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इस प्रकरण पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने बातचीत में बताया कि प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। लखनऊ में जिस समय पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति दौरे पर हों और वहां ऐसा जघन्य अपराध हो जाए तो उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में सुरक्षा किस हद तक रह गई है। उन्होंने कहा कि जब मुलायम सिंह जैसे जिम्मेदार राजनेता बलात्कार जैसे गंभीर अपराध पर दोषियों के हौसले बढ़ाने वाले बयान देंगे तो भला अपराधियों के मन में भय कैसे पनप सकता है। श्री सिंह ने कहा कि ऐसे गंभीर अपराध में पहले तो मामला दर्ज करने में देरी बरती गई और ऊपर से महिला के शव को ढकने की बजाय उसके निर्वस्त्र अवस्था वाले फोटो और मृतका का नाम सार्वजनिक करवा दिए गए। इससे मालूम होता है कि पुलिस महकमे में कितनी संवेदनशीलता बाकी रह गई है। यही नहीं महिला के शव को सुरक्षित रखने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में उसके शव का अंतिम संस्कार करवा दिया गया। आरोपी रामसेवक यादव की मीडिया के समक्ष बयानबाजी भी लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है। इससे न्यायालय के समक्ष दिए गए आरोपी के बयानों में विरोधाभास ही पैदा होता है। उन्होंने कहा कि महिला के निर्वस्त्र फोटो सार्वजनिक होने पर मीडिया के दबाव में आने पर छ: पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया, जबकि बेंगलुरू में 6 वर्षीय छात्रा से स्कूल में बलात्कार के मामले में बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए पुलिस आयुक्त राघवेन्द्र ओराडकर और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था कमल पंत को स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे बलात्कार के मामलों में कभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या अधीक्षक स्तर के अधिकारी की जवाबदेही तय नहीं की जाती है। बेंगलुरू में पुलिस अधिकारियों को सरकार की इच्छाशक्ति मजबूत होने के कारण हटा दिया गया, लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार अपराधियों पर नकेल कसने की बजाय उन्हें संरक्षण दे रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब तक महिलाओं के साथ बलात्कार या उन पर तेजाब फेंकने जैसे संगीन अपराध करने वालों पर गुंडा एक्ट, रासुका, गैंगस्टर एक्ट और उनकी चल और अचल संपत्ति की कुर्की कर उन्हें जिलाबदर करने की कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक अपराधियों के मन में पुलिस और कानून का भय पैदा नहीं किया जा सकता। राहुल शर्मा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों कानून एवं व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही हैं। अभी बदायूं में दो बहनों के साथ बलात्कार व उनकी हत्या का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि मोहनालालगंज में महिला से कथित बलात्कार और हत्या ने प्रदेश सरकार और वहां की कानून एवं व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने गत 20 जुलाई को हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए कहा था कि महिला के साथ सामूहिक बलात्कार नहीं, बल्कि बलात्कार भी नहीं हुआ। महिला के विरोध करने पर उसकी हत्या कर दी गई और उसे भी महज एक शख्स ने अंजाम दिया था। पुलिस ने महिला की हत्या के आरोप में रामसेवक यादव को गिरफ्तार किया था, जो कि महिला के कार्यस्थल पर सुरक्षा गार्ड की नौकरी करता था। इस हत्याकांड में उसके अधिकारी राजीव नामक शख्स की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। मृतक महिला के निर्वस्त्र शरीर की खून से लथपथ तस्वीरें जो सोशल मीडिया पर परोसी गइंर् कम से कम उन्हें देखकर तो साफ है कि इस वारदात को अके ला शख्स अंजाम नहीं दे सकता है। क्या पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति के आगमन पर प्रदेश में सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा करने वाली पुलिस, होमगार्ड, चौकीदार या अन्य किसी शख्स को महिला की चीख-पुकार तक नहीं सुनाई दी? पुलिस की गुत्थी सुलझाने के दावे से स्वयं उत्तर प्रदेश में राज्यपाल का अतिरिक्त दायित्व संभाल रहे उत्तराखंड के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी भी संतुष्ट नहीं रहे और उन्होंने भी कहा था कि महिला की हत्या एक व्यक्ति का काम नहीं है। बेशक पुलिस अधिकारी मामले का खुलासा निष्पक्ष ढंग से करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन नृशंस हत्या को सुनियोजित ढंग से सुलझा दिया गया।
इस वर्ष उ. प्र. में महिला उत्पीड़न व बलात्कार की घटनाएं
जनवरी 96
फरवरी 115
मार्च 113
अप्रैल 68
मई 111
जून 258
जुलाई 139 (24 जुलाई तक)
ये क्या कह बैठे ?
चाहे सेना लगा दी जाए, दुनिया की पुलिस लगा दी जाए और चाहे खुदा खुद धरती पर आ जाए, लेकिन उत्तर प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाएं पूरी तरह नहीं रोकी जा सकतीं।
-डा. अजीज कुरैशी
राज्यपाल, उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए दिया बयान)
21 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में यदि दुष्कर्म कम हैं तो वह सिर्फ उत्तर प्रदेश में हैं। -मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख
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