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पाञ्चजन्य
के पन्नों से
वर्ष: 9 अंक: 2 11 जुलाई ,1955
जनसंघ के सत्याग्रहियों की हृदयविदारक कहानी,गोवा से लौटे सत्याग्रही की जुबानी
जनसंघ के सत्याग्रहियों की हृदयविदारक कहानी,गोवा से लौटे सत्याग्रही की जबानी
बेलगांव। गोवा की पुर्तगाली सरकार जनसंघ के सत्याग्रहियों के प्रति भयंकर एवं पाशविक अत्याचार कर रही है। अ.भा.जनसंघ के मंत्री श्री जगन्नाथ राव जोशी तथा महाराष्ट्र जनसंघ के उपाध्यक्ष श्री अण्णा साहेब कवड़ी को लोहे के हथौड़ों से बुरी तरह पीटा गया। परन्तु फिर भी उनकी चिकित्सा का कोई प्रबन्ध नहीं किया गया। इतना ही नहीं ओढ़ने-बिछाने के लिए भी कोई कपड़ा नहीं दिया गया है।
स्मरण रहे 25 जून को श्री जगन्नाथ राव जोशी एवं श्री अण्णा साहेब कवड़ी के नेतृत्व में 147 सत्याग्रहियों का जत्था गोवा में प्रविष्ट हुआ था। नगर हवेली में जनसंघ में जनसंघ प्रेरित आजाद गोमान्तक दल की कार्यवाइयों से चिढे़ हुए पुर्तगाली अधिकारियों ने जनसंघ के सत्याग्रहियों के साथ बर्बर अत्याचार किए हैं। 147 सत्याग्रहीयों में से 140 सत्याग्रही तो मारपीट कर भारतीय सीमा में ढकेले जा चुके हैं, किन्तु श्री जोशी तथा श्री कवड़ी आदि सात प्रमुख सत्याग्रहियों को अभी तक नहीं छोड़ा गया है।
श्री जोशी एवं कवड़ी पर जो भीषण अत्याचार कि ये हैं उनका विवरण को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।… उन्होनें बताया कि पुर्तगाली अधिकारियों ने पहले से ही श्री जोशी व श्री कवड़ी को भयंकर मारपीट का शिकार बनाया। उन्हें लाठियों, मुक्कों व रबर के डंडों से पीटने के अतिरिक्त लोहे के हथौड़ों से पीटा गया एवं भारी फौजी जूते पहने हुए फिरंगी नरराक्षस उनके शरीर पर नाचे। अभी भी अहमदनगर के 30 वर्षीय श्री सारोड़कर जिनके घुटने तथा कमर टूटने का अंदेशा है। चल फिर नहीं सकते तथा 66 वर्षीय श्री कवड़ी पसलियों एवं पीठ में लगी भयंकर मार के कारण खांस नहीं पाते व सो नहीं सकते।…
श्री कवड़ी को गोवा प्रवेश के लगभग ढाई घंटे बाद पेडने (अंग्रेजी का पेर्नेम) के पास पुलिस ने अटकाया और पूछताछ कर प्रश्न किया कि वकील होकर तुमने अन्तरराष्ट्रीय कानून का उलंघन क्यों किया? तब उस वयोवृद्ध नेता ने सम्मानपूर्वक उत्तर दिया 'क्योंकि गोवा भारत का अविभाज्य अंग है एवं उसे भारत में मिला देना चहिए।'इन शब्दों के साथ ही हथौड़े लेकर फिरंगी उन पर टूट पड़े।
जम्मू-कश्मीर विद्यार्थी परिषद्-अधिवेशन
छात्रों द्वारा राष्ट्रीय भावना अपनायी जाय
अध्यक्ष पद से प्रो. राजेन्द्र सिंह जी का अभिभाषण
जम्मू। जम्मू-कश्मीर विद्यार्थी परिषद् का वार्षिक अधिवेशन प्रयाग विश्वविद्यालय के प्राध्यापक राजेन्द्र सिंह जी की अध्यक्षता में हुआ… विद्यार्थी परिषद् के सद्प्रयास की मुक्तकंठ से प्रशंसा की तथा विद्यार्थियों में शुद्ध राष्ट्रीय भावना की आवश्यक्ता पर बल दिया।आपने राष्ट्रघाती,देशप्रेमशून्य,धर्मभावना से रहित साम्यवादी भावना की सारगर्भित एवं तीव्र आलोचना करते हुए शुद्ध भारतीय सांस्कृतिक भावना को अंगीकार करने का आग्रह किया। आगे आपने दलगत राजनीति से दूर रहते हुए भी राष्ट्र-कल्याणकारी कार्यों में योग प्रदान करने का उपदेश उपस्थित छात्रों को दिया। अधिवेशन ने एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से राष्ट्र-भाषा हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार की मांग की।
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