|
तीन सौ से अधिक सीटों के लिए चुनाव सम्पन्न हो जाने के बाद कांग्रेस ने एकाएक जैसे दुस्वप्नों की नींद से जागकर यह घोषणा करके देश को चौंका दिया कि वो सत्ता में आने पर मुसलमानों को पिछड़े वर्ग के कोटे में से 4.5 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त वो सभी ल्पसंख्यकों के वंचित वर्गों को भी औपचारिक रूप से वंचित घोषित करेगी तथा हिन्दू वंचितों के कोटे में से उन्हें आरक्षण का लाभ उपलब्ध करवाएगी।
कांग्रेस के इन वादों में से पहले का केवल चलताऊ जिक्र 26 मार्च को जारी किए गए उनके मूल चुनाव घोषणा पत्र में भी था। चलताऊ इसलिए कि वो प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और उसे कानूनी मान्यता प्राप्त होने की कोई संभावना नहीं है। क्योंकि संविधान के अनुसार केवल हिन्दुओं जिनमें सिख, जैन और बौद्ध शामिल हैं में ही पिछड़ी जातियां तथा दलित होते हैं। मुसलमान और ईसाइयों में जातिप्रथा को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। अत: यदि कांग्रेस सत्ता में आने पर इन पंथों में पिछड़े वर्गों और वंचितों का अभिज्ञान कर उन्हें आरक्षण की सुविधा प्रदान करना चाहती है तो उसे संविधान में संशोधन करना पड़ेगा जिसके लिए संसद में दो तिहाई बहुमत चाहिए। जाहिर है कि अगली लोकसभा में कांग्रेस या यूपीए ने दो तिहाई बहुमत तो क्या साधारण बहुमत पाने का दिवास्वप्न देखना भी बंद कर दिया है। इस घोषणा के कारण उसे कुछ भोलारामों के वोट मिल जाएं यह संभावना भी नहीं है क्योंकि अनेक मुस्लिम नेताओं ने निराश कांग्रेस के इस वादे के प्रति आक्रोश और तिरस्कार ही प्रकट किया है। कांग्रेस ऐसे वादे पहले भी कर चुकी है जिन्हें सत्ता में आने पर वो रद्दी की टोकरी में फेंक देती रही है।
अतीत में कुछ राज्यों खासतौर से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने मुसलमानों के वोट प्राप्त करने के लिए उन्हें संविधान के खिलाफ आरक्षण देने के कानून बना दिए थे। आंध्र प्रदेश के ऐसे कानून को तो वहां का उच्च न्यायालय 18 मई, 2012 को खारिज कर चुका है। बाकी राज्यों के ऐसे अवसरवादी कानून अदालतों में विचाराधीन हैं जिनपर लम्बी बहस होगी। चन्द्रबाबू नायडू जो मुसलमानों को आरक्षण देने के पक्ष में हैं यह मांग कर चुके हैं कि संविधान में संशोधन करके मुसलमानों को आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में मुसलमानों से यह वादा भी किया है कि वो उन्हें शिक्षा तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में भी उचित अवसर सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाएगी। अभी तक ऐसे आश्वासनों और वादों की मृत्यु उसी दिन हो जाती रही है जिस दिन चुनाव खत्म होते हैं।
कांग्रेस ने मुसलमानों को एक और अव्यवहारिक और अवसरवादी आश्वासन दिया है। इसके अनुसार हिन्दू दलितों और आदिवासियों के लिए सुरक्षित विधानसभा और लोकसभा की ऐसी सीटें जिनमें मुसलमानों की संख्या वंचितों या आदिवासियों के बराबर या उनसे ज्यादा है को भविष्य में परिसीमन द्वारा सुरक्षित किए जाने से रोका जा सके। अभी ऐसी सीटों से केवल हिन्दू वंचित और आदिवासी ही चुनाव लड़ सकते हैं। यानी उन क्षेत्रों से ऊंचे तथा मध्य वर्ग के हिन्दुओं के समान ही मुसलमानों को भी चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं है। इस आश्वासन की पूर्ति के लिए भी संविधान में संशोधन आवश्यक होगा।
– राजेन्द्र कुमार मिश्र
टिप्पणियाँ