समाज जगाया, अंधकार मिटाया
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

समाज जगाया, अंधकार मिटाया

by
Apr 23, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 23 Apr 2014 15:57:51

– प्रो. सीताराम व्यास-

भारत के इतिहास में 19वीं शताब्दी को सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक क्रान्ति और पुनर्जागरण का काल-खण्ड माना जाता है। इस शताब्दी में अनेक महान पुरुषों का आविर्भाव हुआ, जिन्होंने हिन्दू-समाज में नव-चैतन्य को संचारित करने का प्रयास किया। इनमें महात्मा ज्योतिबा फुले का सामाजिक विषमता और भेद-भाव के विरुद्ध चलाया गया समता और समरसता का अभियान निश्चित ही ऐतिहासिक महत्व का है।
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म पूना के निकट खानवाड़ी गांव में 11 अप्रैल, 1827 को हुआ था। ज्योतिबा एक वर्ष की आयु में मां के वात्सल्य से वंचित हो गये। पिता गोविन्दराव ने उनका पालन-पोषण किया। उनके पिता जी की फूलों की दुकान थी और वे जाति से माली थे। महाराष्ट्र में माली जाति को अस्पृश्य माना जाता था। ज्योतिराव की प्रारम्भिक शिक्षा मराठी पाठशाला में हुई। इस बालक को अस्पृश्य मानकर विद्यालय से निकाल दिया गया। इस घटना ने उनके बाल-मन को गहरा आघात पहुंचाया। पिता का मन भी व्यथित हो गया कि उनका लड़का शिक्षा से वंचित हो गया। ज्योतिराव पिता के साथ दुकान पर फूल बेचने का काम करने लगे और रात में दीपक की रोशनी में पढ़ने लगे। ज्योतिबा को रात्रि में पढ़ते देखकर मुंशी गप्फार बेग और ईसाई पादरी लेजित बहुत प्रभावित हुए।
उन्होंने ज्योतिराव का दाखिला मिशनरी स्कूल में करा दिया। वहां पर उन्हांेने वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर लोगों को चकित कर दिया। शिक्षा से ज्योतिराव को चिन्तन की नयी दिशा मिली। उनको अनुभव हुआ कि समाज के निचले वर्ग को शिक्षा द्वारा अपने अधिकार और कर्तव्य का बोध कराया जा सकता है। छोटे -बडे़ के भेद को मिटाने के लिए वंचित वर्ग को शिक्षित करना होगा। ज्योतिराव ने महाराष्ट्र के संत एकनाथ, ज्ञानेश्वर, नामदेव और तुकाराम आदि के साहित्य का श्रद्धापूर्वक अध्ययन किया। इससे उन्हें ज्ञात हुआ कि सब संतों ने इन बुराइयों का खंडन किया है। इन संतों ने समाज को प्रेम, करुणा, मानवता और ममता का संदेश दिया है। ज्योतिराव को सात्विक विचारों की यह निधि संस्कृत के ह्यवज्रसूचीह्ण ग्रंथ व कबीर के बीजक ग्रंथ के ह्यविप्रमतिह्ण भाग से मिली थी। सहसा ज्योतिराव के जीवन में एक हृदयविदारक घटना घटित हुई। एक बार ज्योतिराव को ब्राह्मण मित्र ने अपने विवाह में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। वे सहज भाव से विवाह-स्थल पर गये। वहां पर उनको अपमानित किया गया। वे खिन्न मन से लौट आये। उनको अनुभूति हुई कि वंचित वर्ग अपने जीने के अधिकार को भी भूल बैठा है। तभी उन्होंने संकल्प किया कि वे वंचित-वर्ग को सुशिक्षित करके उसमें आत्मनिर्भरता और अस्मिता बोध जगाएंगे। शिक्षा ही समाज में परिवर्तन का प्रभावशाली माध्यम है। शिक्षा वह समर्थ साधन है, जो समाज में मूक क्रान्ति सहज ढंग से ला सकती है।
महात्मा फुले प्रथम सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत थे। उनका संघर्ष केवल वंचितों के लिए ही नहीं था, बल्कि वंचितपन को दूर करने के लिये था। उनका सामाजिक-क्रान्ति अधिष्ठान सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय था। महात्मा फु ले क्रान्तिकारी सुधारवादी थे। वे ऐसे पहले सुधारक थे, जिन्होंने समाज के निचले वर्गों में रचनात्मक क्रियाशीलता की चेतना का संचार किया।
महात्मा फुले के समय सवर्ण-शूद्र, छूत-अछूत, ब्राह्मण-अब्राह्मण आदि भेद-भाव समाज की जड़ों को खोखला कर रहे थे। ये सब कुरीतियां सामाजिक विषमता को जन्म दे रही थीं। ज्योतिबा ने हिन्दू-समाज की जड़ता और रूढि़यों पर ही प्रहार नहीं किया, बल्कि उच्च वर्ग के लोगों की सद्बुद्धि और न्याय चेतना को प्रेमपूर्वक उभारा और उनमें मानवीय समता और ममता की पावन प्रेरणा का संचार किया। वे समाज के वंचित वर्गों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं आदि सभी के निर्ममतापूर्व किये जा रहे शोषण और उत्पीड़न से बेहद चिन्तित और उद्विग्न रहते थे।
महात्मा फुले ने वर्ष 1848 में पुणे के भिड़े वाडे़ में वंचित वर्ग की लड़कियों की शिक्षा के लिए तत्काल ही एक पाठशाला का शुभारंभ कर दिया। शिक्षा-क्षेत्र में क्रियाशील महात्मा फुले प्रथम ब्राह्मणेतर भारतीय थे। इनमें उनके साथी थे पराञ्जपे, गोविन्द साठे, सदाशिव गोवण्डे इत्यादि। ज्योतिबा की धर्मपत्नी सावित्री बाई ने संकटों के बावजूद अध्यापिका के दायित्व को धैर्य के साथ निभाया। ज्योतिबा के पिता को सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी गई। इस कारण उन्हें घर भी छोड़ना पड़ा। नारी जागरण के लक्ष्य को लेकर महात्मा फुले ने नारी-जाति को कुरीतियों से मुक्त करने का उपक्रम किया। उन्होंने वंचित वर्ग की महिलाआंे को कुशल शिक्षिका बनाने का प्रशिक्षण कार्य प्रारम्भ किया।
महात्मा फुले का समाज सुधार का कार्य वंचित वर्ग तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज में विधवा महिलाओं की दारुण दशा, भ्रूणहत्या, बाल विधवाओं की दुर्गति जैसी कुरीतियों को दूर करने का प्रयास भी शामिल था। ज्योतिबा ने 24 सितम्बर, 1873 को सत्यशोधक समाज की स्थापना की। सभी जाति, मत, पंथ, सम्प्रदायों के व्यक्ति सत्यशोधक समाज के सदस्य बन सकते थे। यह एक सामाजिक रूपान्तरण का क्रान्तिकारी आन्दोलन था। इसकी प्रसिद्धि पूरे देश में फैली। उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम काल में ह्यसार्वजनिक सत्य धर्मह्ण ग्रंथ की रचना की थी।
महात्मा फुले सम्पूर्ण भारतीय समाज की समग्र क्रान्ति के पुरोधा थे। आज सेकुलर दलों के कुछ तथाकथित राजनेता महात्मा फुले और डा.अम्बेडकर के नाम पर वोट की राजनीति कर रहे हैं। यह कार्य देशहित और समाज-हित में नहीं है और न ही इसमें वंचितों के प्रति न्याय की भावना है। महात्मा फुले के उद्बोधक विचार सम्पूर्ण भारतीय समाज में समरसता, एकजुटता, न्याय, समानता की पावन प्रेरणा का संचार करने की क्षमता से युक्त होने के कारण आज भी नितान्त प्रासंगिक हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies