रतिशत ही हैं। पुलिस को पहले से ही अंदेशा था कि मुसलमान यहां पर हमला कर सकते हैं और इतनी बड़ी घटना कहीं प्रशासन के आंखों की फांस न बन जाए,इसलिए मौके पर उपस्थित पुलिस वालों ने ट्रकों को भगाना शुरू कर दिया। पुलिस की शह मिलते ही गोतस्करों के हौसले बुलंद हो गए और लगभग 35 ट्रक इसी अफरातफरी का फायदा उठाकर भाग निकले। गोरक्षा मिशन के सदस्य संजय सिंह की मानंे तो शाम के समय जिस समय तेतुलिया में इन ट्रकों को रोका गया था उस समय लगभग 100 ट्रक वहां थे, जिनमें गोवंश भरा हुआ था। चूंकि बरवा हटिया बाजार का मामला पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल चुका था जिससे राजमार्ग पर आने-जाने वाले गोतस्कर भी सतर्क हो गए और तेतुलिया में खड़े हो गए। लेकिन वहां भी हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया। पुलिस ने मुसलमानों की संख्या को बढ़ते देख कुछ गोवंश को तो गोशाला भिजवाया और सैकड़ों गोवंश मुसलमानों ने लूट लिया। इसी अफरातफरी में लगभग 1000 से भी ज्यादा गोवंश को गोतस्कर भगाने में सफल हो गए। जिनका अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।

एक चेन की तरह काम करते गोतस्कर
पंजाब से होते हुए बंगाल तक का जो राजमार्ग है वह पूरा का पूरा गोतस्करी के लिए सबसे सुगम रास्ता है। इस राजमार्ग से बड़ी ही आसानी के साथ गोवंश एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त और वहां से होते हुए बंगाल और फिर बंगलादेश के बूचड़खानों तक पहुंच जाता है। गोतस्करों ने झारखंड में कुछ स्थान चिन्हित कर रखे हैं,जहां पर वह गोवंशों को एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए लादते हैं।1- थाना बरवटा के पास कौआ बांध स्थान है, जो आज झारखंड में गोतस्करी का प्रमुख केन्द्र है। इसका कर्ताधर्ता मुन्ना खान है। मुन्ना खान जो कि पहले गोशाला के नाम पर गोवंशों की तस्करी करता था और इसकी आड़ में किसी को शक भी नहीं होता था। हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं को जब इसकी जानकारी हुई कि मुन्ना खान गोवंश की तस्करी करता है तो स्थानीय गोरक्षकों ने इसके लाइसेंस को अक्तूबर,2013 में निरस्त कराया। इसके बाद भी इसका कार्य अभी तक जारी है। राजमार्ग पर इसका ठिकाना होने के कारण इस स्थान पर अन्य प्रान्तों से लाए गए गोवंशों को छांटकर एक बार फिर से लादने का कार्य होता है। यह व्यक्ति कहा जाए तो गोतस्करी के कार्य का इस क्षेत्र का प्रमुख 'मास्टर माइंड' है जो अपने संरक्षण में गोतस्करी कराता है।

इसे भी  पढ़ें  : बिहार से जुड़ते गोतस्करी के तार

2-थाना गोविन्दपुर राजमार्ग पर पड़ने वाला वह थाना है,जहां से गोतस्करी को प्रोत्साहन मिलता है। गोरक्षा मिशन के कार्यकर्ताओं से जब इस बावत बात हुई तो नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस क्षेत्र का जिला परिषद का सदस्य जो कि मुसलमान है साथ ही कांग्रेस पार्टी का सिंदरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक पद का दावेदार है वहीं गोतस्करी कराता है और यही इस थाने का एजेंट है,जो प्रशासन को संभालने का कार्य करता है।
3-थाना निरसा जो कि बिलकुल राजमार्ग पर है। यह स्थान भी गोतस्करी का केन्द्र है। पहले इस राजमार्ग पर मुस्लिम आबादी नहीं थी, लेकिन अब इस राजमार्ग पर पूरी तरह से मुसलमानों ने वैध-अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। पूरा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है। पास ही में बरवा हटिया बाजार है जहां प्रतिदिन जानवरों का बाजार लगता है और यहीं से रात में सैकड़ों की संख्या में ट्रकों से गोवंश को बंगाल के कत्लखानों के लिए भेजा जाता है। ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसके बारे में पता नहीं है बल्कि सब जानकर भी अनजान हैं और पकड़ने के बजाए गोतस्करों की सहायता करते हैं।
4-माइथन थाना जो कि बंगाल और झारखंड को जोड़ने वाला चेक पोस्ट है। इसी के बाद से बंगाल शुरू हो जाता है। इसी चेक पोस्ट के पास एक ढाबा है,जहां से इस चेन का पूरा काम संचालित होता है। इस ढाबे का मालिक इन ट्रकों को आसानी के साथ बंगाल में प्रवेश कराता है।

इन ट्रकों का मालिक कौन?
उ.प्र.,बिहार,म.प्र.,पंजाब और राजस्थान से गोवंश को लेकर प्रतिदिन लगभग 500 से ज्यादा ट्रक इस राजमार्ग से निकलते हैं। अखिल भारतीय गोरक्षा मिशन के चार राज्यों के संयोजक आचार्य योगेश शास्त्री कहते हैं कि प्रतिदिन इस राजमार्ग से 500 से 700 के लगभग ट्रकों से गोवंश की तस्करी की जा रही है। गोतस्करों के लिए यह राजमार्ग बड़ा ही सुगम बन गया है। इस संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस मात्रा में गोतस्करी हो रही है। जिन ट्रकों को पकड़ा गया उसमें प्रति ट्रक से 30 से 40 गोवंश बरामद किए गए। एक ट्रक में इतने गोवंश किस तरह लदे होंगे सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अगर इन्हीं आंकड़ों को जोड़ने में लग जाए तो करीब बीसों हजार से ज्यादा गोवंश प्रतिदिन इस राजमार्ग से बंगाल के बूचड़खानों तक जाता है और वहां से बंगलादेश के बूचड़खानों में चला जाता है। आखिर सवाल है कि इतनी बड़ी तादाद में गोतस्करी में जो ट्रक लिप्त हैं उन ट्रकों का मालिक कौन है? और उन मालिकों का व्यवसाय क्या है? जब इस बावत धनबाद के पुलिस अधीक्षक हेमन्त टोप्पो से उन ट्रकों के मालिकों के विषय में पूछा तो उनका रटा-रटाया जवाब था कि जल्द ही उनका भी पता लगाया जायेगा। इस घटना से एक बात तो साफ है कि गोतस्करी के पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है जिसका प्रमुख कार्य सिर्फ और सिर्फ गोतस्करी ही है।

थानेदार की कीमत 800 रुपए
स्थानीय लोगों और हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं की मानें तो राजमार्ग पर पड़ने वाले प्रत्येक थानेदार का भाव तय है-कीमत है 800 रुपए। निरसा,गोविन्दपुर,बरवटा व चिरकुंडा सहित कई और थाने हैं जो इस राजमार्ग में पड़ते हैं जिनका भाव पहले से ही तय होता है और थाने से नियुक्त व्यक्ति इन ट्रकों से पैसे वसूलते हैं। यह बात उस क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति से छिपी नहीं है। सभी इससे भलीभांति परिचित हैं।

सवाल समाज से!
गाय की पूजा अनंत काल से होती चली आ रही है। यहां तक कि मुगलकाल में भी गोवध पर प्रतिबंध था। प्रश्न उठता है कि आज ऐसी कौन सी मुसीबत है कि गोतस्करी के लिए कड़ा कानून नहीं बनाया जा रहा है? क्या हमारा रक्त बदल गया है,पानी हो गया है? यदि नहीं तो कृष्णप्रिया का खून क्यों बह रहा है? क्या गाय के बिना भारत की कल्पना की जा सकती है? क्या छत्रपति शिवाजी,महाराणा प्रताप और गुरु गोविन्द की संतानें अपना पौरुषत्व खो बैठी हैं? गोवर्धन की पूजा क्यों करते हैं?

गोवंश हत्या बंदी कानून में खामियां
भारत के कई प्रदेशांे में 'गोवंश-हत्याबंदी' का कानून तो बनाया गया है,परन्तु उस कानून की परिपालना कभी नहीं होने से कानून में कमियां हैं और यह अधिकतर लोगों को पता नहीं हैं। सबसे बड़ी कमी यह है कि किसी भी राज्य में इस कानून के अन्तर्गत जब तक केस चलेगा तब तक कसाई से जब्त गोवंश को कहां रखा जाए,उसके चारे-पानी की व्यवस्था कौन करेगा,खर्चा कौन देगा आदि-इन बातों की कानून में कोई व्यवस्था नहीं है। दूसरी कमी जब पशु पकड़ा जाता है तो सीआरपीसी की धारा-451 के अनुसार उस व्यक्ति को देना चाहिए जिससे जब्त किया गया हो,क्योंकि मालिक वही है,खरीदी की पावती उसके नाम की है। लेकिन होता क्या है कि वह न्यायालय को संभालने के लिए अर्जी देता है और न्यायालय में लिखकर भी देता है कि न्यायालय जब भी हाजिर होने को कहेगा वह पशु को हाजिर करेगा। ऐसी स्थिति में जब्त पशु उसके संरक्षण में चला जाए तो कसाई उसको जिंदा रखकर क्यों खिलाएगा। क्योंकि जानवर की कीमत कम और वर्ष भर में उसके खाने का खर्च अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में वह जानता है कि यह मुकदमा 5 से 6 वर्ष तक चलेगा और इतने दिनों में कौन सा जानवर था क्या पता चलेगा? इस कानून के विरोध में बड़े प्रयत्नों के बाद कई बार अनेकों न्यायालयों और बाद में सर्वोच्च न्यायालय जाकर सीआरपीसी की धारा 451 पर पशु को मालिक को न दिया जाए और यह पशु गोरक्षण-संस्था,सेवाभावी संस्था के पास रखा जाए,ऐसा निर्देश प्राप्त किया गया। इसके बाद भी राजस्थान,मध्य प्रदेश,गुजरात में गोवंश के संबंध में कानून भी हैं पर उनमें अभी भी कुछ कमियां हैं। पकड़े गए गोवंश को सुपुर्दगी बावत अभी तक संशोधन नहीं होने से इस कार्य में बड़ी समस्या आती है। कई राज्यों में एक समस्या यह है कि वहां के कानून के अनुसार अपराध करते समय या करने की हालत में किसी को पशु के साथ पकड़ ले तो उसको साबित करने की जिम्मेदारी सरकार पर है। यह साबित करना कि पशु कत्ल के लिए ले जाए जा रहे थे,ऐसा साबित करना बहुत ही कठिन है। क्योंकि पशु रास्ते में ही पकड़े जाते हैं। ऐसे में कानून की कमजोरी का फायदा गोतस्कर बड़े ही आराम से उठाते हैं और प्रशासन भी उनका साथ देता है यह कहकर कि यह खेती-किसानी के लिए ले जाए जा रहे हैं। -अश्वनी कुमार मिश्र

 

इन्हे भी पढ़ें

बिहार से जुड़ते गोतस्करी के तार

पाञ्चजन्य पहले ही कर चुका है खुलासा

ये कोई नई बात नहीं

पुलिस संरक्षण में होती गोतस्करी

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies