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-तारा शाहदेव का प्रकरण हाल ही में सामने आया है। इससे पहले भी लव जिहाद का शिकार हिन्दू व दूसरे पंथ की लड़कियां होती रही हैं, क्या यह षड्यंत्र काफी पहले से जारी है?
यह बिलकुल सही है कि तारा जैसी न जाने कितनी हिन्दू, सिख व ईसाई लड़कियां लव जिहाद का शिकार बनकर अपना मूल पंथ छोड़कर इस्लाम कबूल करने को मजबूर हो गईं। दरअसल मुस्लिम आबादी बढ़ाने के लिए यह षड्यंत्र भारत में तेजी से चल रहा है। सबसे पहले 1990 के दशक में ब्रिटेन में सिख लड़कियों को फंसाने के लिए मुस्लिम युवकों को लव जिहाद के अभियान पर लगाया गया था। वहां मुस्लिम युवक नाम बदलकर सिख बनकर पहले लड़कियों को अपने जाल में फंसाते थे और उसके लिए कड़ा भी पहनते थे। उनका उद्देश्य लड़की से शादी करने के बाद बच्चे पैदा कर उसे तलाक देना होता था। मुस्लिम यदि कभी किसी लड़की को तलाक नहीं भी देते तो उसे घर में एक नौकरानी से ज्यादा की हैसियत से नहीं रखा जाता है। ब्रिटेन में सिख लड़की क ो फंसाने के पीछे जो सोच थी, वह यह कि सिख अपने पंथ के प्रति ज्यादा कट्टर होते हैं। मुसलमानों का मानना था कि यदि वे सिख लड़कियों के मतांतरण में सफल हो गए तो आगे हिन्दू लड़कियों को फंसाकर उनका मतांतरण करना कोई मुश्किल नहीं होगा। सिख लड़की के इस्लाम कबूल करने पर ब्रिटेन में उनकी सार्वजनिक मुनादी तक कराई गई। उसके बाद 'वर्ल्ड सिख एलायंस' एकजुट हुआ और सिख पंथ से एकजुट होकर लगातार बढ़ रही कुरीति को रोकने का आह्वान किया।
– भारत में लव जिहाद की जड़ें किन-किन राज्यों में फैल चुकी हैं और उसके लिए क्या-क्या हथकंड़े अपनाये जा रहे हैं?
भारत में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु मंे सबसे पहले हिन्दू और ईसाई लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाया गया। उस समय मुसलमानों के इस षड्यंत्र को यदि गंभीरता से लिया गया होता तो आज बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों में यह विष न फैला होता। असम और केरल में तो हिन्दू लड़की के मतांतरण के लिए मुस्लिम युवकों को लाख रुपये तक खर्चे के लिए दिए जाते हैं। मिशन पूरा होने के बाद तोहफा भी दिया जाता है।
दिल्ली की पुनर्वास कॉलोनियों में तो मुस्लिम लड़के स्कूल-कॉलेज की लड़कियों को फंसाने के लिए हिन्दू नाम रखने के साथ-साथ अपने हाथ पर हिन्दू देवी-देवताओं के 'टैटू' तक गुदवा लेते हैं। करीब 7-8 वर्ष पहले मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ और उसके आसपास वाले क्षेत्रों में गया था, उस समय वहां 'जिहाद-ए-इश्क' फैल चुका था। वहां के लोगों का कहना था कि हिन्दू लड़की को जब तक मुस्लिम लड़के के चंगुल में फंसने का पता लगता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इसके बाद समाज में बदनामी के डर से घरवाले किसी से कुछ बताते भी नहीं हैं और दूर-दराज के क्षेत्रों में बेटी की शादी कर देते हैं और खुद ही अपना घर छोड़कर दूसरे ठिकानों पर चले जाते हैं।
– लव जिहाद के मिशन से जुड़ने वालों को आर्थिक मदद कहां से मिलती है?
इसके पीछे खाड़ी के देश और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की बहुत बड़ी भूमिका रही है। दरअसल खाड़ी देश आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं। वे लोग इस्लाम को फैलाने के मिशन से युवकों क ो हिन्दू व दूसरे पंथ की लड़कियों को अपने जाल में फंसाने के लिए मोटे रूप से धन का लालच देते हैं। यही कारण है कि रुपयों और कीमती उपहार के लालच में फंसा मुस्लिम युवक इस मिशन का तेजी से हिस्सा बन रहे हैं। खाड़ी के देश भारत के अलावा दूसरे देशों में भी लव जिहाद के लिए प्रमुख रूप से 'फंडिंग' करते हैं। इसके अलावा आईएसआई भारत को तरह-तरह के हथकंडे़ अपनाकर कमजोर करना चाहता है। इसी मंशा से वह भारत में रहने वाले मुस्लिम युवकों को इस्लाम के प्रसार के नाम पर लव जिहाद के नाम पर तैयार करता है।
– इसे रोकने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिएं?
लव जिहाद जैसे मुस्लिम मिशन भारत को कमजोर बना रहे हैं। भारत पहले ही साम्प्रदायिक हिंसा का 1947 में शिकार बन चुका है, लेकिन अभी भी भारत के और टुकड़े कराने के लिए पाकिस्तान और दूसरे मुस्लिम देश सक्रिय हैं। पूर्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार तो मूकदर्शक बनी रही, लेकिन वर्तमान सरकार से मेरा अनुरोध है कि देश में फैल रहे लव जिहाद के विष को रोकने के लिए ठोस कदम उठाये जाएं।
इसके लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन कर ऐसी धारा बनाई जाए जिससे धोखे से मतांतरण कराने वाला कानून के चंगुल से बच न सके क्योंकि अभी का कानून ज्यादा मजबूत नहीं हैं। इसके अलावा हिन्दू धर्म को बचाने के लिए आज जागृति पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए गांव से लेकर शहर तक अभियान चलाकर समाज में फैल रही कुरीति को हमें दूर करना होगा। साथ ही मीडिया को भी चाहिए कि वह ऐसी खबरों को परोसने में पारदर्शिता बरते क्योंकि मीडिया के सहयोग से ही जागृति पैदा कर लव जिहाद को जड़ से उखाड़ा जा सकता है।
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