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स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ओजस्वी भाषण में जहां एक ओर भारत से लेकर विश्व की चर्चा कर सभी का ध्यान खींचा, वहीं आलोचकों का मुंह भी बंद कर दिया। पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में बिना पढ़े दिया गया संदेश 'वंदे मातरम' के साथ संपन्न हुआ और अंत में सभी मंत्रमुग्ध थे।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आदर्श ग्राम की योजना से लेकर विश्व का निर्यातक बनने तक का संकल्प जताया। इस भाषण पर यदि नजर दौड़ाएं तो मां-बहनों के शौचालयों के अभाव की स्थिति को साधारण तरीके से स्पष्ट कर उन्होंने टीवी पर भाषण सुनने वालों से लेकर लालकिले में मौजूद लोगों की आंखें नम कर दीं। बेटा-बेटी की तुलना करते हुए ऐसा उदाहरण रखा कि सभी माता-पिता सोचने पर मजबूर हो गए। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में बेटियों की उपलब्धि ने न केवल बेटियों का उत्साह बढ़ाया, बल्कि समाज की कलुषित सोच पर भी विराम लगाया। इससे निश्चित ही भविष्य में बेटी को लेकर परिभाषाएं बदलना तय हैं।
ऐसा पहली बार हुआ है कि जब अतीत की परम्परा को छोड़कर किसी प्रधानमंत्री ने इस दिन के मायने ही बदल डाले। प्रधानमंत्री के भाषण की लोकप्रियता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग टीवी पर सुबह भाषण संपन्न होने के बाद भी बार-बार न्यूज चैनल पर उसे सुनने के लिए लालायित दिखे। अगले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिवर्तन की बयार सम्बंधी भाषण को पढ़कर देश में हर राज्य के शहर से लेकर देहात तक प्रधानमंत्री का अद्भुत और अद्वितीय भाषण सुर्खियों में बना रहा। देहात में रहने वाली मां-बहनें जहां शौचालय बनने के वादे से फूली नहीं समा रही थीं, वहीं प्रधानमंत्री से लालकिले पर हाथ मिलाने वाले स्कूली बच्चे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।
देश में अर्से से सम्प्रदाय और जाति के आधार पर लोगों को बांटने वालों को सहज भाव से प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके खून बहाने से कुछ हल नहीं होने वाला। यह बात भोली-भाली जनता के लिए सूर्य की रोशनी से कम नहीं थी। खुद को गरीब बताकर गरीबी देखने की बात कहकर पूरे देश का दिल जीतने वाले प्रधानमंत्री ने देश में सबसे महत्वपूर्ण होकर भी सामान्य बनकर जो संदेश दिया, उसकी कल्पना शायद ही किसी ने कभी की होगी। – पाञ्चजन्य ब्यूरो
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के भाषण के प्रमुख बिन्दु:
– महिलाओं के खिलाफ अपराधों को खत्म करने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने माता-पिता से अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करने को कहा और यह भी कि बेटी से तो माता-पिता सैकड़ों सवाल पूछते हैं, लेकिन क्या कभी े बेटे से भी पूछते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो ? और कौन दोस्त है?
– साम्प्रदायिकता और हिंसा का मुद्दा उठाते हुए इसे खत्म करने की अपील की और कहा कि 'खून से धरती लाल ही होगी, और कुछ नहीं मिलेगा।' दस साल में हम विकसित समाज की ओर जाना चाहते हैं।
– कन्या भ्रूण हत्या की समस्या पर प्रधानमंत्री ने कहा कि 'बेटों की आस में बेटियों की बलि मत चढ़ाइए, राष्ट्रमंडल खेलों में बेटियों ने ही भारत का गौरव बढ़ाया है।
– देश के विकास के लिए प्रधानमंत्री ने एक बार फिर पब्लिक-प्राइवेट -पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बल दिया।
– 'प्रधानमंत्री जनधन योजना' के माध्यम से गरीबों को बैंक अकाउंट से जोड़ा जाएगा और हर कार्ड धारक को डेबिट कार्ड और एक लाख की बीमा सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
– देशवासियों और युवाओं से 'स्किल इंडिया' के जरिए विकास को मिशन बनाने का संकल्प लेने को कहा जिससे वे दुनिया के किसी भी देश में जाएं तो उनके हुनर की सराहना हो। उन्होंने विदेशों में रह रहे भारतीयों को भी देश के निर्माण में भागीदारी का निमंत्रण दिया।
– 02 अक्तूबर से देश में सफाई का अभियान शुरू किया जाएगा और सांसद को सांसद निधि से एक वर्ष के भीतर स्कूलों में शौचालय बनाने पर खर्च करने करने का संकल्प लें।
– देश को 'मैन्युफैक्चरिंग हब' बनाने के लिए संकल्प लेने और देश को आयातक से निर्यातक देश बनाना है और उसके लिऐ हिन्दुस्थान के निर्माण का आह्वान किया।
– देश को आगे ले जाने के लिए दो ही पटरियां हैं सुशासन और विकास यानी गुड गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट। सर्विस शब्द की पहचान खोने की बात कहकर इस भाव को पुनर्जीवित करने और एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में आगे आने को कहा। साथ ही पर्यटन को बढ़ाने की बात कही जिससे गरीब व्यक्ति को रोजगार मिलता है।
– 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' की घोषणा भी की। इस योजना के तहत हर सासंद को अपने क्षेत्र में एक गांव को आदर्श ग्राम बनाना होगा और इसका ब्लू प्रिंट 11 अक्तूबर जय प्रकाश नारायण जी की जयंती पर जारी किया जाएगा।
– योजना आयोग की जगह नई संस्था बनाने की घोषणा करते हुए कहा कि 'कभी -कभी पुराने घर की मरम्मत पर खर्चा ज्यादा आता है और संतुष्टि नहीं होती, फिर लगता है कि नया ही घर बना दिया जाए।'
– विदेश नीति पर बोलते हुए सभी पड़ोसी देशों से रिश्ते बेहतर करने पर बल दिया।
– खुद को प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि प्रधान सेवक बताया।
वे जो भाषण सुनकर प्रधानमंत्री के हो गए कायल
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