पाञ्चजन्य के पन्नों से
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बिना मार के भूत भी नहीं भागते,यह तो सालाजार है
प्रश्न है,भारतीय जनसंघ के मंत्री 'कर्नाटक केसरी'श्री जगन्नाथराव जोशी के नेतृत्व में गए 147 सत्याग्रहियों की एक टुकड़ी में मथुरा के श्री अमीरचन्द देवीचन्द गुप्ता तथा अरोंदा के पास पोर्तगीज गोलीवार के कारण घायल हुए 2 जनसंघी वीरों में से एक को गोवामुक्ति के लिए अपने प्राण क्यों त्यागने पड़े? स्वतंत्र भारत होने के बाद जहां शत्रुओं का रक्त गिरना था वहां भारतीय देशभक्तों का रक्त कैसे गिरा?
आज भी महाराष्ट्र जनसंघ के उपाध्यक्ष वयोवृद्ध पूज्य श्री अण्णा साहब कवडी तथा जनसंघ के अखिल भारतीय मंत्री श्री जगन्नाथराव जोशी अमानुषिक अत्याचारों के कारण घायल बेहोश अवस्था में शत्रु पुर्तगाल के शिकंजे में मापुका स्थित जेल में पड़े हैं और भारत के कोटि-कोटि तरुणों के हाथ सालाजार शाही को धक्का देकर समुद्र में डुबा नहीं सकते। क्यों? आखिर इन हाथों को किसकी भूल ने बांध रखा है?
भारत की सेना और पुलिस होते हुए भी निरीह,बेकसूर,देश भक्त भारतीयों को सत्याग्रह के नाम पर गोवा की स्वतंत्रता के लिए लिए सालीजारी आसुरी अत्याचारी चक्की में बरबस अपना सिर क्यों देना पड़ रहा है? गत 7 वर्षों से स्वतंत्र प्रभुसत्ता भारत के एक छोटे से भूमिखण्ड गोवा में भारतीयों पर विदेशी पोर्तगीज सरकार द्वारा किए गए आसुरी अत्याचारों के लिए जिम्मेवार कौन है? … कश्मीर में आक्रमणकारी पाकिस्तान को खदेड़ने वाली सेना और हैदराबाद में गद्दार रिजवी का मुंह कुचलने वाली
पुलिस के पैर बंधे क्यों है?
नेहरूजी की गलत नीति ही जिम्मेदार-
लगातार पांच वर्षों तक भारत की जनता को नेहरूजी कहते रहे कि पोर्तगाल से बातचीत चल रही है। और उधर गोवा में भारतीय जनता पीसी जाती रही,सैनिक तैयारियां होती रहीं। फिर एकाएक कहा गया कि पुर्तगाल गोवा छोड़ने की बातचीत करने को तैयार नहीं है। … जब लोकसभा में गोवा मुक्ति का प्रश्न उठा था तो नेहरूजी ने कहा था कि योग्य समय पर कार्यवाही की जाएगी। उस समय अत्यन्त आवेश में भरकर श्री नेहरू यह भी कह गए थे कि 'मुझे भी ऐसा लगता है कि मैं राष्ट्रध्वज लेकर गोवा में घुस जाऊं।'किन्तु अभी तक न तो वो गोवा में घुसे और न उनकी दृष्टि से गोवा की भारतीय जनता को आजादी प्राप्त करने का समय ही आया। देश के निहत्थे,अहिंसात्मक वीर सत्याग्रही देश भक्तों को विदेशी संगिनों और बंदूकों के सामने खड़ा छोड़कर नेहरूजी विदेशों की यात्रा पर निकल गए। जहां उनकी जय-जयकार हो रही है।
सालाजार सरकार को कपकपी छूटी
8 हजार गोरे सैनिक मदद को बुलाए
गोवा सीमा (डाक द्वारा) भाारतीय जनसंघ के मंत्री श्री जगन्नाथराव जोशी के नेतृत्व में जो जत्था सत्याग्रह के निमित्त गया है उसका एक हिस्सा भूमिगत होकर गोवा की जनता को संघर्ष के लिए तैयार करने को गोवा पहुंच चुका है। इसी सुत्र से पता चला कि भारतीय जनता के उमड़ते हुए सत्याग्रही जत्थों से पोर्तगीज सरकार भीतर-भीतर कांप उठी है। भारतीय निशस्त्र अहिंसात्मक सत्याग्रहियों को अमानुषिक अत्याचार के द्वारा दबा देने के लिए पोर्तगीज सरकार ने करीब 8 हजार गोरे सैनिकों को गोवा में बुलाया है। संभावना है कि जुलाई मास के अन्त तक ये सैनिक एस एस मासमबेडस् सैनिक जहाज में गोवा आवेंगे।
नेहरू जी सुनो,गोवा पुकारता है
बिना मार के भूत भी नहीं भागते,यह तो सालाजार है
प्रश्न है,भारतीय जनसंघ के मंत्री 'कर्नाटक केसरी'श्री जगन्नाथराव जोशी के नेतृत्व में गए 147 सत्याग्रहियों की एक टुकड़ी में मथुरा के श्री अमीरचन्द देवीचन्द गुप्ता तथा अरोंदा के पास पोर्तगीज गोलीवार के कारण घायल हुए 2 जनसंघी वीरों में से एक को गोवामुक्ति के लिए अपने प्राण क्यों त्यागने पड़े? स्वतंत्र भारत होने के बाद जहां शत्रुओं का रक्त गिरना था वहां भारतीय देशभक्तों का रक्त कैसे गिरा?
आज भी महाराष्ट्र जनसंघ के उपाध्यक्ष वयोवृद्ध पूज्य श्री अण्णा साहब कवडी तथा जनसंघ के अखिल भारतीय मंत्री श्री जगन्नाथराव जोशी अमानुषिक अत्याचारों के कारण घायल बेहोश अवस्था में शत्रु पुर्तगाल के शिकंजे में मापुका स्थित जेल में पड़े हैं और भारत के कोटि-कोटि तरुणों के हाथ सालाजार शाही को धक्का देकर समुद्र में डुबा नहीं सकते। क्यों? आखिर इन हाथों को किसकी भूल ने बांध रखा है?
भारत की सेना और पुलिस होते हुए भी निरीह,बेकसूर,देश भक्त भारतीयों को सत्याग्रह के नाम पर गोवा की स्वतंत्रता के लिए लिए सालीजारी आसुरी अत्याचारी चक्की में बरबस अपना सिर क्यों देना पड़ रहा है? गत 7 वर्षों से स्वतंत्र प्रभुसत्ता भारत के एक छोटे से भूमिखण्ड गोवा में भारतीयों पर विदेशी पोर्तगीज सरकार द्वारा किए गए आसुरी अत्याचारों के लिए जिम्मेवार कौन है? … कश्मीर में आक्रमणकारी पाकिस्तान को खदेड़ने वाली सेना और हैदराबाद में गद्दार रिजवी का मुंह कुचलने वाली पुलिस के पैर बंधे क्यों है?
नेहरूजी की गलत नीति ही जिम्मेदार-
लगातार पांच वर्षों तक भारत की जनता को नेहरूजी कहते रहे कि पोर्तगाल से बातचीत चल रही है। और उधर गोवा में भारतीय जनता पीसी जाती रही,सैनिक तैयारियां होती रहीं। फिर एकाएक कहा गया कि पुर्तगाल गोवा छोड़ने की बातचीत करने को तैयार नहीं है। … जब लोकसभा में गोवा मुक्ति का प्रश्न उठा था तो नेहरूजी ने कहा था कि योग्य समय पर कार्यवाही की जाएगी। उस समय अत्यन्त आवेश में भरकर श्री नेहरू यह भी कह गए थे कि 'मुझे भी ऐसा लगता है कि मैं राष्ट्रध्वज लेकर गोवा में घुस जाऊं।'किन्तु अभी तक न तो वो गोवा में घुसे और न उनकी दृष्टि से गोवा की भारतीय जनता को आजादी प्राप्त करने का समय ही आया। देश के निहत्थे,अहिंसात्मक वीर सत्याग्रही देश भक्तों को विदेशी संगिनों और बंदूकों के सामने खड़ा छोड़कर नेहरूजी विदेशों की यात्रा पर निकल गए। जहां उनकी जय-जयकार हो रही है।
सालाजार सरकार को कपकपी छूटी
8 हजार गोरे सैनिक मदद को बुलाए
गोवा सीमा (डाक द्वारा) भाारतीय जनसंघ के मंत्री श्री जगन्नाथराव जोशी के नेतृत्व में जो जत्था सत्याग्रह के निमित्त गया है उसका एक हिस्सा भूमिगत होकर गोवा की जनता को संघर्ष के लिए तैयार करने को गोवा पहुंच चुका है। इसी सुत्र से पता चला कि भारतीय जनता के उमड़ते हुए सत्याग्रही जत्थों से पोर्तगीज सरकार भीतर-भीतर कांप उठी है। भारतीय निशस्त्र अहिंसात्मक सत्याग्रहियों को अमानुषिक अत्याचार के द्वारा दबा देने के लिए पोर्तगीज सरकार ने करीब 8 हजार गोरे सैनिकों को गोवा में बुलाया है। संभावना है कि जुलाई मास के अन्त तक ये सैनिक एस एस मासमबेडस् सैनिक जहाज में गोवा आवेंगे।
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