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बरेली के दुनका क्षेत्र में जब कांवडि़ए गाजे बाजे के साथ एक मस्जिद के सामने से निकल रहे थे तो मुसलमानों ने उनका विरोध किया। सूचना मिलने पर वहां पहुंची पुलिस ने भी कांवडि़यों को वहां से न निकलने को कहा। इस बात से नाराज कांवडि़यों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। समझाने पर कांवडि़ए वहां से जाने को तैयार हो गए तो रास्ते में कांवडि़यों के ऊपर पथराव किया गया। जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया। वहीं पुलिस ने हमलावरों पर कार्रवाई की बजाय तमाम कांवडि़यों के खिलाफ ही संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली। इससे पूरे जिले के लोग गुस्से में है।
जानकारी के अनुसार 28 जुलाई को दोपहर करीब दो बजे कांवडि़ये जल लेकर दुनका के प्राचीन श्रीराम मंदिर में पहुंचे और जलाभिषेक किया। इसके बाद कांवडि़ये वहां से जयकारे लगाते हुए वापस लौट रहे थे। रास्ते में मुसलमानों ने उनका विरोध किया। सूचना मिलने पर शाही के थानाध्यक्ष शिवराज सिंह यादव मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कांवडि़यों को दुनका से दुनकी जाने को कहा। कांवडि़ये नहीं माने तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद कांवडि़यों ने वहां धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। आसपास के गांवों से सैकड़ों लोग धनेली मार्ग पहुंच गए और धरना प्रदर्शन कर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। गुस्साए कांवडि़यों ने धनेली मार्ग पर जाम लगा दिया। पुलिस ने बल प्रयोग कर कांवडि़यों को वहां से खदेड़ दिया।
इसके बाद कांवडि़ये फिर से धनेली मार्ग पर टांडा मोहल्ले के पास आ गए और धरने पर बैठ गए। शाम को एसडीएम अरुण कुमार, एसपी देहात रामस्वरूप और सीओ एलआईयू नागेंद्र चतुर्वेदी वहां पहुंच गए। किसी तरह कांवडि़यों को समझा-बुझाकर वहां से हटाया गया। कावंडि़ए जयघोष करते हुए दुनकी की तरफ चले गए, जैसे ही कांवडि़ये दुनकी पहुंचे कुछ लोगों ने कांवडि़यों पर पथराव कर दिया। जिसमें महंत बनवारी लाल, राकेश और कृष्णपाल घायल हो गए। इसके बाद दुनकी का माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
कांवडि़ये पथराव करने वालों पर एफआईआर की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए कांवडि़यों पर ही शिंकजा कस दिया। भाजपा ने मामले को लेकर हर स्तर पर विरोध का ऐलान किया है। मामले की शिकायत केंद्रीय कपड़ा राजमंत्री स्वतंत्र प्रभार संतोष गंगवार से भी की गई है। फिलहाल मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है।
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