आईएसआई एजेंट आसिफ अली मेरठ से गिरफ्तारसेना की गोपनीय सूचनाएं करता था लीक

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दिंनाक: 23 Aug 2014 15:42:21

उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने आईएसआई एजेंट आसिफ अली को गिरफ्तार किया है जिसके सीधे संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी जाहिद से थे। उससे जुड़े लोगों की तलाश में भी छापेमारी जारी है। यूपी एसटीएफ ने मिलिट्री इंटेलीजेंस और गुप्तचर ब्यूरो से मिली महत्वपूर्ण सूचनाओं पर करीब एक माह गोपनीयता और गंभीरता से कार्य करते हुए गत 16 अगस्त को मेरठ में देहली गेट थाने के पूर्वी फैयाज अली क्षेत्र स्थित हीरा बिल्िंडग निवासी 52 वर्षीय आसिफ अली पुत्र कासिम अली को गिरफ्तार कर लिया। मेरठ से12वीं कक्षा पास आसिफ मेरठ के सुभाष बाजार भाटवाड़ा में उद्यमी सुनील कंसल की स्प्रिंग फैक्टरी में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत था।
वह एक माह से एसटीएफ की सर्विलांस पर था। खास बात यह है कि पहले जब कभी आईएसआई से जुड़े भारतीय एजेंेट गिरफ्तार हुए तो वह अकेले हुए, जबकि इस बार की सफलता इस मायने में उल्लेखनीय है कि पकड़े गए एजंेट आसिफ अली के आगे और पीछे दोनों तरह के संबंध उजागर हुए हैं। गौतमबुद्धनगर एसटीएफ के एसएसपी उमेश कुमार सिंह ने यह साफ कर दिया कि गिरफ्तार आसिफ विशेष रूप से भारतीय सेना से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां पाक स्थित आईएसआई अधिकारी जाहिद को मुहैया कराता था। गत 16 अगस्त को उसकी गिरफ्तारी हुई और 17 अगस्त को उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। एसटीएफ अधिकारी यह आशंका भी जता रहे हैं कि आसिफ ने कहीं मेरठ व आसपास के जिलों में दूसरे युवकों को अपने जाल में न फंसा लिया हो।
जांच में पाया गया कि आसिफ ने पाक एजेंट से मिली रकम को पश्चिम बंगाल निवासी सेना के दो जूनियर कमीशन अफसर पाटन कुमार पोद्दार और मदनमोहन पाल के खातों में जमा कराया था। पुलिस ने मदन मोहन पाल को18 दिसम्बर, 2013 और पाटन कुमार पोद्दार को गत 6 अगस्त को गिरफ्तार किया था। आसिफ अली ने हाल ही में झांसी में तैनात सेना के एक जेसीओ के पुत्र को पाकिस्तान से मिला लैपटॉप भी दिया था। इस लैपटॉप के जरिए आईएसआई को सीधी जानकारियां मिल जाती थीं। एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार आसिफ भारतीय सैनिकों के निजी विवरण और गतिविधियांे की पूरी जानकारी
रखता था।
एजेंट से काफी सामान हुआ बरामद
आसिफ अली के पास से सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेज, पाकिस्तानी डेबिट कार्ड, दो भारतीय बैंकों के एटीएम कार्ड, स्टेट बैंक और बैंक आफ इंडिया की पासबुक, पाकिस्तानी बैंक अल हबीब का आठ हजार रुपए का चैक, पैन कार्ड, तीन मोबाइल फोन, छह सिम कार्ड, पाटन कुमार पोद्दार के खाते में जमा कराए 10 हजार रुपए की रसीद, आसिफ अली के नाम से बना पासपोर्ट, मेरठ के प्यारेलाल शर्मा मार्ग स्थित गैलेक्सी इंफोटेक से 18500 रुपए में खरीदे लैपटॉप की रसीद और झांसी, मेरठ, इलाहबाद, आगरा आदि एक दर्जन सैन्य क्षेत्रों के मानचित्र भी बरामद
किए गए हैं। -सुरेंद्र सिंघल

अखिलेश राज में महिलाएं नहीं सुरक्षित

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिेलश यादव के राज में एक के बाद एक महिलाओं के साथ हो रही दुराचार और हत्या की घटनाएं प्रदेश में कानून-व्यवस्था सुधरने के बार-बार किए जाने वाले दावों की पोल खोल रही हैं। सपा सरकार के राज में अपराधियों को तो संरक्षण मिला है, लेकिन महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। रोजाना किसी न किसी जिले में ऐसी घटनाएं होना अब आम बात हो गई है।
मोहनलालगंज में महिला से दुराचार और उसके बाद हत्या क ी घटना को लोग भूले भी नहीं थे कि फैजाबाद के अमानीगंज बाजार में सामान खरीदने गई एक 17 वर्षीय किशोरी को कुछ लोगों ने जबरन गाड़ी में बैठा लिया। उसके बाद किशोरी से दुराचार किया गया और उसके शव को लखनऊ फैजाबाद हाईवे पर सफदरगंज के पास फेंक दिया। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि युवती से पहले दुराचार किया गया, फिर उसे गाड़ी में बंधक बनाकर सड़क पर घसीटा गया। उसे बेरहमी से मारा-पीटा भी गया। इस मामले में नदीम नामक एक युवक को पुलिस ने पकड़ा है। प्रशासन द्वारा किशोरी के शव का जबरदस्ती अंतिम संस्कार कराए जाने के खिलाफ धरना-प्रदर्शन जारी हैं। कई इलाकों में दुकानें बंद हैं। वहीं अखिलेश सरकार और उनकी पुलिस किशोरी को ही चरित्रहीन साबित करने पर तुली है।
उसी पुलिस व प्रशासन के अधिकारी इस बार भी दावा कर रहे हैं कि पकड़े गए युवक नदीम के किशोरी से पहले से संबंध थे और वह अपनी सहमति से ही उसके साथ गई थी। फैजाबाद के जिलाधिकारी अनिल ढींगरा व एसएसपी के़ बी़ सिंह दावा कर रहे हैं कि किशोरी पर सवार प्यार का पागलपन ही उसकी मौत का कारण बना। किशोरी नदीम पर उसे लखनऊ ले जाने का जबरदस्ती दबाव बना रही थी। नदीम ने किशोरी से पीछा छुड़ाने के लिए उसकी हत्या कर दी। प्रशासन व पुलिस अपनी रपट की सत्यता साबित करने के लिए यह तर्क भी दे रहे हैं कि टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज में किशोरी पूरी तरह से निश्चिंत होकर गाड़ी की अगली सीट पर बैठी दिख रही है और कोई दूसरा गाड़ी में नहीं दिखाई दिया। इससे लगता है कि पूरी घटना को एक अकेले शख्स ने अंजाम दिया।
फैजाबाद मामले में पुलिस की कहानी पर भरोसा भी कर लें तो भी मामला गले से नीचे नहीं उतरता। अगर किशोरी अपनी मर्जी से नदीम के साथ गई थी तो किशोरी को दुराचार का विरोध करने की जरूरत ही क्यों पड़ी? उसकी दो पसलियों समेत सीने की छह हड्डियां टूटी थीं और सिर पर चोट, मुंह दबाने और अंगों को नोचने के निशान थे।
बेदर्दी से पिटाई और लीवर फटने से लगातार खून बहना उसकी मौत की वजह बना। शव की हालत से यह साबित हो चुका है कि किशोरी ने घटना का पूरी ताकत से विरोध किया था। इस पर भी जब हैवानों का मन नहीं भरा तो किशोरी को कुचलने की कोशिश की गई। यह सारे काम एक अकेला आदमी नहीं कर सकता।  -धीरज त्रिपाठी

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