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विगत 3 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में अचानक एक महिला ने अपने इकबालिया बयान में ऐसा खुलासा किया कि सुनकर लोगों के होश उड़ गए। मेरठ की एक युवती ने मीडिया को दिये अपने बयान में कहा कि उसके गांव के मदरसे के हाफिज एवं मुस्लिम समुदाय के कुछ लड़कों ने उसका अपहरण किया फिर बलात्कार किया एवं उसका धर्म-परिवर्तन कराने की जबरन कोशिश की। मीडिया में आये बयान के मुताबिक मेरठ की पीडि़ता रौशनी (बदला हुआ नाम) ने ये भी बताया कि वह अपने गांव स्थित एक मदरसे में पन्द्रह सौ रुपये मासिक वेतन पर अंग्रेजी पढाती थी,जहां उसे मदरसे के लोगों की तरफ से बार-बार इस्लाम स्वीकारने के लिए प्रेरित किया जाता था। युवती अपने बयान में कहती है कि कई दिनों तक उसे एक मदरसे में बंधक बनाकर रखा गया था जहां उसके अलावा अन्य तमाम महिलाओं को रखा गया है। ऐसा संभव है कि उन्हें बाहर के देशों में भेजने की साजिश चल रही हो। इस बयान से मिलती जुलती प्राथमिकी भी पीडि़ता के परिजनों द्वारा खरखौदा थाने में दर्ज कराई गयी थी। इस मामले में पीडि़ता का बयान आने के बाद मदरसों के माध्यम से पश्चिम उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' की अंदरखाने चलाई जा रही मिशन की संभावनाओं पर चर्चा जोर पकड़ने लगी। हालांकि मेरठ से पहले मुज्जफरनगर के कवाल में हुई छेड़खानी की घटना के बाद भी 'लव जिहाद' को लेकर एक तबका सक्रिय हुआ था। ऐसी घटनाओं से इतर अगर देखा जाय तो एक सवाल अहम है कि क्या वाकई देश में 'लव जिहाद' जैसी कोई मुहिम चलाई जा रही है, जिसके मार्फत हिंदू लड़कियों का बड़ी संख्या में धर्मान्तरण करने का तारतम्य तैयार किया जा रहा हो।
अगर 'लव जिहाद' शब्द के बुनियादी अर्थ को समझने का प्रयास करें तो इसका मूल आशय यही है कि सीमा पार से जैश-ए-मोहम्मद एवं आंतरिक स्तर पर सिमी आदि संगठनों द्वारा हिंदू लड़कियों के धर्मान्तरण के लिए मुस्लिम समुदाय की योजना के अनुसार प्रशिक्षित लड़कों को तैयार किया जा रहा है। उनका उद्देश्य होता है कि वे हिंदू लड़कियों को अपने प्रेम के झांसे में फांस कर फिर शादी करें एवं उनका धर्मान्तरण करा दें। धर्मान्तरण के बाद उन लड़कियों को जिहादी कायोंर् एवं भयादोहन के जरिये जिस्मफरोशी आदि में उतारने की कवायदें भी सामने आती रही हैं। उ.प्र. में अभी यह मामला नया उठा है लेकिन अगर दक्षिण भारत के केरल एवं कर्नाटक जैसे राज्यों की बात की जाय तो वहां 'लव जिहाद' पूरी तरह सक्रिय दिखता है। अगर बात केरल की करें तो कुछ साल पहले केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन ने भी स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया था कि केरल में एक संगठित समूह द्वारा 'लव जिहाद' अभियान के तहत हिंदू लड़कियों का मतपरिवर्तन कराया जा रहा है। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने यह बयान केरल उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी के बाद दिया था जिसमें दिसम्बर 2009 में न्यायमूर्ति शंकरण ने कहा था कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि प्यार की आड़ में जबरन मतांतरण की साजिश चल रही है। छल और फरेब के बल पर इस तरह के मतांतरण को स्वीकार नहीं किया जा सकता।' चूंकि केरल में शुरू से ही मतपरिवर्तन की साजिशें चलती रही हैं। इस्लामिक ताकतें 'लव जिहाद' का हथियार बनाकर मतपरिवर्तन की इस मुहिम को अंजाम देती रही हैं। आज अगर उत्तर प्रदेश में इस मामले की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है तो इसे सिरे से खारिज कर देना भी उचित प्रतीत नहीं होता है। अगर पड़ताल करें तो आज से आठ साल पहले सन् 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने भी तत्कालीन प्रदेश सरकार से पूछा था कि हिन्दू लड़कियां ही इस्लाम क्यों कबूल रही हैं? कोर्ट ने ये भी कहा था कि निकाह के लिए मुस्लिम लड़के अपना मजहब क्यों नहीं बदलते? न्यायमूर्ति राकेश शर्मा ने तब टिप्पणी की थी,''न्यायालय के सामने लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं जिनमें हिन्दू लड़कियों से इस्लाम कबूल करवाने के बाद उनका निकाह मुस्लिम लड़कों के साथ कर दिया जाता है। निकाह के बाद उनका पता-ठिकाना नहीं मिलता।'' सवाल है कि सेकुलरवादी बुद्घिजीवी अदालतों की इन टिप्पणियों को कैसे नकारेंगे? विचारणीय है कि भला उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय की इस टिप्पणीं को निराधार तो नहीं माना जा सकता न? बेशक उ.प्र. के मामलों में तमाम लोगों का मानना है कि मेरठ एवं कवाल में हो रही घटनाएं छेड़खानी एवं प्यार-मुहब्बत की सामान्य घटनाओं की तरह ही हैं, इन्हें 'लव जिहाद' का नाम देना महज एक कल्पना है। लेकिन इसके उलट मुरादाबाद में एक समाचार-पत्र के साथ जुड़े एक पत्रकार ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि यहां मुस्लिम शोहदों द्वारा हिंदू लड़कियों को एकतरफा टारगेट किया जाता है और इस तरह की खबरें आम तौर पर संज्ञान में आती हैं लेकिन पुलिस के साथ समस्या है कि इन मामलों को कानूनी रूप से छेड़खानी के तौर पर ही दर्ज किया जा सकता है। कानूनी रूप से ये मामले किसी धर्म अथवा जाति को चिन्हित करके नहीं दर्ज किये जा सकते हैं। यह एक बड़ी वजह है जिससे आंकड़े वर्गीकृत होकर सामने नहीं आ पाते हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर क्या वजह है कि खासकर इन शोहदों के निशाने पर हिंदू लड़कियां ही होती हैं और हिंदू लड़कियों को टारगेट किया जा रहा है? अगर इन मामलों को महज छेड़खानी और इश्क-मुहब्बत का मामला मान भी लिया जाएं तो क्या एक फीसद भी गुंजाइश नहीं बनती है कि केरल की तर्ज पर उ.प्र. में भी वह ताकतें अपना मिशन चला रहीं हों और ये उसका प्राथमिक लक्ष्य हो? मेरठ मामले में ये बात सामने आई कि मदरसे में धर्म परिवर्तन से पहले मौलाना सिद्दीकी की लिखी हुई आपकी अमानत आपकी सेवा में किताब को पढ़ाया गया, जिसमें लिखा था कि, इस्लाम धर्म में ही असली जन्नत है। बताया गया कि ईद के मौके पर धर्म कबूलना जन्नत में जाना होता है। इस तरह के तमाम हथकंडे मदरसों द्वारा भी आजमाए जाते रहे हैं। इस मामले में कैमरे के सामने एक हिंदू लड़की कल्पना(बदला हुआ नाम) ने स्वीकार किया है कि उसके कालेज में मिले इरफान ने उसका मोबाइल नम्बर हासिल किया फिर उसको मैसेज और कॉल आदि करने लगा। उस लड़के ने पहले तो शुरुआत दोस्ती से की लेकिन बाद में मामला प्यार तक जा पहुंचा। मामला इतना आगे बढ़ गया कि लड़की उसके साथ पिकनिक आदि पर जाने लगी,जहां उसके साथ शादी का बहाना बनाकर शारीरिक सम्बन्ध बनाया गया। लेकिन उसकी जानकारी वगैर ही उसका वीडियो भी बनाया गया। बाद में जब लड़की को ये पता चला कि इमरान पहले से एक ईसाई लड़की के साथ शादी-शुदा है तो उसने इमरान का विरोध किया। लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी और उसको भयादोहन करने की पर्याप्त सामग्री इमरान जुटा चुका था। अब कल्पना (लड़की का बदला हुआ नाम) के पास उसके इशारों पर नाचने के अलावा कोई चारा नहीं था। कल्पना को न चाहकर भी शादी और धर्मपरिवर्तन करना पड़ा। इससे भी ज्यादा सनसनीखेज मामला केरल में सामने आया जब एक नहीं दो लड़कियों को एक ही लड़के ने अपने प्यार के जाल में फांस कर और वीडियो आदि बनाकर कैद कर लिया। फिर एक दिन उन लड़कियों को बताया गया कि जिस मुस्लिम लड़के पर उन्होंने इतना विश्वास किया अब वह जिहाद के लिए जा चुका है और उन्हें भी अपने पति की मदद करनी होगी। केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में ये घटनाएं बहुत ज्यादा फैल चुकी हैं। लव जेहाद पर टिप्पणीं करते हुए प्रो़ एऩएच गदनाने कहते हैं कि यह बाहरी इस्लामिक ताकतों द्वारा प्रायोजित मुहीम है। इस मुहीम को बाहर से पैसा मिल रहा है।
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दरअसल केरल में तो बकायदे इस पर सरकारी स्तर पर भी टिप्पणीं की जा चुकी है। केरल में 'लव-जिहाद' के खिलाफ काम करने वाले एक्टिविस्ट का दावा है कि अबतक उन्होंने अपने प्रयासों से लगभग सैकड़ों की संख्या में लड़कियों को धर्मान्तरण होने के बाद पूर्व धर्म में वापस लाने का काम किया है। स्थानीय पुलिस एवं एक्टिविस्टों द्वारा सुचना के अधिकार से प्राप्त कुछ आंकड़ों की अगर तस्दीक करें तो मामला ज्यादा साफ एवं स्पष्ट नजर आएगा। आंकड़ों के अनुसार केरल के अलग-अलग हिस्सों में 2006 से 2009 के बीच लगभग 2870 के आसपास लड़कियों का धर्म-परिवर्तन कराया जा चुका है। लेकिन मामला केवल 705 लड़कियों का ही दर्ज हो सका। हालांकि इन 2870 लड़कियों में से अबतक लगभग 200 के आसपास की संख्या में लड़कियों को पुन: पूर्व धर्म में लाया जा चुका है। हालांकि यह आंकड़ा अभी और ज्यादा हो जाएगा जब केरल में प्रतिदिन लापता हो रही लड़कियों की संख्या को जोड़ लिया जाय। आधिकारिक तौर पर ऐसा स्वीकार किया जा रहा है कि कहीं न कहीं लापता हो रहीं लड़कियों के तारतम्य भी धर्मान्तरण की इसी साजिश का हिस्सा है। केरल में लड़कियों के गायब होने के बाद उनके अभिभावकों को महज इतना पता होता है कि वे किसी अन्य धर्म के लड़के के साथ प्यार में भाग गयी हैं। चूंकि बहुत कम लड़कियां होती हैं चंगुल में फंसने के बाद फिर से वापस आ पाती हैं। कोच्चि केरल पुलिस की अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर अगर देखा जाय तो उन्नत लीगल स्टडीज के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि केरल से लापता लड़कियों की संख्या 2007 और 2008 में क्रमश 2530 और 2167 थी। ये वेे आंकड़े हैं जो दर्ज किये गए हैं बाकी ऐसी न जाने कितनी लड़कियां होंगी जिनका कोई आकड़ा नहीं है।
ब्रिटेन में भी लव जिहाद ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि लवजिहाद का मिशन बाहरी इस्लामिक ताकतों द्वारा सिर्फ भारत में ही चलाया जारहा है, बल्कि कई अन्य तमाम गैर-मुस्लिम बहुलता वाले देशों में भी इस मुहीमको चलाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी हाल ही में सिख समुदाय की लड़कीके साथ इंग्लैण्ड में आये लव जिहाद से जुड़े एक मामले के बाद अकाल तख्त नेमामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया है़ दरअसल ये पूरा मामला तब उठा जबलन्दन में रह रहे सिख काउंसिल ऑफ लन्दन के कुछ अप्रवासी भारतीय सदस्यों नेइंग्लैण्ड में सिख लड़की से लव जिहाद से जुड़े मामले से अकाल तख्त को अवगतकराया। सिख काउंसिल ने बताया कि लन्दन में कई परिवारों की लड़कियों कोमुस्लिम लड़कांे द्वारा चिन्हित करके अपने जाल में फांसा जा रहा है। तख्तके एक जत्थेदार बताते हैं कि कुछ लड़कियों को लव जिहाद के चंगुल से निकाललिया गया है। उनका ये भी कहना है कि लन्दन में लगभग सौ के करीब लव जिहाद सेजुड़े मामले हो सकते हैं। दरअसल यूरोपीय देश हमेशा से इस्लामिक अतिवादियोंके निशाने पर रहे हैं लिहाजा इस बात में कोई शक नहीं कि इंग्लैण्ड जैसेदेशों को इस्लामिक अतिवादी ताकतों द्वारा निशाना न बनाया जा रहा हो। |
एक बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर 'लव जिहाद' के तहत लड़कियों को किन-किन उद्देश्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है? सबसे पहले तो प्यार में फांसकर लड़कियों का आपत्तिजनक वीडियो बनाया जाता है,जिससे बाद में उनका मुह न खुल सके। फिर उनको जबरन शादी के लिए कहा जाता है। फिर धर्म-परीवर्तन कराया जाता है। इतना होने के बाद जिहादी कायोंर् में उनका इस्तेमाल होने की भी बातें सामने आ चुकी हैं। 'लव जिहाद' का एक उद्देश्य अन्य धमार्े की जनसंख्या में कमी करके इस्लाम की जनसंख्या गैर-इस्लामिक देशों में फैलाने की भी है। लव जिहाद के चंगुल से निकल कर आईं कुछ लड़कियों नें एक टीवी चैनल को बताया है कि केरल जैसे राज्यों में लव जिहाद की मुहीम को को दो भागों में वर्गीकृत करके चलाया जा रहा है। पहला लव-कृष्ण एवं दूसरा लव-जीसस। अर्थात हिंदू लड़कियों के लिए लव-कृष्ण कोडवर्ड इस्तेमाल किया जाता है तो वहीं ईसाई लड़कियों के टारगेट को लव-जीसस का नाम दिया गया है।
धर्मान्तरित हो चुकीं लड़कियों को पुन: पूर्व धर्म में वापस लाने की दिशा में काम कर रहे कुछ संगठनों का कहना है कि एकबार बहकावे में आकर हिंदू लड़कियां लव-जिहाद का शिकार तो हो जाती हैं लेकिन निकाह के बाद उनका जीवन जीना दुश्वार हो जाता है। मनोदशा के आधार पर हिंदू और इस्लाम की जिहादी जीवन पद्घति में जमीन-आसमान का फर्क होता है। जब हिंदू लड़की इस्लाम में जाती है तो उसकी बानगी तो सबके सामने है। लेकिन अगर कोई मुस्लिम लड़की हिंदू परिवार में आये तो भी खतरा हिंदू परिवार पर ही होता है। एक घटना का अगर जिक्र करें तो कारोबार के सिलसिले में जम्मू के युवा कारोबारी रजनीश को श्रीनगर के मोहम्मद यूसुफ मिराजी की बेटी अमीना से प्यार हो गया। 21 अगस्त, 2009 को आर्य समाज मंदिर में दोनों परिणय-सूत्र में बंध गए। अमीना ने अपना नाम 'आंचल' रख लिया। शादी से नाराज लड़की के परिवार ने अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया। 29 सितम्बर, 2009 की रात रजनीश श्रीनगर पुलिस की पकड़ में आ गया। 5 अक्तूबर को श्रीनगर के राम मुंशी बाग थाने में रजनीश की लाश मिली। पुलिस इसे आत्महत्या बताती है, जबकि श्रीनगर और जम्मू में कराए गए पोस्टमार्टम में उसे अमानवीय यातना देने की पुष्टि हुई, किन्तु वहां का बहुसंख्यक मुस्लिम समाज पुलिस के साथ खड़ा रहा। क्यों? क्या केवल इसलिए कि मरने वाला हिन्दू था और उसकी विधवा ने विवाहोपरांत इस्लाम छोड़ हिन्दू धर्म अपना लिया था? लिहाजा अगर देखा जाय तो कहीं न कहीं इस्लाम के प्रसार के नाम पर उन्मादी ताकतें भारत के अंदर 'लव-जिहाद' को मजहब के प्रसार एवं धर्मान्तरण के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल कर रहीं हैं। फिलहाल पुलिस एवं प्रशासन इस मामले पर खुलकर बोलने से कतरा रहा है। लेकिन केरल जैसे राज्यों से आ रही घटनाओं के बाद यह चिंता वाजिब है कि कहीं धीरे-धीरे यह 'लव-जिहाद' पुरे भारत में अपना पांव न पसार रहा हो? – शिवानन्द द्विवेदी
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