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'गांव विवादमुक्त होंगे, तो देश विकास करेगा'

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Apr 19, 2014, 12:00 am IST
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दिंनाक: 19 Apr 2014 16:56:32

गत 13 अप्रैल को दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली में चतुर्थ नानाजी स्मृति व्याख्यानमाला आयोजित हुई। इस अवसर पर 'विवादमुक्त गांव : विकास के सोपान'विषय पर मुम्बई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और गांधीवादी चिन्तक न्यायमूर्ति डॉ. चन्द्रशेखर धर्माधिकारी ने कहा कि अंग्रेजों से उधार में ली गई निर्णय-प्रणाली न्याय-प्रणाली नहीं कही जा सकती। हमें आजादी के बाद राष्ट्र अध्यक्ष और झण्डे के साथ-साथ न्याय-प्रणाली भी बदल देनी चाहिए थी और इस गलती के लिए अगली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। आज की न्याय-प्रणाली में जीतने वाला भी हारता है, क्योंकि विवाद पैदा होना समाज के बिखराव, अलगाव और पतन की निशानी है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या एक के पक्ष में निर्णय होना न्याय कहा जा सकता है? उन्होंने कहा कि भारत गांवों का देश है। देश तभी विकसित होगा, जब देश के 6़ 5 लाख गांव विवादमुक्त होंगे। नानाजी ने जिस स्वावलंबी एवं समर्थ भारत की परिकल्पना की थी, विवादमुक्त गांव उसका प्रमुख आयाम है।
उन्होंने कहा कि विवाद की परिभाषा ढूंढने के बजाय विवाद हो ही नहीं, ऐसा समाज स्थापित करने की दिशा में प्रयास क्यों नहीं होते? विवाद-मुक्त गांव की संकल्पना में श्री नानाजी देशमुख की भूमिका को रेखांकित करते हुए श्री धर्माधिकारी ने कहा कि गांधीजी व नानाजी दोनों ने स्वतन्त्रता के स्थान पर स्वराज शब्द का इस्तेमाल किया और इसे व्यावहारिक धरातल पर अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध भी किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वामी विवेकानन्द के पश्चात् आधुनिक समय में पं. दीनदयाल उपाध्याय एवं नानाजी ने मानव सेवा पर बल दिया जो कि समाज को विवाद और बिखराव से बचाने का एकमात्र रास्ता है। न्यायमूर्ति श्री धर्माधिकारी ने कहा कि विवाद समाप्त करने के दो तरीके होते हंै – एक तो विवादों को सुलझाना और दूसरा ऐसी परिस्थितियां पैदा करना कि विवाद जन्म ही न लें। नानाजी ने दूसरे रास्ते को चुना और चित्रकूट के 500 गांवों को मुकदमों से निजात दिलायी।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में खादी व ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ़ महेश शर्मा ने समाज के राजनीतिकरण को ग्रामों की बिगड़ती हालत का जिम्मेदार बताते हुए चिन्ता जाहिर की। उन्होंने कहा कि नेताओं ने आपसी फूट डालकर परिवारों में झगड़े और मुकदमों की स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने नानाजी द्वारा स्थापित समाज शिल्पी दम्पति योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाजशिल्पियों का गांव में रहना बहुत बड़ी बात है। इस अवसर पर कई संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
ह्यसद्विचार ही हमें आगे बढ़ा सकता हैह्ण
ह्यहमेशा अपने ज्ञान को अद्यतन करने और भविष्य की संभावनाओं और योजनाओं के लिए किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की क्षमता विकसित करना बहुत ही आवश्यक है।ह्ण यह कहना था गीता परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ संजय मालपाणि का। डॉ. मालपाणि 14 अप्रैल को दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट में एक प्रशिक्षण वर्ग को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ह्यसह्ण के सूत्र ह्यस्माइलह्ण, ह्यस्पीकह्ण, ह्यशेयरह्ण, ह्यशार्पनह्ण एवं ह्यस्मार्टह्ण गोल पर क्रमबद्ध रूप से कार्य करके समन्वयक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे तो हम अपने साथ-साथ अपने बच्चों का भी विकास कर सकेंगे। सद्विचार, सद्विवेक, सद्आचार, सद्भाव और सद्-चारित्र्य, ये मूलभूत बातें हमारे जीवन को अगर स्पर्श करने लगेंगी तो हम निश्चित तौर पर सकारात्मक परिणाम दे सकेंगे। राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख से ऊर्जा पाकर देशभर में कई स्थानों और गांवों मंे छोटी-छोटी संस्थाएं काम कर रही हंै। राह कांटों से भरी है, जिसे कुशल मन से लांघना है। नानाजी ने हमें जो रास्ता दिखाया है उस पर हम हाथ मिलाकर आगे बढ़ेंगे तो कामयाब जरूर होंगे। दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर में कुशल जीवन प्रबंधन और व्यावहारिक पक्षों पर आयोजित प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ डॉ़ भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर उद्यमिता विद्यापीठ, चित्रकूट की निदेशक डॉ़ नंदिता पाठक ने कहा कि बाबा साहब शोषित समाज को जाग्रत करने वाले समानता के शिखर पुरुष थे। वे भारतीय संस्कृति की महान विरासत के संरक्षक तथा उस विरासत को अपवित्र करने वाले छुआ-छूत, ऊंच-नीच जैसे विषदंतों को उखाड़ फेंकने वाले महापुरुष थे। ल्ल प्रतिनिधि
अम्बेडकर जयन्ती पर गोष्ठी
देहरादून में 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयन्ती के अवसर पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। इस अवसर पर ओएनजीसी के मानव संसाधन एवं राजभाषा अधिकारी श्री सर्वेश्वर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों के दर्द को वही समझ सकता है जिसने गरीबी देखी है, जो खुद गरीबों के बीच में रहा हो, वही गरीबों की समस्या को सही ढंग से समझ सकता है। एक इंसान किस तरह एक देश की तकदीर को संवारता है, इसके उदाहरण हैं डॉ़ भीमराव अम्बेडकर। जिनका बचपन बेहद गरीबी में बीता, छोटी जाति के होने की वजह से समाज की उपेक्षा का सामना करना पड़ा, लेकिन मजबूत इरादों के बल पर उन्होंने देश को एक नया रास्ता दिखाया। समाज की बेडि़यां तोड़कर सामाजिक समरसता के लिए कार्य किया। गोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का जीवनकाल समाज सुधारकों का काल था। जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए डॉ़ भीमराव अम्बेडकर और डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार ने अनेक प्रकार के कदम उठाए थे। इन दोनों के विचार आज भी पूरे देश में काम कर रहे हैं, देश को एक नई दिशा देने में अपनी सार्थक भूमिका निभा रहे हैं। गोष्ठी को श्री शशिकांत दीक्षित, श्री राजेश शेट्टी, श्री भगवती प्रसाद, डा़ रश्मी रावत त्यागी आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की भूमिका कार्यक्रम संयोजक श्री महेन्द्र सिंह ने रखी तथा संचालन श्री भारत सिंह ने किया। गोष्ठी का आयोजन सामाजिक समरसता मंच ने किया था।
ल्ल वि. सं. केन्द्र, देहरादून
व्यापारियों को एफडीआई मंजूर नहीं

आने वाले दिनों में केन्द्र में नई सरकार के गठन पर नजरें टिकाते हुए व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने नई सरकार की प्राथमिकताओं में व्यापारिक मुद्दों को शामिल कराने हेतु अभी से अपनी कमर कस ली है।
14 अप्रैल को नागपुर में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी़ भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीण खण्डेलवाल ने केंद्र में गठित होने वाली नई सरकार के लिए व्यापारियों का आर्थिक एजेंडा जारी करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस वक्त बेहद बुरे दौर से गुजर रही है जिसे पटरी पर लाना नई सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस हेतु औद्योगिक घरानों या बहुराष्ट्रीय कम्पनियोंं का मंुह ताकने के बजाए सरकार को घरेलू संसाधनों के भरपूर दोहन पर ही जोर देना होगा और इस दृष्टि से देश के खुदरा व्यापार, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15 प्रतिशत का योगदान देता है, को मजबूत करने से ही अर्थव्यवस्था तेजी से सुधारी जा सकती है। दोनों व्यापारी नेताओं ने नई सरकार से एक राष्ट्रीय व्यापार नीति बनाने और केन्द्र एवं राज्यों में पृथक रूप से एक आंतरिक व्यापार मंत्रालय गठित करने की मांग की।
श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने कहा कि व्यापारियों को व्यापार करने हेतु सरलता से ऋण मिले, इस हेतु एक वैकल्पिक वित्तीय ढांचे की बेहद जरूरत हैं क्योंकि बैंक इस मामले में अब तक बेहद नाकाम साबित हुए हंै।
दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि खुदरा व्यापार में किसी भी प्रकार की विदेशी पूंजीनिवेश (एफ डी आई) की अनुमति व्यापारियों के लिए बेहद घातक है। व्यापारी कभी इसको बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले दिनों खुदरा व्यापार में विदेशी पंूजीनिवेश की अनुमति दी है। यही कारण है कि देश के अनेक शहरों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां खुदरा बाजार में कूद पड़ी हैं। ह्यकैटह्ण ने सदैव ही खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजीनिवेश का विरोध किया है।
ल्ल प्रतिनिधि
हिसार में बही भक्ति रस की धारा
पिछले दिनों हरियाणा के हिसार में विश्व हिन्दू परिषद् के सेवा प्रकल्प भारत माता मंदिर में अखण्ड रामायण पाठ, भजन संध्या व भण्डारे का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत माता मन्दिर के भूखण्ड प्रदाता चौधरी फतेहचंद की पुण्यतिथि पर किया गया था। इस अवसर पर रमेश कान्त शर्मा द्वारा लिखित भारतीय क्रांतिकारी वीरों के जीवन पर आधारित पुस्तक के भाग-4 धर्मयोद्धा का लोकार्पण भी किया गया। स्व़ फतेहचंद की धर्मपत्नी श्रीमती हरबंस कौर ने भगवान महावीर की प्रतिमा व रामदरबार के सामने दीप प्रज्ज्वलन के उपरान्त अखण्ड रामायण पाठ का भोग डाला। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विश्वविख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डा़ॅ अशोक गर्ग, भारतीय रोड लाईन व एफिशिएंट रोड लाईन के प्रमुख कर्ण शर्मा पायलट, आई. जे. नाहल, भारत माता मंदिर के अध्यक्ष प्यारेलाल लाहौरिया आदि उपस्थित थे। विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता व मंदिर समिति के महासचिव विजय शर्मा ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि भारत माता मंदिर सम्पूर्ण समाज के लिए देव आराधना और राष्ट्र आराधना का प्रतीक बन गया है। उन्होंने भारत माता मंदिर में किए जाने वाले कार्यक्रमों व सेवा प्रकल्पों की भी जानकारी दी। ल्ल प्रतिनिधि
श्रद्धाञ्जलि
श्रीशचन्द्र दीक्षित नहीं रहे
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और वाराणसी के पूर्व सांसद श्री श्रीशचन्द्र दीक्षित का निधन 8 अप्रैल को पी.जी.आई.,लखनऊ में हो गया। 90 वर्षीय श्री दीक्षित लम्बे समय से बीमार थे। श्री दीक्षित विश्व हिन्दू परिषद् के भी वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। श्री दीक्षित को जो भी दायित्व मिला उसे उन्होंने बड़ी निष्ठा के साथ निभाया। यही कारण है कि वे जीवन-पर्यन्त राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में लगे रहे। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धाञ्जलि अर्पित है। ल्ल प्रतिनिधि 

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