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आवरण कथा ह्यबोलती बंदह्ण उन सफेदपोश लोगों के काले चेहरों को उजागर करता है,जो अपनी राजनीति को चमकाने के लिए सच को झूठ और झूठ को सच में बदलने का काम करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में उ.प्र. की सपा सरकार को मुजफ्फरनगर दंगों के लिए दोषी सिद्ध किया, लेकिन कांग्रेस सहित सभी सेकुलर दलों के मुंह पर ताला लग गया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। क्या 2002 के गुजरात दंगों के लिए घूंट पी-पी कर नरेन्द्र मोदी को कोसने वाले नेताओं और पार्टियों को यह निर्णय नहीं दिखाई देता? जिस प्रदेश में सिर्फ दो साल में ही 125 से ज्यादा दंगे हुए हों, उस सरकार पर चुप्पी क्यों? यह सभी कुछ इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि ये सभी दल मिलकर मोदी को बदनाम करने में लगे हुए हैं।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर,भिण्ड(म.प्र.)
० 2002 के गुजरात दंगों में नरेन्द्र मोदी की कोई भूमिका नहीं थी। यह बात एस.आई.टी की रपट में साबित हो चुकी है। फिर भी कांग्रेसी नेता और तथाकथित सेकुलर दल देश के लोगों को नरेन्द्र मोदी के खिलाफ दंगों से जुड़ी भा्रमक बातें बताकर भड़काने में लगे हुए हैं। खासकर ये दल मुसलमानों से मोदी को वोट न देने की अपील भी कर रहे हैं। उन्हें डरा रहे हैं कि मोदी सत्ता में आए तो उनको नुकसान होगा। लेकिन क्या उन्हें ये नहीं पता कि गुजरात में मुसलमान पूरी तरह सुरक्षित हैं। हकीकत तो यह है कि ये तमाम दल मुसलमानों का विकास चाहते ही नहीं हैं। वे चाहते हैं कि मुसलमान सिर्फ वोट बैंक बने रहें। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वह अपना मतदान राष्ट्रहित में करें। ताकि देश के साथ उनका भी समुचित विकास हो ।
-प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद
० मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद भी धर्म निरपेक्षता के नाम पर पाखंड करने वाले सभी दल मौन हैं। गुजरात दंगों को लेकर मोदी को कटघरे में खड़े करने वाले दल और नेताओं को मुजफ्फरनगर दंगा और कश्मीर का निष्कासित हिन्दू समाज नजर नहीं आता? जब वहां हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार होता है तब इनके मुंह पर ताला क्यों लग जाता है? आज यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस सहित सभी सेकुलर दलों ने ह्यसेकुलरह्ण शब्द को राजनीति के हिसाब से परिभाषित कर लिया है तो वहीं हिन्दू शब्द को साम्प्रदायिक के रूप में। ये इन सेकुलर दलों की हकीकत है,जो आज जनता के सामने आ चुकी है।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या बुजुर्ग,प.निमाड(म.प्र.)
शोषण करते सेकुलर दल
कांग्रेस मुसलमानों को बहकाने के लिए उनके विकास की बातें तो बड़े जोर-शोर से करती है,लेकिन हकीकत में देखें तो मुसलमानों का विकास उसने न के बराबर किया है। वह मुसलमानों के विकास के लिए जितनी भी योजनाएं चलाती है उसके ही नेता उन योजनाओं को दीमक की तरह चट कर जाते हैं और वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। सवाल है कि क्या कांग्रेस इसी प्रकार देश के मुसलमानों का विकास करेगी? आखिर कब तक ये सेकुलर दल उनको वोट बैंक बनाकर उनका शोषण करते रहेंगे?
-विनोद कुमार
नया गंज,गाजियाबाद(उ.प्र.)
हिन्दू की अनदेखी कब तक?
आखिर कब तक देश सहित पड़ोसी मुल्क में हिन्दू व हमारे देवी-देवताओं का अपमान व मंदिरों को तोड़ा जाता रहेगा? कब तक हिन्दुओं पर अत्याचार होता रहेगा? पड़ोसी देशों में इस्लामी आतंक व तालिबानी प्रवृत्ति के लोग आए दिन हिन्दुओं पर अत्याचार करते हैं ,लेकिन इस पर न कोई बोलता है और न ही किसी का ध्यान जाता है, विरोध करना तो दूर की बात है। जबकि भारत सभी धर्मों का समान आदर व गंगा-जमुनी तहजीब की दुहाई ही देता रहता है।
-हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इंदौर (म.प्र.)
दोहरा मापदंण्ड
सरकार के तीन अंग हैं,जिनके अलग-अलग कार्य हैं। लेकिन कैसी विडम्बना है कि सरकारी कर्मचारियों के चयन के समय उनकी सेवानिवृत्ति की आयु सीमा निश्चित ही होती है। साथ ही न्यायालय में अगर कोई वाद है तो सेवा प्रारम्भ करने के लिए कितनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ठीक इसके विपरीत सांसद,विधायक की न तो कोई उम्र निर्धारित होती है और न ही ऐसा कोई कानून है कि जब तक कोई वाद न्यायालय में विचाराधीन है तब तक वे चुनाव नहीं लड़ सकते। ये दोहरा मापदंड क्यों? वे भी सरकार के अंग हैं। क्या इनकी कार्य क्षमता मृत्यु तक यथावत रहती है? सरकारी कर्मचारियों की तरह इनकी भी चुनाव लड़ने और राजनीति करने की आयु निश्चित की जाए।
-राम शंकर श्रीवास्तव
सी-1373 राजाजीपुरम,लखनऊ(उ.प्र.)
सेकुलर जमात की सियासी चाल
सोनिया गांधी और मौलाना बुखारी की भेंट बता रही है कि कैसे ये लोग मिलकर मुसलमानों को उनके विकास से दूर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। मुसलमानों को मुख्य धारा से अलग करने का यह षड्यंत्र बुखारी जैसे उनके ही कौम के प्रमुख व्यक्तियों का है। कांग्रेस के साथ उनकी मुलाकात से स्पष्ट हो गया कि जिस कांग्रेस ने अपने दस साल के शासनकाल में देश को लूटकर भ्रष्टाचार की गर्त में पहुंचा दिया उस कांग्रेस को बुखारी वोट देने की अपील कर रहे हैं। क्या बुखारी ऐसी ही पार्टियों से मुसलमानों के विकास की अपेक्षा रखते हैं या मुसलमानों को बरगलाकर वोट देने के पीछे उनका अपना निजी हित है? कांग्रेस ने सदैव से ही तुष्टीकरण की राजनीति को पाला पोशा है। यह आज किसी से छिपा नहीं रह गया है।
-सूर्यप्रताप सिंह ह्यसोनगराह्ण
कांडरवासा (म.प्र.)
० सेकुलर जमातों का पूरे देश में सफाया दिखाई दे रहा है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को देश की जनता जिस प्रकार स्नेह दे रही है उससे यह सभी बौखला गए हैं। इसीलिए ये लोग मोदी को बदनाम करने के लिए आए दिन उन पर निरर्थक आरोप लगाते रहते हैं। देश की जनता को रास्ते से भटकाने के लिए यह दल ऐसा कार्य कर रहे हैं। लेकिन इस बार जनता उनके बहकावे में नहीं आने वाली है क्योंकि वह सब कुछ समझ चुकी है।
-राममोहन चंद्रवंशी
विट्ठल नगर, जिला-हरदा(म.प्र.)
संस्कृति का परिचायक हिन्दुत्व
आज वोट बैंक की राजनीति ने ह्यहिन्दुत्वह्ण जैसे सर्व स्वीकारणीय शब्द जो भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार है को अनेक राजनैतिक दलों के नेताओं ने इतना कुण्ठित और संकुचित कर दिया है कि वे हिन्दुत्व शब्द आते ही उसका विरोध करने लगते हैं। लेकिन उन्हें क्या इस बात का ज्ञान नहीं है कि हमारे रोम-रोम में हिन्दू संस्कृति रची बसी है। जिस हिन्दुत्व का वे विरोध करने लगते हैं वे नहीं जानते कि यह धर्म या उपासना पद्धति का द्योतक नहीं बल्कि हिन्दुस्थान के सनातन सांस्कृतिक जीवन मूल्यों का आधार है।
-डॉ. नवदीप कुमार
मोहनी रोड,देहरादून (उत्तराखंड)
महत्वपूर्ण समय
आज देश लोकतंत्र का पर्व मना रहा है,लेकिन यह उत्सव नहीं है बल्कि क्रांति और कर्तव्य निभाने की चुनौती भरा कठिन समय है। देशवासियों को जागरूक और सतर्क होकर इस बार अपना कर्तव्य निभाना है। जात-पात,धर्म,मजहब,पंथ व स्वयं के हितों से ऊपर उठकर इस बार चुनाव में मतदान करना है।
-राधाकृष्ण,
शिवालिक नगर, हरिद्वार (उत्तराख्ंाड)
०देश के लोगों को अगर महंगाई,भ्रष्टाचार,बेरोजगारी,राजनीति का अपराधीकरण व तुष्टीकरण जैसी चीजों पर काबू पाना है तो देशहित में मतदान करना पड़ेगा। जात-पात ,मत-पंथ से ऊपर उठकर देश को सर्वोपरि समझना होगा। तभी देश इन समस्याओं से मुक्त होगा और पुन: गौरवशाली भारत का निर्माण होगा।
-नीति पाण्डेय,
ग्वालियर (म.प्र.)
मोदी रोको अभियान में लगे सेकुलर नेता
किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी मजहब, जाति या समुदाय को प्रभावित करने वाला बयान चुनाव के समय आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है। लेकिन दिल्ली के शाही इमाम द्वारा सभी मुसलमानों से कांग्रेस को वोट देने की जो अपील की गई क्या वह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? छोटी-छोटी बात को तूल देने वाली मीडिया ने इस बात पर कोई बवाल नहीं किया। लेकिन अगर इसी स्थान पर कोई धर्माचार्य किसी पार्टी विशेष के प्रति अपना समर्थन प्रकट कर देता तो इसी मीडिया में भूचाल आ जाता। यही मीडिया धर्माचार्यों को कटघरे में खड़ा कर उनको संत होने का आभास कराने लगता है और राजनीति में उनके हस्तक्षेप को ऐसे प्रकट करता है जैसे उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो। केन्द्र सरकार से लेकर चुनाव आयोग तक उनके खिलाफ ऐसा व्यवहार करने लगता है जिसका अंदाजा लगा पाना भी संभव नहीं है। भाजपा द्वारा अपने घोषणा पत्र में संविधान के दायरे में रहकर राम मंदिर का मुद्दा हल करने की बात तथा समान नागरिक संहिता की बातें क्यों अखर रही हैं? मोदी के दुकड़े-दुकड़े करने की गीदड़ भभकी देने वाले की पीठ थपथपाकर उसे चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित करने में कांग्रेस को कोई शर्म महसूस नहीं होती है। गुजरात के गोधरा में हुए दंगों के बाद पूरे गुजरात में प्रतिक्रिया स्वरूप दंगे हुए,लेकिन उसके बाद आज 12 वर्ष में मोदी की सरकार में एक भी दंगा नहीं हुआ। क्या यह सेकुलर नेताओं को दिखाई नहीं देता? मजहब के आधार पर देश को बांटने वाले आज देश की जनता को समाज की एकता का पाठ पढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों में जिम्मेदार लोगों को ही रेबड़ी बांटने वालों को ह्यचुनाव में हराकर बदला लोह्ण तक कहना नागवार गुजर रहा है। एक लम्बे समय से मुसलमानों को मजहबी तालीम देने वाले मौलाना चुनाव में हस्तक्षेप करते आए हैं । क्या ये लोग देश के कानून से ऊपर हैं? इन पर मीडिया चुप क्यों रहता है? हमारे देश के नेताओं को तुष्टीकरण की राजनीति करने में मजा आता है। वे चाहते हैं कि देश में तुष्टीकरण की राजनीति इसी प्रकार चलती रहे क्योंकि इसी से तो उनकी राजनीति चमकती है। हमारे देश के नेताओं और भारत के प्रधानमंत्री की हालत यह है कि वे अगर किसी मुसलमान के साथ देश या विदेश में प्रताड़ना का समाचार सुनते हैं तो उनको रात में नींद नहीं आती। पर कश्मीर से लाखों हिन्दुओं को अमानवीय अत्याचार करके खदेड़ दिया जाता है और वे दिल्ली सहित पूरे देश की सड़कों पर अपना जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं तब इनके लिए कुछ करना तो दूर की बात है, उनके लिए सदभाव के दो शब्द बोलना भी उनको नहीं सुहाता। यह तुष्टीकरण की राजनीति नहीं तो और क्या है।
हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि इस देश के संसाधनों पर सबसे पहला हक मुसलमानों का है। क्या कांग्रेस का यही समान व्यवहार है? कांग्रेस जिन दंगों के लिए मोदी को घेरने से बाज नहीं आती वहीं दूसरी ओर वह उ.प्र. की सपा सरकार जिनके दो वर्ष के कार्यकाल में 125 से ज्यादा दंगे हुए फिर भी मुलायम सिंह कांग्रेस के आंखों के तारे हैं। नरेन्द्र मोदी यदि प्रधानमंत्री बन गए तो देश में जगह-जगह दंगे होंगे का दावा करने वाले सेकुलर नेता देशवासियों को असिलियत क्यों नहीं बताते। वे क्यों नहीं बताते कि मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो गुजरात की तरह पूरे देश में दंगे बंद हो जाएंगे और जिन दंगों के नाम पर ये सेकुलर दल अभी तक रोटियां सेकते आए हैं उनकी दुकानों की तालाबंदी हो जाएगी।
– परमानंद रेड्डी
डी/19, सेक्टर-1, देवेन्द्र नगर,
रायपुर (छ.ग.)
मगर जमानत तो बचवा दो।
काशी जाकर केजरी, लगा रहे हैं ध्यान
भोले बाबा लो बचा, मेरा कुछ सम्मान।
मेरा कुछ सम्मान, वोट इतने दिलवा दो
हार भले हो मगर,जमानत तो बचवा दो,
कह ह्यप्रशांतह्ण जब पैर कुल्हाड़ी पर दे मारा
क्यों दें बाबा विश्वनाथ फिर तुम्हें सहारा॥
– प्रशांत
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