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पुलिस गो तस्करों को पकड़ने के बजाय गोरक्षकों को धमकाने में जुटी हुई है। कई बार पुलिस ने गो तस्करों को भगाने में भी मदद की है। करनाल में इस वर्ष 10 ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ है।
पूरे हरियाणा में गो तस्करों का गोरखधंधा बढ़ता जा रहा है। तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे गोहत्या के खिलाफ लड़ने वालों को ही निशाना बना रहे हैं। गत दिनों अनेकों ऐसी घटनाएं हुईं जिनमें गोरक्षा सेवादल व गोभक्तों को निशाना बनाया गया। हाल ही में यमुनानगर के गुमथला में तस्करों को रोकने का प्रयास किया गया। शादीपुरा में भी तस्करों ने गोरक्षा सेवा दल के स्थानीय अध्यक्ष रोहित चौधरी को जबरन अगवाकर बुरी तरह पीटा।
गनीमत रही कि उनकी जान बच गई, लेकिन हालत इतनी गंभीर हुई कि वह पी.जी.आई़, चंडीगढ़ में उपचाराधीन हैं। ऐसे में गो तस्करी की बढ़ती इन घटनाओं से लोगों में भय और रोष पनपने लगा है। जहां सरकार की पशु संरक्षण संवर्द्धन की नीतियां कटघरे में आ गई हैं, वहीं पुलिस प्रशासन की मिलीभगत पर भी सवालिया निशान लगने लग गए हैं। लोगों का मानना है कि प्रशासन यदि पूरी ईमानदारी से काम करे और गोसेवकों की सूचना पर तत्काल कार्रवाई करे इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लग जायेगा। लेकिन पुलिस है कि उल्टे गोरक्षकों को धमकाती है। आरोप है कि कई पुलिसकर्मी गोतस्करों की फरार होने में मदद करते हैं। प्रदेश के करनाल में इस साल जनवरी में ऐसे10 पुलिस वालों के खिलाफ तो मामला दर्ज किया गया है। लोगों का कहना है कि हरियाणा की हुड्डा सरकार न केवल गोचर भूमि खाली कराने में नाकाम रही है बल्कि हुड्डा सरकार कांग्रेस की कुनीतियों को आगे बढ़ाते हुए पशु संरक्षण के लिए काम न करके कत्लखाने खोलने का काम अधिक कर रही है। गत दिनों जब गोतस्करी को लेकर बनाए गए कानून पर जनमत हुआ तो 80 प्रतिशत लोगों ने इसे नाकाफी बताया और सख्त से सख्त कानून बनाने की मांग की। वहीं 78 प्रतिशत लोगों ने गोतस्करी रोकने के लिए पुलिस द्वारा की जा रही कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा किया।
प्रदेश सरकार की गोधन विरोधी नीतियों से न केवल पशु संख्या घट रही है बल्कि सरंक्षण एवं संवर्द्धन भी हाशिए पर जा रहा है। सरकार न तो गोचरान भूमि खाली कराने की ओर कदम बढ़ा रही है और न ही गोशालाओं में रह रहे पशुओं की ओर कोई ध्यान दिया जा रहा है जिसके चलते हजारों बेजुबान गोवंश आज सड़कों पर घूमने को मजबूर हैं। गो तस्कर का हांैसला इतना बढ़ गया है कि वे न केवल आवारा बना दिए गए पशुओं को निशाना बनाते हैं बल्कि ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं, जब उन्होंने गोशालाओं पर भी हमला किया और पशुओं को निकाल ले गए।
पुलिस आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में हर साल पशु तस्करी के 600 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। वर्ष 2014 में पशु तस्करी के 754 मामले दर्ज किए गए तथा 992 पशु तस्करों को गोभक्तों की मदद से पकड़ा गया। सूत्रों की मानें तो हर साल 10 हजार से अधिक गोवंश अकेले हरियाणा से ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बूचड़खानों में जाता है। गोभक्तों में इसी बात को लेकर हुड्डा सरकार के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
इस विषय पर संत गोपाल दास का मानना है कि गोचरान आंदोलन को दबाने के लिए सरकार कत्लखाने खोल रही है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है। सरकार और भूमाफिया मिले हुए हैं इसलिए वह चाहती है कि प्रदेश से गोवंश समाप्त हो जाए। जिसके बाद एक बहाना मिल जाएगा कि जब हरियाणा में गायें ही नहीं बचीं तो गोचरान आंदोलन की क्या जरूरत है? आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा में प्रति 1000 मनुष्यों पर आज केवल 28 पशु बचे हैं।
– डॉ. गणेश दत्त वत्स
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