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राष्ट्रपति भवन में यूं तो आम जनता फरवरी में मुगल गार्डन खुलने पर ही जाती है, लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पांच 'इनोवेशन स्कॉलर्स' को अतिथि बनाकर एक नई परंपरा की नींव रख दी है। 100 इनावेटर्स में से इन्हें 'इनोवेशन स्कॉलर्स इन रेजीडेंस स्कीम' के तहत चुना गया है। राष्ट्रपति ने 17 जुलाई को इनसे विशेष मुलाकात कर सभी की प्रतिभा को करीब से जाना।
दरअसल 11 दिसम्बर, 2013 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर इनोवेटर्स को राष्ट्रपति भवन में 'इन रेजीडेंस स्कीम ' के तहत मेहमान रखे जाने की घोषणा की थी। उनका मानना था कि जमीनी स्तर पर खोज करने वालों का उत्साहवर्धन करना और उन्हें ऐसा वातावरण देना जहां पर उनकी सृजनात्मकता का विकास हो सके। उस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा था कि ऐतिहासिक राष्ट्रपति भवन को देखने की जिज्ञासा जनता में हमेशा रहती है।
पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद और उनसे पूर्व भरत के गर्वनर जनरल रहे सी.राजगोपालाचारी ने भी कु छ ऐसे ही कदम उठाए थे जिससे कि जनता राष्ट्रपति भवन तक पहंुच सके। उन्होंने कहा था कि इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए 'इन रेजीडेंस स्कीम' की शुरुआत की जा रही है ताकि नवीन खोज करने वालों के हुनर को यहां रहते हुए और भी निखारा जा सके। इसका उद्देश्य इनोवेटर्स की खोज को अंतिम रूप तक पहंुचाना है क्योंकि इन सभी ने पर्याप्त साधनों के अभाव में अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए यहां तक का सफर तय किया है। राष्ट्रपति भवन में 20 दिनों के दौरान ये सभी संबंधित मंत्रालयों के पदाधिकारी और शोध करने वाली संस्थाओं से मिले। ये लोग इन्हें हरसंभव मदद करेंगे और साथ ही इनके उपकरण के विकास और बाजार में उसके व्यावसायीकरण में भी सहयोग देंगे।
राष्ट्रपति भवन में मुगल गार्डन खुलने के दौरान इनोवेशन पर प्रदर्शनी भी आयोजित की जाती है। इसके साथ ही केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से इनोवेशन क्लब तैयार करने को कहा गया है। राष्ट्रपति भवन में हर दो वर्ष में ऐसे लोगों को पुरस्कृत भी किया जाता है।
पेटेन्ट कराए और आर्थिक सहायता दी
पहले गुजरात में सृष्टि और ज्ञान नामक संस्थाएं इसी प्रकार से बहुमुखी प्रतिभा वाले छात्रों और खोजकर्ताओं की मदद करते थे, इसके बाद एनडीए की सरकार के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे यशवन्त सिन्हा से प्रो. अनिल कुमार गुप्ता की अगुवाई में एनआईएफ का विचार रखा गया था। इसके बाद वर्ष 2001 में इसकी शुरुआत हो गई। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के निदेशक विपिन कुमार ने बताया कि अभी तक एनआईएफ करीब 600 लोगों के पेटेन्ट और 6000 लोगों की मदद कर चुका है। एनआईएफ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत है और स्वतंत्र (ऑटोनोमस) संस्था है। उन्होंने बताया कि यह संस्था देशभर में आईआईटी और दूसरे संस्थानों के संपर्क में रहती है।
इसका उद्देश्य बहुमुखी प्रतिभा वाले छात्रों या उन लोगों को तलाशना होता है जिन्होंने कोई नवीनतम खोज की होती है और भविष्य में उस योजना को कारगर बनाने के लिए सहयोग की आवश्यकता होती है। कई बार खोज करने वाला आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर अपनी खोज को किसी समूह या संस्था को बेच भी देता है, ऐसे में खोज करने वाला गुम हो जाता है और जिस व्यक्ति ने मेहनत नहीं की उसे चारों तरफ से सफलता की बधाई मिलती हैं। निदेशक श्री विपिन कुमार ने बताया कि एनआईएफ से ऐसे प्रतिभावान लोग टोल नं.18002335555 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
स्वच्छता के नए सूत्र
एम. बी. अविनाश को कनार्टक विश्वविद्यालय में दो बार स्वर्ण पदक प्राप्त हो चुका है और अभी वे डा. टी. गोविंद राजू की देखरेख में पीएचडी कर रहे हैं। इन्हें 2013 सृष्टि टेकपीडिया गंाधियन यंग टेक्नोलॉजीकल इनोवेशन अवार्ड भी मिल चुका है। अविनाश ने बताया कि कमल के फूल के पत्ते से अपने आप पानी गायब हो जाने को देखकर वे अचंभित रहते थे। इसे लेकर उनके मन में हमेशा कुछ तकनीक तैयार करने की इच्छा रहती थी।
अविनाश की खोज की मदद से फर्श या किसी चीज पर चढ़ाने से पानी नीचे की सतह को छू नहीं सकता है। खास बात यह है कि उसके साथ ही ऊपर की सतह पर जमी गंदगी पानी के साथ आसानी से साफ हो जाएगी। इन्होंने दीवारों को गंदगी से बचाने के लिए एक प्राकृतिक पदार्थ तैयार किया है। इसे दीवार पर लगाने से दीवारों को गंदगी और पानी गिरने पर सीलन से बचाया जा सकता है। अविनाश का मत है कि इन दीवारांे पर प्राकृतिक पदार्थ का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं है। इसके अलावा यह रंग के मुकाबले सस्ता भी पड़ता है।
एम. बी. अविनाश 28वर्ष (बेंगलुरू)
'सेल्फ क्लीनिंग फंक्शनल मोलीक्यूलर मेटेरियल'तैयार किया (एमएससी ऑनर्स, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च से पीएचडी जारी) -राहुल शर्मा
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