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'समाज, सरहद और संस्कृति को मिलाकर ही भारत का निर्माण हुआ है। राम (संस्कृति) और रोटी (समृद्धि) ही अखण्ड राष्ट्र के आधार हैं। राम के बिना रोटी का कोई महत्व नहीं है, इसलिए राम राज्य लाना होगा।' ये विचार हैं सुप्रसिद्ध चिन्तक श्री के. एन. गोविन्दाचार्य के। श्री गोविन्दाचार्य पिछले दिनों मेरठ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित 'अखण्ड भारत संकल्प दिवस' के नाम से आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस संसार में केवल भारत और चीन की सभ्यताएं ही पांच हजार वर्ष पुरानी हैं, बाकी सभ्यताएं केवल 2000 वर्ष पुरानी हैं। हमलावरों से केवल दो सभ्यताएं ही बच पाईं। इसमें भी चीन ने दीवार बनाकर खुद को बचाया, जबकि भारत 900 वर्ष तक हमला होने के बाद भी अपनी सभ्यता को बचाता रहा। भारत की कहानी शौर्य, पराक्रम, वैभव और अखण्डता की है। इतिहास में भारत की पहचान हमेशा से एक राष्ट्र के रूप में रही है। उन्होंने कहा कि कई विभाजनों के बाद भी भारत सांस्कृतिक रूप से आज भी अखण्ड है। जापान, चीन, कोरिया आदि देशों में आज भी भारतीय संस्कृति के अवशेष मिल रहे हैं। अंग्रेजों के शासन को भारत के लिए सबसे दु:खदायी बताते हुए उन्होंने कहा कि केवल 200 वषार्ें के शासन में ही अंग्रेजों ने भारत के अंतर्मन को चोट पहुंचाई। मुगल और अंग्रेज भी कभी पूरे भारत को अपने अधिकार में नहीं ले पाए। आज हम स्मृतिलोप होने के कारण अपनी महानता को भूल गए हैं। भारत केवल भूभाग नहीं है, बल्कि सनातन जगत जननी की चिन्मय अभिव्यक्ति है। इसलिए सभी लोगों को मिलकर अखण्ड भारत का निर्माण करके राम राज्य लाना होगा, तभी हम भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुंवर बिजेन्द्र शेखर ने की। संचालन डॉ़ नीरज सिंघल ने किया। कार्यक्रम में अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
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