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गत दिनों ब्रिटेन के राउण्डवुड पार्क स्कूल, हारपेंडन (हरफोर्डशायर) में 9 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन हुआ। हिन्दू स्वयंसेवक संघ, यू.के. द्वारा आयोजित इस वर्ग में 110 स्वयंसेवकों और हिन्दू सेविका समिति की 55 सेविकाओं ने भाग लिया। वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों को प्रात: योग, खेल-कूद आदि गतिविधियां सिखाई जाती थीं । इसके बाद दिनभर विभिन्न विषयों पर सामूहिक चर्चा होती थी और कौशल विकास के तरीके एवं हिन्दू धर्म की जानकारी दी जाती थी। वर्ग का समापन समारोह बहुत ही भव्य रहा। इसके मुख्य अतिथि थे ब्रिटेन में बसे हिन्दुओं के सर्वदलीय संसदीय समूह के अध्यक्ष और हारो ईस्ट से सांसद बॉब ब्लैकमैन। समापन समारोह में उपस्थित लगभग 800 लोगों को सम्बोधित करते हुए बॉब ब्लैकमैन ने कहा कि हिन्दू स्वयंसेवक संघ ने ब्रिटेन में सेवा, युवाओं के चरित्र निर्माण, हिन्दू धर्म आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण वर्ग में मेरा पहली बार आना नहीं हुआ है। इसके पहले मैं 1992 में लीसेस्टर के ग्रीष्म कालीन शिविर में आया था। मैंने देखा है कि इस तरह के शिविरों में युवा सामूहिकता की भावना के साथ अनेक चीजें सीखते हैं। इस अवसर पर हिन्दू फोरम,यू.के. के अध्यक्ष श्री हीराभाई हलाई, हिन्दू फोरम,यूरोप के श्री भारती तयलर सहित अनेक विशिष्ट जन उपस्थित थे।
इमरान और कादरी फौज के मोहरे?
पाकिस्तान एक बार फिर फौजी शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है। एक खबर यह भी है कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के बीच एक समझौता हो गया है। इसके अनुसार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री तो बने रहेंगे, लेकिन महत्वपूर्ण निर्णय सेना लेगी। इसका मतलब तो यही निकलता है कि पाकिस्तान एक बार फिर से फौजी शासन के अधीन आ रहा है। दरअसल, पाकिस्तानी फौज काफी समय से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से नाराज चल रही है। यह नाराजगी मई महीने में तब और बढ़ गई जब नवाज शरीफ फौज की सलाह को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आ गए। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने नवाज शरीफ के विरुद्ध अभियान चलाया। इसी अभियान के तहत ही कनाडा में रह रहे 'पाकिस्तान अवामी तहरीक' के नेता डॉ. ताहिर उल कादरी को पाकिस्तान बुलाया गया। 2005 से कनाडा में रह रहे कादरी नवाज शरीफ के घोर विरोधी रहे हैं। यही कारण है कि जिस हवाई जहाज से कादरी पाकिस्तान लौट रहे थे उसको कराची में नहीं उतरने दिया गया था। वे इस्लामाबाद में उतरे थे और सड़क मार्ग से कराची आए थे। उस समय कादरी ने नवाज शरीफ को 'आतंकवादी' तक कहा था और यह भी कहा था कि देश को लूटने वालों के विरुद्ध आवाज उठाई जाएगी। अब वही कादरी क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान के साथ मिलकर नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तान की राजनीति और वहां की सेना को नजदीक से जानने वालों का कहना है कि इन दिनों इस्लामाबाद की सड़कों पर जो कुछ भी हो रहा है उसके पीछे पाकिस्तानी सेना का हाथ है। कादरी और इमरान तो सिर्फ सेना के मोहरे हैं। हालांकि नवाज शरीफ ने इन सबसे लोगों का ध्यान हटाने के लिए नई दिल्ली में रह रहे पाकिस्तानी उच्चायुक्त का इस्तेमाल किया और उन्हें कश्मीरी अलगाववादियों से बात करने को कहा। लेकिन नवाज का यह दांव उल्टा पड़ा। इससे भारत नाराज हो गया और उसने दोनों देशों के बीच सचिव स्तर की होने वाली बातचीत को रद्द कर दिया।
प्रस्तुति: अरुण कुमार सिंह
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