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दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में सहायक प्रोफेसर को माओवादियों के संपर्क में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी प्र्रोफेसर दिल्ली की एक अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ले जाया गया।
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गत 9 मई को महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने दिल्ली पहंुचकर रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के पास से समय गिरफ्तार कर लिया। महाराष्ट्र पुलिस प्रोफेसर से पिछले 6 माह में चार बार पूछताछ कर चुकी थी। सितम्बर, 2013 में पुलिस ने प्रोफेसर के घर की तलाशी ली थी। उस समय प्रोफेसर के लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य कागजातों को भी जांच के लिए ले गए थे। प्रो. साईबाबा का नाम सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हेमंत मिश्रा की गिरफ्तारी के समय आया था। उसी ने जांच एजेंसियों को बताया था कि वह छत्तीसगढ़ स्थित अबूझमाड़ के जंगलों में छिपे माओवादियों और प्रोफेसर के बीच कड़ी का काम करता था। मिश्रा के अलावा पहले गिरफ्तार हुए अन्य माओवादियों–कोबाद गांधी, बच्चा प्रसाद सिंह और प्रशांत राही ने भी पुलिस को जांच के दौरान पूछताछ में साईबाबा का नाम बताया था। महाराष्ट्र के उप पुलिस महानिरीक्षक रविन्द्र कदम ने बताया कि साईबाबा पर प्रतिबंधित संगठन भाकपा–माओवादी का सदस्य होने, उन्हें समर्थन देने, मदद देने और नये सदस्यों की भर्ती कराने का आरोप है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) ने माओवादियों के लिए काम करने के आरोपी सहायक प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को दिल्ली विश्वविद्यालय से तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। इसने 15 मई को नॉर्थ कैम्पस आर्ट्स फैकल्टी के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस मौके पर गढ़चिरौली में नक्सली हमले में मारे गए सात जवानों को भी छात्रों द्वारा श्रद्धाञ्जलि दी गयी। एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री रोहित चहल ने कहा कि साईबाबा और कुछ अन्य शिक्षक विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच माओवादी विचार फैलाने का काम कर रहे थे।
–प्रतिनिधि
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