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इराक और सीरिया में इस्लाम के नाम पर हजारों लोगों की हत्या करने वाले आई.एस.आई.एस. के जिहादी अब पूरी दुनिया के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। उनके निशाने पर विशेष रूप से भारत, अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी जैसे देश हैं। जब से अमरीकी सेना इराक में इन जिहादियों के कब्जे वाले इलाकों पर हवाई हमले कर रही है तब से ये जिहादी और बौखला गए हैं। अमरीका पर दबाव डालने के लिए इन जिहादियों ने अमरीकी पत्रकार जेम्स फोले की गला रेत कर हत्या कर दी है। फोले को 2012 में सीरिया में बंधक बनाया गया था। इस जिहादी संगठन ने यह भी कहा है कि यदि अमरीका हमारे आतंकवादियों को नुकसान पहंुचाएगा तो एक अन्य अमरीकी पत्रकार स्टीवन सोटलॉफ की भी हत्या कर दी जाएगी। इसके साथ ही अमरीका पर भी हमले किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि स्टीवन को भी सीरिया में ही 2013 में इन जिहादियों ने पकड़ा था। इसके बावजूद अमरीकी सेना इराक में जिहादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों पर हमले कर रही है। अमरीकी सेना की मदद से इराकी सेना ने मोसुल बांध को जिहादियों से मुक्त करा लिया है। उम्मीद है जल्दी ही तिकरित से भी जिहादियों को खदेड़ दिया जाएगा। इराकी सेना का साथ शिया मिलिशिया के लड़ाके भी दे रहे हैं। अमरीका के अलावा जर्मनी भी इन जिहादियों के खिलाफ कूद पड़ा है। जर्मनी ने कहा है कि वह इराक के अल्पसंख्यक कुर्दो को हथियार उपलब्ध कराएगा, ताकि कुर्द इन जिहादियों का मुकाबला कर सकें। जर्मनी के इस कदम से ब्रिटेन भी सहमत है। हो सकता है ब्रिटेन भी जल्दी ही इराक के मामले पर कोई निर्णय लेगा। फ्रांस ने भी कहा है कि इस मामले पर वह जर्मनी का साथ देगा।
दूसरी ओर भारत ने आई.एस.आई.एस. के इन जिहादियों को लेकर कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया है, जबकि इस बात के पक्के सबूत हैं कि भारत में इस संगठन ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में आई. एस. आई. एस. के गुर्गे सक्रिय हैं। श्रीनगर में तो आई. एस. आई. एस. के जिहादियों के पक्ष में नारे लगाए जाते हैं। ये गुर्गे मुसलमान युवाओं को आई.एस.आई.एस. के साथ जोड़ने का काम कर रहे हैं। बहुतों को तो इन लोगों ने अपने साथ जोड़ भी लिया है। इन गुर्गों की मदद करने के लिए पिछले दिनों इस जिहादी संगठन ने हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और तमिल में एक पुस्तक निकाली है। इस पुस्तक को कुछ दिन पहले वेबसाइट पर भी डाला गया था, हालांकि अब उसे हटा लिया गया है। इस पुस्तक में भारतीय मुसलमान युवाओं को भड़काया गया है कि वे इस्लाम के लिए आई.एस.आई.एस. के साथ जुड़ें। यह एक गंभीर मामला है। इसके बावजूद भारत का सेकुलर जमात इस मुद्दे पर कोई बात करने को तैयार नहीं है और यदि कोई इस पर बात करता है तो उसे साम्प्रदायिक कहा जाता है।
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