विश्व हिन्दू परिषद् : स्वर्णजयन्ती - वर्षों की उज्ज्वल परंपरा सुवर्ण - लक्ष्य की ओर !
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विश्व हिन्दू परिषद् : स्वर्णजयन्ती – वर्षों की उज्ज्वल परंपरा सुवर्ण – लक्ष्य की ओर !

by
Aug 16, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 16 Aug 2014 14:52:17

हम सभी को देश-विदेश में एक अनुभव हमेशा आता है। आज विश्व में और भारत में हिन्दुओं से संबंधित कोई भी घटना होती है, तो लोग पूछने लगते हैं,विश्व हिंदू परिषद क्या कर रही है? यह प्रश्न एक दृढ़ विश्वास से आता है कि विश्व हिन्दू परिषद हिन्दुओं के लिए अवश्य खड़ी रहेगी ही। ऐसी सामाजिक विश्वसनीयता विरोधी प्रसारमाध्यम और विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी है क्योंकि विश्व हिन्दू परिषद ने अनेक कार्य किये हैं और भविष्य में हिंदुओं के साथ हर क्षेत्र में खड़े होने की योजनाएं भी हैं।
1964 की जन्माष्टमी के शुभ दिन पर मुंबई के सांदीपनी आश्रम में आरंभ हुई विश्व हिन्दू परिषद के सामने तब कई कठिन परिथितियां थीं। विश्व और भारत के हिन्दुओं की कोई समस्या हो, उन्हें कोई जानकारी, सहायता चाहिए तो कोई भी व्यवस्था नहीं थी। विहिप ने वह खड़ी की। इंग्लैंड में हिन्दू मंदिर पर स्थानीय काउंटी ने ध्वनि प्रदूषण के कारण प्रतिबन्ध किया तब विश्व के अनेक ब्रिटिश उच्चायोगों के कार्यालयों पर विहिंप ने विरोध दर्शाया – मंदिर को अनुमति मिली। अमरीका में स्थित हिन्दुओं के बच्चों को हिन्दू संस्कार, संस्कृति की जानकारी मिलती रहे इस हेतु वहां युवा शिविर, रविवार को शिक्षा वर्ग आयोजित किये जाने लगे। यह केवल शुरुआत थी- विश्व भर में विहिप गति से बढ़ी और अनेक देशों की हिन्दू समस्याओं पर मार्ग निकालती रही। आज पाकिस्तान से, बंगलादेश से आये हुए हिन्दुओं की चिंता करना , उनकी बात आगे ले जाना इस में विश्व हिन्दू परिषद सघन कार्य कर रही है। मलेशिया में हिन्दुओं पर अन्याय हुआ तो विहिप सक्रिय हुई और आज भी उनके साथ खड़ी है।
हजारों वषोंर् से हिन्दू दबा कुचला गया
भारत में भी राज्यों में, स्थानीय स्तर पर हिन्दुओं की चिंता करने के लिए तब कोई व्यवस्था नहीं थी। मानवाधिकारों की रक्षा में हिन्दू दुर्लक्षित था। भारत जैसे गरीब और अनेक भाषाओं, रीतियों से भरे देश में 150 -200 वषोंर् से भी अधिक चला आया धर्मांतरण रोकने के लिए विद्यालय, अस्पताल और अन्य सामाजिक सेवाओं की आवश्यकता थी। छुआछूत की भीषण बीमारी हिन्दू समाज को लगी थी। विश्व हिन्दू परिषद ने शुरू में इन मूलभूत समस्याओं पर काम करना शुरू किया। कर्नाटक के उडुपी में पूजनीय शंकराचार्य जी और अन्य अनेक साधू संतों का विशाल सम्मेलन कर विहिंप ने धर्म-निर्णय करवाया कि छुआछूत हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं हिन्दू धर्म में इसका कोई स्थान नहीं। इस निर्णय को सम्मेलन में धार्मिक मान्यता मिली और पूजनीय शंकराचार्य एवं साधू-संतों ने देश के मुहल्लों-गलियों में जाकर लोगों को यह निर्णय और उसका सामाजिक महत्व समझाया। हिन्दुओं को एक करने में विश्व हिन्दू परिषद तब से उत्साह से एक-एक कदम आगे बढ़ रही थी। आज उस अभियान ने समरसता प्रकल्प का भव्य रूप लिया है जिसमें हिन्दू परिवार मित्र जैसी योजना में सभी जातियों के करोड़ों हिन्दू एक दूसरे से मित्र के नाते हमेशा के लिए मन से जुड़ रहे हैं। अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर का शिलान्यास बिहार के अनुसूचित जाति के कामेश्वर चौपाल जी से कराया गया था।
आज विश्व हिन्दू परिषद समाज के हर क्षेत्र में हिन्दुओं के साथ है। अनेक कारणों से शिक्षा न ले पानेवाले बच्चों के लिए विहिप ने अपने 51000 विद्यालयों में 20 लाख बच्चों को नियमित सरकार अधीत पाठ्यक्रम में शिक्षा दी है और यह काम गति से आगे जा रहा है। 1 लाख से अधिक छात्र हाई स्कूल में पढ़कर, विहिंप के छात्रावासों में रहकर आगे आये हैं कइयों को बोर्ड में उच्च अंक प्राप्ति के कारण छात्रवृत्ति भी मिली हैं! 50000 से अधिक छात्र नि:शुल्क छात्रावासों में रहकर उच्च पढ़ाई कर रहें हैं। देशभर में फैला यह ज्ञान का प्रकाश विहिप आज घर-घर, वन-वन में, बीहड़ों में पहुंचा रही है। छत्तीसगढ़ से ओडिशा तक और केरल से कश्मीर तक शिक्षा के साथ हिन्दुओं के लिए आरोग्य सेवा में भी विहिप आगे आयी है। हजारों औषधालय, रुग्णवाहिकाओं के द्वारा आरोग्य सेवा दी जाती हैं।
मातृशक्ति का सम्मान देश का सम्मान!
महिलाओं का योगदान हिन्दू धर्म में हमेशा बड़ा उल्लेखनीय रहा है। शक्ति की पर्याय कन्याओं के लिए विशेष छात्रावास, विद्यालय चलाकर उन्हें आगे लाने में विहिप बड़ा कार्य कर रही है। इन शालाओं में पढ़कर और व्यवस्थाओं में रहकर आज अनेक महिलाएं उच्च पदों पर विराजमान हैं और कई इसी कार्य में अपने जीवन समर्पित कर अन्य कन्याओं को शिक्षा दे रही हैं। दुर्गा वाहिनी के रूप में मातृशक्ति का सशक्त रूप भी विहिप ने खड़ा किया है। समाज में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार देखते हुए आत्मरक्षा के हजारों प्रशिक्षण शिविर संचालित किए जा रहे हैं केरल, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में आदर्श स्वयं सहायता समूह चलाये जाते हैं।
गोवंश किसानों का धन होता है, सम्मान होता है भारत कृषि प्रधान देश है। गोहत्या रोकने के लिए कई राज्यों में आज विहिप के प्रयासों से गोहत्या प्रतिबन्ध कानून पारित हुआ है- अनेक राज्यों में और केंद्र में भी इसे लागू कराने के अथक प्रयास चल रहे हैं। गोरक्षा में अभी-अभी के कुछ वषोंर् में ही1 लाख से अधिक गायें विहिप, बजरंग दल, गौ रक्षा के कार्यकर्ताओं ने बचाई हैं। 550 से अधिक गोशालाएं विश्व हिन्दू परिषद द्वारा चलायी जाती हैं, जहां गायों के चारे से लेकर उनके आरोग्य की चिंता की जाती है। गोवंश नस्ल सुधार के कार्यक्रम चला कर किसानों को अधिक लाभ मिले यह भी योजना है। दूध न देनेवाली गायों को बचाकर उनके गोमूत्र और गोबर से साबुन, शैम्पू, औषधियाँ आदि बनाकर किसानो के आर्थिक स्वावलम्बन में सहायता की जाती है।
हिन्दुओं के अन्य हितों की भी चिंता
अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर, रामेश्वरम में रामसेतु बचाना, अमरनाथ यात्रा का अबाध संचालन आदि विश्व हिन्दू परिषद के सशक्त लोकतांत्रिक आंदोलन सभी को ज्ञात हैं। आंध्र सरकार और केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों को धार्मिक आधार पर आरक्षण दिया, अनुसूचि जनजातियों का आरक्षण छीनने का षड्यंत्र किया इसके लिए विहिप ने कानूनी और सामाजिक पहल की। फलस्वरूप सवार्ेच्च न्यायालय ने वह आरक्षण खारिज कर दिया। इन सभी में जैसे विश्व हिन्दू परिषद देश भर में हिन्दुओं के साथ खड़ी रही, वैसे ही करोड़ों हिन्दू विश्व हिन्दू परिषद के साथ चल पड़े। आज विश्व हिन्दू परिषद की देशभर मे 56000 से अधिक इकाइयां हैं और ये निरंतर बढ़ रही हैं। युवाओं की अदम्य ऊर्जा और कमाल की प्रतिभाशक्ति को विश्व हिन्दू परिषद के साथ जोड़ने हेतु बजरंग दल कार्यरत है। युवा रोजगार, स्वावलम्बन, आत्मरक्षा, हिन्दू सम्मान इन विचारों पर चलते हुए बजरंग दल की आज देश भर में 54000 से अधिक इकाइयां हैं। विहिप के प्रयासों से गत 10 वषोंर् में 5 लाख से अधिक ईसाई और 2 लाख से अधिक मुसलमान उनके पूर्वजों की परम्परा में घर-वापसी कर वापस आये हैं! गत कुछ वषोंर् में गति से आगे बढ़ती विश्व हिन्दू परिषद देश-विदेश में एक उत्साह और आशा की नयी विजन योजना लेकर आगे जा रही है। 50 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में देशभर में अनेक कार्यक्रम तो होंगे ही, अधिकाधिक हिन्दुओं को जोड़ने के नए-नए अभियान होंगे। इनके साथ-साथ यह नया विजन (जो केरल की बैठक में आरम्भ हुआ ही था), उसे आगे ले जाने के असीम उत्साह से विहिप क्रियान्वयन कर रही है।
आधुनिक तकनीक का उपयोग कर विश्व हिन्दू परिषद की वेबसाइट अनेक हिन्दुओं की प्रिय वेबसाइट बनी हुई है। सोशल मीडिया आज का प्रभावी माध्यम है। फेसबुक , ट्विटर , व्हाट्स एप आदि अनेक मागोंर् से युवा विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ गए हैं। जो समाचार पत्रों में पढ़कर जानकारी लेना चाहते हैं, उनके लिए केंद्रीय स्तर पर 'हिन्दू विश्व' पत्रिका चलती है। सेकुलर मीडिया और अन्य दबावों के कारण हिन्दुओं की न्यूज या तो मीडिया पर आती ही नहीं और आती है तो तोड़ मरोड़कर। इसलिए हिन्दू न्यूज नेटवर्क नाम का फेसबुक पेज और वेब हमने आरम्भ किया और आज वह लोकप्रिय हुआ है! संभव हो तो हिन्दुओं का एक आधुनिक टीवी चैनल भी शुरू करना है। देशभर में हिन्दुओं को इमरजेंसी में (प्रवास, वैद्यकीय, प्रशासन कानून, धार्मिक दर्शन पूजन आदि) में सहायता मिले इस हेतु गत 4वषोंर् से हिन्दू हेल्पलाईन चलायी जा रही है। 24 घंटे चलनेवाले कॉल सेंटर पर बस एक कॉल करने से भारत में कहीं भी तुरंत मदद के लिए हिन्दू हेल्पलाईन के कार्यकर्ता तैयार हैं। हजारों लोग इसका लाभ लेकर खुश हुए हैं। 1964 में तब के परम पूजनीय सर संघचालक श्रीगुरु गोलवलकर जी की प्रेरणा और समर्थन से विश्व हिन्दू परिषद स्थापित हुयी। गुरुजी सांदीपनी आश्रम में स्वयं उपस्थित थे। अब मार्च 2012 में आज के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने स्वयं विश्व हिन्दू परिषद के 'हिन्दू ही आगे' इस भव्य अभियान का आरम्भ किया। अब हिन्दू सुरक्षा, समृद्घि और सम्मान के लिए आचरण में हिन्दू, जागृत हिन्दू, सक्रिय हिन्दू यह संकल्पना लेकर विश्व हिन्दू परिषद आगे बढ़ेगी। पर्यावरण से लेकर भारत और विश्व की आर्थिक स्थिति इन में हिन्दुओं का स्थान प्रभावशाली करने का उत्तरदायित्व अब हम सभी पर और विश्व के, देश के हर हिन्दू पर है। आज की स्थितियां- मुझे उसका क्या इस मानसिकता से अधिक गंभीर हो सकती हैं। आतंक, अनाचार, अत्याचार से मुक्त हिन्दू सुरक्षित समृद्घ और सम्मानित हिन्दू यह अब सुवर्ण-लक्ष्य है और इस में भगवान से शक्ति, सभी संतों से और माताओं से आशीर्वाद और सभी हिन्दुओं का सहयोग इस उम्मीद से सभी हिन्दुओं को हर-हर महादेव जय श्रीराम! चलें, अब हम सब मिलकर कहें – विश्व हिन्दू परिषद का सुवर्ण – लक्ष्य हिन्दू सुरक्षा, समृद्घि और सम्मान!
(लेखक ख्याति प्राप्त कैंसर सर्जन और विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष हैं।)

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