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हाल ही में ‘अराजकता की राजनीति’ स्तक प्रकाशित हुई। पुस्तक लेखक द्वय लक्ष्मीनारायण भाला एवं डॉ.कुलदीप चन्द अग्निहोत्री द्वारा लिखित है। गत वर्षों में केन्द्र में सत्तासीन सोनिया कांग्र्रेस सरकार के कुशासन,रिकार्ड तोड़ महंगाई,भ्रष्टाचार व महिलाओं पर अत्याचार,बड़े-बड़े घोटालों की गूंज,बढ़ती बेरोजगारी एवं सरहदों की समस्याओं से भारत की जनता का सोनिया सरकार से मोहभंग हो गया। इन समस्याओं के कारण जनता का रुझान अन्य राजनैतिक पार्टियों की ओर होने लगा। मौके की तलास में बैठे अरविन्द केजरीवाल को राजनीति में आने का यह सबसे उपयुक्त मौका था,जिसकी तलाश वे लम्बे समय से करते आ रहे थे, लेकिन वे जैसे ही राजनीति में आए उनके कुचक्र व कांग्रेस के साथ उनके अनैतिक संबंधों का पर्दाफाश होने लगा। पुस्तक का द्वितीय खंड ह्यआम आदमी पार्टी के भारतीय राजनीति में आने के मायनेह्ण में लेखक के अनुसार वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के दिल्ली विधानसभा को छोड़कर अन्य राज्यों में किये गए शानदार प्रदर्शन के कारण अन्य राजनैतिक दलों में खलबली मच गई और इसके साथ ही अन्य दलों ने भाजपा की बढ़त को रोकने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास आरम्भ कर दिए। जिसमें देशी-विदेशी शक्तियां भी सम्मिलित हुईं। लेखक ने गैर सरकारी संस्थानों की नीतियां एवं इन्हें प्राप्त होने वाले विदेशी धन का भंडाफोड़ किया है। ह्यचोर-चोर मौसेरे भाईह्ण की तर्ज पर कांग्रेस और आआपा के अनैतिक गठबंधन की कलई भी खोली है। दिल्ली के विधान सभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस द्वारा आआपा को समर्थन देने की कुचक्रपूर्ण घटना का विस्तार से जिक्र किया है।
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लेखक ने आआपा के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल के अतीत और वर्तमान का कच्चा चिट्ठा देश के सम्मुख प्रस्तुत किया है। केजरीवाल के एन.जी.ओ.ह्यसम्पूर्ण परिवर्तनह्णको फोर्ड फॉउन्डेशन द्वारा 30 लाख की सहायता देना और फिर बाद में आपसी मतभेदों के चलते उसे वापस करने की भी कहानी को विस्तार से बताया है। केजरीवाल के एन.जी.ओ. को लाखों डालर की आर्थिक सहायता व स्वयं केजरीवाल को मैग्सेसे पुरस्कार देने के पीछे विदेशी देशों की कुत्सित चाल का भी वर्णन किया है। दिल्ली में जनता द्वारा पूर्ण बहुमत न देने के बाद भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करके मुख्यमंत्री बन जाना बताता है कि केजरीवाल का एक मात्र लक्ष्य सत्ता को पाना था। लेखक ने आआपा नेताओं के समाचार पत्रों में कश्मीर एवं धारा 370 पर प्रकाशित विचारा,माओवाद से प्रभावित राज्यों से सेना हटाने की अनैतिक मांगों के पीछे सत्ता व वोट हथियाने की भी राजनीति का पर्दाफाश किया है। डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने घटनाओं और तथ्यों का विश्लेषण कर उन्हें वैचारिक परिणति तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है। उन्होंने पुस्तक में केजरीवाल की राजनैतिक विचारधारा को सैद्धांतिक कसौटी पर कसते हुए यथार्थ को उद्घाटित किया है।
डा. प्रकाश बरतूनिया
पुस्तक का नाम-अराजकता की राजनीति
लेखक-लक्ष्मीनारायण भाला
डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
प्रकाशक-संजीवनी प्रकाशन प्रा. लिमिटेड
बी-1202, भूतल, शास्त्री नगर
दिल्ली-110 052
दूरभाष-9810028042
मूल्य-50 रु., पृष्ठ-72
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