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पिछले दिनों हजारीबाग में 'विधि शिक्षा एवं न्याय व्यवस्था में भारतीय भाषा' विषय पर एक परिसंवाद आयोजित हुआ। इसका उद्घाटन झारखण्ड के लोकायुक्त न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रसाद साहा,नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी,रांची के कुलपति प्रो.बी.सी. निर्मल,शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल भाई कोठारी और विनोबा भावे विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ. विजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया।
परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रसाद साहा ने कहा कि मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाकर ही न्याय व्यवस्था में हिन्दी अथवा अन्य भाषाओं का प्रयोग संभव हो सकता है। श्री अतुल भाई कोठारी ने कहा कि न्याय व्यवस्था में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल न होने से आम लोगों को बहुत कठिनाई होती है। भारतीय भाषाओं में न्यायायिक गतिविधियां हों,ऐसा प्रयास होना चाहिए। प्रो. बी.सी. निर्मल ने कहा कि मुट्ठीभर लोगों ने न्याय व्यवस्था को रहस्यमयी बना दिया है। इसे समाप्त करने की जरूरत है। परिसंवाद के अन्त में यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज,हजारीबाग के प्राचार्य प्रो. जयदीप सान्याल द्वारा लिखित पुस्तक 'हायर एजुकेशन एंड लीगल एस्पेक्ट इन इंडिया'का लोकार्पण भी हुआ। परिसंवाद का आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास,झारखण्ड और यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज,हजारीबाग ने संयुक्त रूप से किया था।
– प्रतिनिधि
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