दिशा-बोध : रोजगार में रत्नों की चमक
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दिशा-बोध : रोजगार में रत्नों की चमक

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May 21, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 21 May 2014 11:48:16

वर्तमान समय में भारत विश्व का सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है, इस समय यहां ज्वेलरी इंडस्ट्री 15 से 20 प्रतिशत की दर से विकास कर रही है। रत्नों की कीमत के लिहाज से 60 प्रतिशत व कटाई एवं पॉलिश की 95 प्रतिशत प्रकिया भारत में ही होती है। यदि यही रफ्तार रही तो अगले कुछ वर्षों में यह कारोबार 25 से 30 करोड़ डॉलर के करीब पहुंच जाएगा। साथ ही यह वृद्घि 2025 तक अनवरत जारी रहने की प्रबल संभावना भी है। भारत में जेम एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री तंजानिया की भांति सकारात्मक दिशा में जा रही है। आज भारत हीरे-जवाहरात एवं अन्य रत्नों का 45 प्रतिशत स्वयं निर्यात कर रहा है। इसके अलावा यहां प्रमुख पत्थरों एवं जवाहरातों को धारण करना शुभ माना जाता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि इसके प्रयोग से सुख-शांति एवं कार्यक्षेत्र में वृद्घि होती है। जेम एवं ज्वेलरी संबंधी क्षेत्र को जिस पाठ्यक्रम के अंतर्गत शामिल किया गया है, उसे जेमोलॉजी व इसका अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ को जेमोलॉजिस्ट कहा जाता है। इस क्षेत्र में रत्नों एवं पत्थरों की पहचान, गुणवत्ता, उसके गुण देखकर दाम तय करना व रत्नों को तराशने का कार्य किया जाता है। इसमें ज्वेलरी डिजाइन, एवं बिक्री संबंधी कार्य भी आते हैं।
शैक्षिक योग्यता एवं पाठ्यक्रम विवरण
जेमोलॉजी के कोर्स में प्रवेश लेने के लिए बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। जबकि परास्नातक स्तर के जेमोलॉजिस्ट कोर्स के लिए स्नातक जरूरी है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि ज्यादातर पुस्तकें एवं कार्यक्षेत्र अंग्रेजी में ही है।
अभिरुचि एवं रोजगार के अवसर
इस क्षेत्र में सफल होने के लिए सर्वप्रथम अपने अंदर डिजाइन एवं गुणवत्ता को लेकर रचनात्मकता होनी जरूरी है। इसके अलावा बाजार की अच्छी समझ एवं नित्य आने वाले डिजाइनों के बारे में जिज्ञासु प्रवृत्ति होनी ही चाहिए। इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। ज्वेलरी ह्यप्रोडक्शन हाऊसह्ण फैशन हाऊस तथा शोरूमों में लोगों की मांग ज्यादा है। यदि आप किसी नौकरी पेशे में नहीं आना चाहते हैं तो अपना खुद का रोजगार भी शुरू कर सकते हैं। ऐसे कई लोग हैं जो बिना किसी संस्थान से जुड़े फ्रीलांसिंग के रूप में काम कर रहे हैं। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी ज्वेलरी डिजाइन करने वालों की मांग है।
वेतन भी कम नहीं
यह क्षेत्र वेतन देने में भी अव्वल है। इसमें एक जेमोलॉजिस्ट का वेतन काफी कुछ उसकी नौकरी की प्रकृति पर निर्भर करता है। इस क्षेत्र में शुरुआती तौर पर काम शुरू करने वाले प्रशिक्षु जेमोलॉजिस्ट को 6000-10000 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं तथा धीरे-धीरे रचनात्मक बन जाने पर वेतन बढ़कर 15000 तक पहुंच जाता है। जबकि अपना रोजगार, जेम या जूलरी शॉप स्थापित करने या फ्रीलांसिंग करने पर इसकी कोई सीमा नहीं होती है।

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