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पत्र-पत्रिकाओं, टीवी एवं सड़कों पर लगे होर्डिंग्स को देखकर हम सहज ही उसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं। उनके अपील को देखकर या सुनकर हमारी सोच एवं दिमाग की कायाकल्प हो जाता है। आखिर इसके पीछे वह कौन सी शक्ति छिपी रहती है जो हमें उस उत्पाद को खरीदने के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव डालती है। दरअसल, यह सारा खेल विज्ञापन एजेंसियों एवं उनमें काम करने वाली टीम के द्वारा तैयार किया जाता है। एड (विज्ञापन) को बनाने से लेकर उसे मार्केट में सफलतापूर्वक पहुंचाने का श्रेय इसी टीम का होता है। जिसके कारण कंपनी को लाखों-करोड़ां रुपए का फायदा पहुंचता है। इसे नकारा नहीं जा सकता है कि बहुराष्टीय कंपनियों के भारत में पदार्पण से विज्ञापन जगत का कारोबार बढ़ा है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की मांग में भी तेजी से उछाल आया है। धीरे-धीरे यह मांंग बढ़ती ही जा रही है, जिसे पूरा करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इस क्षेत्र में वही लोग सफलता के झण्डे गाड़ सकते हैं जिनमें कल्पनाशीलता हो तथा चुनौतीपूर्ण काम को झट से करने की क्षमता हो।
कब कर सकते हैं कोर्स
विज्ञापन जगत में प्रशिक्षित लोगों की सदा से ही मांग की जाती है। इसीलिए विज्ञापन से संबंधित पाठ्यक्रम भी बाजार में मौजूद हैं। जिन्हें करने के पश्चात इस क्षेत्र में पहचान बनाई जा सकती है। यदि आप प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए इच्छुक हैं तो आपको कम से कम 10+2 होना अनिवार्य है। जिसके पश्चात आप दाखिला लेने के योग्य हो जाते हैं। जबकि अन्य पाठ्यक्रम के लिए स्नातक स्तर के लोगों की मांग की जाती है।
पाठ्यक्रम से जुड़ी जानकारी
विज्ञापन से जुड़े कार्यक्षेत्र
विज्ञापन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसका कार्यक्षेत्र बहुत फैला हुआ है। इसके प्रमुख कार्यक्षेत्र एवं उसमें रोजगार के लिए अवसर निम्नलिखित हैं-
क्रिएटिव डिपार्टमेंट – इसके अंतर्गत कॉपी राइटर, विजुअलाइजर, फोटोग्राफर आदि आते हैं। जिसमें विज्ञापन के लिए स्लोगन, पंचलाइन लिखना, ग्रॉफिक्स, स्केचिंग संबंधी कार्य देखना, आकर्षक फोटोग्रॉफ्स खींचकर लाना जैसे कार्य सम्मिलित हैं। इसमें उन लोगों की ज्यादा मांग होती है, जो लीक से अलग हटकर कुछ सोचते हैं तथा विशय निर्माण संबंधी कार्य निपटा सकते हैं।
क्लाइंट सर्विसिंग – क्लाइंट सर्विसिंग में अकाउंट एक्जिक्यूटिव, बिजनेस डेवलेपमेंट मैनेजर, मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव तथा मार्केटिंग डायरेक्टर से संबंधित पद होते हैं। क्लाइंट सर्विसिंग व एडवटाईिजंग में वही संबंध है जो दिल व शरीर का होता है। इसके अंतर्गत बजट बनाना, विज्ञापन के लिए माध्यम उपलब्ध कराना, कंपनी से विज्ञापन लेना, क्लाइंट डीलिंग तथा ग्रुप मैनेजिंग का जिम्मा होता है।
मीडिया प्लानिंग – मीडिया प्लानिंग के अंतर्गत बनकर तैयार विज्ञापन को विभिन्न माध्यमों के सहारे डिस्प्ले करने की जिम्मेदारी आती है। इसके अलावा विभिन्न माध्यमों तक विज्ञापन पहुंचाने की व्यवस्था से लेकर रेट संबंधी जानकारी इसी विभाग को रखनी पड़ती है। कौन सा विज्ञापन, किस हद तक लक्षित समूह को प्रभावित करेगा, यह तय करना इसी विभाग का काम होता है।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
रिसर्च डिपार्टमेंट – कोई भी विज्ञापन तैयार करने से पहले उससे संबंधित कई तरह के षोध कार्य जैसे विज्ञापन का कितना असर होगा, पिछले विज्ञापन से कितना लाभ हुआ आदि आते हैं। पूरे विज्ञापन की संरचना इसी शोध के ईद-गिर्द घूमती हैं। बाजार की जरूरतों तथा ग्राहकों के रुख को भी शोध के जरिए पता लगाने की कोशिश की जाती है। इसमें शोधकर्ता, शोध मैनेजर तथा मैनेजर आदि पद होते हैं।
रोजगार की असीम संभावनाएं
विज्ञापन जगत में कई अन्य सेक्टरों के शामिल हो जाने से यह रोजगार के बड़े फलक पर अपना लोहा मनवा रही है। इसमें छात्र अपनी सुविधानुसार कोई क्षेत्र चुन सकते हैं। प्रतिदिन खुलने वाली एड एजेंसियों में कई लोगों की आवश्यकता महसूस होती है। आने वाले समय में भी इस क्षेत्र का भविष्य सुनहरा है। चूंकि ग्राहकों की संतुष्टि एवं उन्हें उत्पाद तक खींच लेना ही विज्ञापन का वास्तविक उद्देश्य होता है, अत: सृजनात्मकता पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। इसके प्रमुख विभागों में कार्य की प्रचुरता है। अत: रोजगार पाने की दृष्टि से इसमें संभावनाएं हैं। यदि आप विदेश में रोजगार स्थापित करना चाहते हैं तो आप वहां भी अपनी योग्यता दर्शा सकते हैं। फ्रीलांसर अथवा दैनिक कर्मचारी के रूप में आप अपनी सेवाएं दे सकते हैं। अधिकांश लोग ऐसे हैं जो किसी संस्थान से न बंधकर स्वतंत्र रूप से विज्ञापन से जुड़े कार्य कर रहे हैं तथा अच्छी कमाई कर रहे हैं।
सृजनात्मकता से हर राह होती है आसान
मिलने वाला वेतन
आकर्षक वेतनमान भी विज्ञापन जगत की पहचान है। शुरुआती समय में प्रोडक्शन मैनेजर को 15 हजार, कॉपी राइटर को 20 हजार, अकाउंट मैनेजर को 20-25 हजार तथा जनरल मैनेजर को 35-40 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। अनुभव बढ़ने पर इनका वेतन क्रमश: 20-25 हजार, 25-30 हजार, 45-50 हजार तथा 65-70 हजार प्रतिमाह के ऊपर पहुंचने लगता है। जबकि फ्रीलांसिंग करने वाले लोगों को प्रति मिनट तथा अनुबंध के आधार पर वेतन दिया जाता है। विदेशों में भी भारी रकम पेशेवर लोगों को दी जाती है। आजकल वेतन की पूरी संरचना अनुबंध पर आधारित हो गई है। पूरे साल का वेतन तथा कारोबार का लक्ष्य तय कर दिया जाता है।
प्रस्तुति – नमिता सिंह
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